टेकहोम राशन में घोटाला: 8680 बच्चियों की बजाय महिला बाल विकास ने कागजों पर 1.71 लाख को बांट दिया राशन
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टेकहोम राशन में घोटाला: 8680 बच्चियों की बजाय महिला बाल विकास ने कागजों पर 1.71 लाख को बांट दिया राशन

जानकारी के मुताबिक राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष प्रियंका चौधरी ने डेढ़ साल पहले विदिशा जिले के स्कूल और आंगनबाड़ी का दौरा किया था. इस दौरान जब उन्होंने जांच की तो बच्चियों के रजिस्ट्रेशन और उपस्थिति में अंतर मिला. 

टेकहोम राशन में घोटाला: 8680 बच्चियों की बजाय महिला बाल विकास ने कागजों पर 1.71 लाख को बांट दिया राशन

भोपाल: मध्य प्रदेश में स्कूल नहीं जाने वाली बच्चियों को दिए जाने वाले टेक होम राशन में बड़ा घोटाला सामने आया है. खबर के मुताबिक जिन 2 लाख 8 हजार 531 बच्चियों का कोई अस्तित्व नहीं है, उनमें से करीब 1 लाख 71 हजार बच्चियों से अधिक को कागजों में ही हर साल करीब 60 करोड़ का टेक होम राशन बांटा जा रहा था. फिलहाल राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने कैग की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के आधार पर मध्य प्रदेश आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ईओडब्ल्यू को इस पूरे मामले में केस दर्ज कर जांच के आदेश दिए हैं. वहीं, आयोग की रजिस्ट्रार अनु चौधरी ने 1 फरवरी को ईओडब्ल्यू को जांच के आदेश के साथ बैतूल, ग्वालियर, डिंडोरी और सिंगरौली जिले की कैग द्वारा की गई जांच रिपोर्ट भी भेज दी है.

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ऐसे हुआ मामले का खुलासा
जानकारी के मुताबिक राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष प्रियंका चौधरी ने डेढ़ साल पहले विदिशा जिले के स्कूल और आंगनबाड़ी का दौरा किया था. इस दौरान जब उन्होंने जांच की तो बच्चियों के रजिस्ट्रेशन और उपस्थिति में अंतर मिला. इसके बाद आयोग ने प्रदेश महिला बाल विकास से 11 से 14 साल की ऐसी बच्चियों की जानकारी मांगी थी जो स्कूल नहीं जाती थीं. जिसके बाद महिला बाल विकास ने आयोग को 2 लाख 17 हजार 211 बच्चियों के स्कूल नहीं जानें की जानकारी दी थी.

1 लाख 71 हजार 365 बच्चियों को दिया जाता था टेक होम राशन
महिला बाल विकास से जानकारी  मिलने के बाद आयोग ने मध्य प्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग को इन बच्चों को स्कूल शिक्षा के दायरे में लाने का निर्देश दिया था. इसके बाद स्कूल शिक्षा विभाग ने भी आयोग को आंकड़े उपलब्ध कराए. 

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दोनों के दस्तावेजों में भारी अंतर को देखते हुए आयोग ने जब मामले की जांच कराई तो स्कूल शिक्षा विभाग के दस्तावेज सही पाए गए, जबकि आंगनबाड़ी के दस्तावेज गलत निकले. साथ ही जिन बच्चियों को कागजों में टेक होम राशन दिया जा रहा है उनका अस्तित्व ही नहीं था. 

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