कोरोना संकट ने जीवन जीने का सलीका सीखा दिया है और येही वजह है कि लोग आयुर्वेद का सहारा ले रहे हैं. आज महुआ सबसे ज़्यादा ट्रेंड करने वाली औषधि है.
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नई दिल्ली: पीपल जैसे ऑक्सीजन देता है महुआ स्पीकिंग कोर्स देता है. चौंकिए मत आपको बताते है कैसे स्पीकिंग कोर्स कराता है दरअसल महुआ एक औषधि या फल इसको दोनों कहा जाता है. देशी शराब बनाने में इस्तेमाल होने वाले महुआ का एक ही नहीं बल्कि पूरे पेड़ के सभी हिस्सों के ही औषधीय गुण ऐसे हैं कि आप जानकर हैरान रह जाएंगे. आपने अक्सर देखा होगा कि कैसे शराब पीने के बाद लोग ज़्यादा बोलना और उटपटांग हरकते करना शुरू कर देते है तो क्यों इसका गलत इस्तेमाल किया जाए बल्कि इसके फायदे जानना जरूरी है.
महुआ का वैज्ञानिक नाम मधुका लोंगिफोलिया है. यह पेड़ बहुत तेजी से बढ़ता है. लगभग 12 से 15 मीटर तक इसकी लंबाई पहुंच सकती है. इसमें मार्च के माह में सफेद रंग के छोटे-छोटे फूल लगते हैं. यूं तो इसके फूल के असंख्य गुण हैं लेकिन मध्य भारत में इस फूल का इस्तेमाल मशहूर पेय महुआ वाइन बनाने के लिए किया जाता है.
शराब बनाने में इस्तेमाल होने वाले इस फल के अनगिनत लाभ है. शारीरिक ताकत बढ़ाने से लेकर मिर्गी तक को दूर करता है. फैट विटामिन-सी प्रोटीन आयरन कैल्शियम फॉस्फोरस कार्बोहाइड्रेट से भरपूर महुआ एक जंगली पेड़ है. जो देश के कई घने जंगलों के अलावा ग्रामीण इलाकों में भी पाए जाते हैं. शराब के अलावा इसके पेड़ की पत्तियां बीज और छाल कई बीमारियों में बहुत उपयोगी है.
महुआ के गुण
महुआ में कार्बोहाइड्रेट फैट और प्रोटीन के साथ ही कैल्शियम फास्फोरस आयरन कैरोटीन और विटामिन सी भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है. इतने पोषक तत्वों से भरे होने के कारण इसे खाने के बहुत से फायदे होते हैं.
किन बीमारियों में किया जाता है इस्तेमाल
महुआ के फल से तेल भी निकाला जाता है. यह तेल ग्रामीण इलाकों में खाने में इस्तेमाल किया जाता है. साथ ही इसे शरीर पर लगाने के भी बहुत सारे फायदे हैं. यह स्किन में मॉइश्चर को बनाए रखता है.
दांत दर्द में लाभदायक
दांतों में दर्द है या फिर टॉन्सिलिटिस की समस्या है तो आप महुआ की छाल का इस्तेमाल कर सकते हैं. आपको पहले महुआ की छाल को पीसना होगा, फिर उमसें पानी मिला लें. इस पानी से आप कुल्ला करें.
जुकाम ठीक होगा
जुकाम और कफ की समस्या से राहत दिलाता है महुआ
.जिन लोगों को ब्रोंकाइटिस या फेफड़ों में कफ जमने की दिक्कत हो वह महुआ की छाल का काढ़ा जरूर पीएं.
बच्चों के पेट के कीड़े मारने में सहायक
बच्चों को अक्सर पेट में कीड़े हो जाते हैं. ऐसे में उन्हें महुआ की छाल का काढ़ा दें और महुए की रोटी खिलाएं तो कीड़े मर जाते हैं.
डायबिटीज में 'अमृत'
मधुमेह यानी डायबिटीज मरीजों के लिए महुआ अमृत से कम नहीं माना गया है. डायबिटीज बीमारी के खिलाफ महुए की छाल अमृत की तरह काम करती है.
घाव से लेकर डायरिया में आजमाएं
महुआ में एंटी-माइक्रोबियल गुण इंफेक्शन से निजात दिलाने में मदद करता है.
आंत से जुड़ी बीमारियों और डायरिया में इसके पेड़ की छाल से तैयार काढ़ा आराम पहुंचाता है.
मसूड़ों में हल्की सूजन और खून आने पर महुआ की छाल के अर्क में पानी मिलाकर लिया जाता है.
छाल के अर्क के साथ गरारे करना टॉन्सिलिटिस और फेरेनजाइटिस में भी सहायक है.
डायरिया को ठीक करने के लिए एक कप छाल का सत्व आराम पहुंचाता है.
इसकी छाल में टैनिन नाम का कैमिकल घाव को सुखाने में मदद करता है.
महुआ की पत्तियों के गुण
पत्तियों में पाया जाने वाला मेथोनॉल मिर्गी की बीमारी पर अच्छा काम करता है. एक्जिमा एक आम समस्या है. जिसके चपेट में ज्यादातर लोग कभी-न-कभी आ ही जाते हैं. इससे छुटकारा पाने के लिए महुआ की पत्तियों पर तिल के तेल को लेप की तरह लगाकर गर्म करें और संक्रमित जगह पर लगाएं. जल्द आराम मिलेगा.
महुआ के फूल के फायदे
महुआ के फूल काफी पौष्टिक होते हैं और सामान्य टॉनिक के रूप में लिए जा सकते हैं. इसके लिए सूखे फूल के पाउडर को घी और शहद के साथ खाया जाता है.
सिरदर्द, आंखों की जलन जैसी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए महुआ के फूलों के ताजे रस को नाक में डालने से फायदा मिलता है.
नसों की कमजोरी और न्यूरो मस्कुलर सिस्टम की बीमारियों में भी महुआ काफी फायदा पहुंचाता है.
हाइपरटेंशन, हिचकी और सूखी खांसी के इलाज के लिए महुआ के फूलों का ताजा रस काफी कारगर है.
महुआ पुरुषों की सेक्स संबंधी समस्याओं के इलाज के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है. जिन पुरुषों को कम स्पर्म काउंट या शीघ्रपतन की शिकायत हो उन्हें दूध में उबाले हुए महुआ के फूलों को खाने की सलाह दी जाती है.
बीज के फ़ायदे
महुआ के बीज सिरदर्द गठिया से लेकर बवासीर में फायदेमंद है.
बीज में एक बड़ी मात्रा में तेल और प्रोटीन होता है.
महुआ के बीज से मिलने वाले फैट में औषधीय गुण होते हैं.
इसके पौधे के बीजों के तेल से त्वचा रोगों और शरीर के दर्द में मालिश की जाती है.
इसका इस्तेमाल त्वचा रोग गठिया सिरदर्द रेचक और बवासीर में भी किया जाता है.
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