MP News: 33 साल बाद पकड़े गए हत्यारे, सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद ऐसे हुई गिरफ्तारी
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MP News: 33 साल बाद पकड़े गए हत्यारे, सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद ऐसे हुई गिरफ्तारी

Sagar News: सागर जिले में साल 1991 में हुई हत्या के मामले में फरार चल रहे आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. पुलिस ने ये कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के आदेश के सख्ती के बाद की है. 

MP News: 33 साल बाद पकड़े गए हत्यारे, सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद ऐसे हुई गिरफ्तारी

MP News: मध्य प्रदेश के सागर जिले में साल 1991 में हुई हत्या के बाद फरार चल रहे आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. अपने भाई के हत्यारों को सजा दिलाने में कामयाब हुआ है. हत्यारोपियों की गिरफ्तारी सुप्रीम कोर्ट के सख्ती के बाद हुई है. ये आरोपी महाराष्ट्र में पहचान छिपाकर रह रहे थे. जानिए आखिर क्या है पूरा मामला. 

पूरा मामला 
पूरा मामला सागर जिले के देवरी थाने से सामने आया है. इस थाना क्षेत्र के मछरिया गाँव मे साल 1991 में बाबूलाल पचौरी नाम के शख्स की हत्या कर दी गई थी. हत्या के बाद परिवार ने दो लोगों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज कराई थी. मामला कोर्ट में गया लेकिन आरोपी जिला और फिर हाईकोर्ट से बरी हो गए. लेकिन पचौरी परिवार ने हार नहीं मानी और उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.

सुप्रीम कोर्ट में चली सुनवाई के बाद आखिरकार साल 2011 में दोनों आरोपियों गुड्डू और उमाशंकर तिवारी को सजा का ऐलान किया गया लेकिन ये दोनों आरोपी फरार हो गए थे. ये आरोपी गांव छोड़कर और कहां बस गए थे किसी को पता नहीं था.  2011 से लगातार भाई के कातिलों को सलाखों के पीछे पहुंचाने उनका भाई कोशिश करता रहा लेकिन आरोपियों को पकड़ने में पुलिस नाकाम रही.

ऐसे में पीड़ित परिवार ने एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई तो इस बार कोर्ट ने सख्त लहजे में सागर एसपी को आदेशित किया कि वो आरोपियों की गिरफ्तारी कराएं. सागर एसपी ने कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए स्पेशल टीम बनाई और फिर आदेश के महज दस दिनों के अंदर देवरी पुलिस ने दोनो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया.  गिरफ्तारी के बाद पता चला कि ये आरोपी महाराष्ट्र में नाम बदल कर रह रहे थे.

आरोपियों पर दस हजार का इनाम भी घोषित था. बता दें कि देवरी लाये गए दोनों आरोपियों को देखने पीड़ित भाई रमेश पुलिस थाने आया और सलाखों के पीछे जाते देख उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा. 

(सागर से महेंद्र दूबे की रिपोर्ट)

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