Mayawati: 'ब्राह्मण' कार्ड का खेल, माता प्रसाद के बहाने मायावती ने एक तीर से साधे दो निशाने
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Mayawati: 'ब्राह्मण' कार्ड का खेल, माता प्रसाद के बहाने मायावती ने एक तीर से साधे दो निशाने

Mayawati and Akhilesh Yadav: मायावती की भी इस ब्राह्मण वोटबैंक पर नजर रही है. 2007 में जब वो 224 सीटों पर अपने दम पर जीतकर आई थीं तो ये कहा गया था कि उनको सर्वजन का वोट मिला था और खासकर इस जाति विशेष का भरपूर समर्थन मिला था.

Mayawati: 'ब्राह्मण' कार्ड का खेल, माता प्रसाद के बहाने मायावती ने एक तीर से साधे दो निशाने

UP Politics: सपा ने जब से माता प्रसाद पांडे को यूपी में नेता-प्रतिपक्ष बनाया है तब से अचानक 'ब्राह्मण' कार्ड की चर्चा होने लगी है. ऐसे वक्‍त में जब सब तरफ ये माना जा रहा था कि चुनावों में पिछड़े-दलित-अल्‍पसंख्‍यक (पीडीए) समुदाय को प्रमुखता की बात कहने वाली सपा इनमें से ही किसी को विपक्ष का नेता बनाएगी, ऐसे माहौल में अखिलेश यादव के दांव ने सबको चौंका दिया है. सियासी विश्‍लेषकों का कहना है कि दरअसल माता प्रसाद पांडे को नेता प्रतिपक्ष बनाकर अखिलेश यादव ने अपने पीडीए को विस्‍तार देने की कोशिश की है. उनके इस दांव को बीजेपी में सेंधमारी के रूप में देखा जा रहा है. वैसे भी सियासी हलकों में दबे जुबान से बातें उड़ती रहती हैं कि यूपी की बीजेपी की सरकार से ये वर्ग कहीं न कहीं नाराज है और खुद को उपेक्षित महसूस करता रहा है. 

ये बात इसलिए भी अहम है क्‍योंकि इस वक्‍त यूपी बीजेपी में अंदरखाने चल रही लड़ाई में एक तरफ सीएम योगी हैं तो दूसरी तरफ उनको चैलेंज करते दिख रहे डिप्‍टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य भी ओबीसी नेता ही हैं. इसलिए ही अखिलेश यादव के सियासी दांव से बीजेपी समेत सभी दल चौकन्‍ने हो गए हैं. बीजेपी इसलिए भी चिंतित है क्‍योंकि लोकसभा चुनावों में पीडीए वर्ग के सरकने के साथ ही यदि ब्राह्मण वर्ग भी अगले विधानसभा चुनावों तक सरक गया तो बड़ा नुकसान तय है. 

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मायावती का दांव!
सपा के सियासी दांव से बसपा प्रमुख मायावती को भी अपना कार्ड खेलने का मौका मिल गया है. दरअसल दलित वोटबैंक बसपा का परंपरागत वोटर रहा है. लेकिन लोकसभा चुनावों में सपा के पीडीए कार्ड की वजह से वो वोटर इस बार सपा-कांग्रेस गठबंधन की तरफ शिफ्ट हुआ. मायावती को इस दरकते वोटबैंक की चिंता है. इसलिए ही सपा पर हमलावर होते हुए उन्‍होंने सपा पर निशाना साधते हुए कहा कि इन तबकों से वोट तो ले लिया गया लेकिन सपा ने उनको कोई पद नहीं दिया. इस तरह वो दलित वोटबैंक को ये संदेश देना चाहती हैं कि उनका इस्‍तेमाल केवल वोट के लिए किया गया.

 

बसपा प्रमुख मायावती ने सोशल मीडिया मंच 'एक्‍स' पर एक पोस्ट में कहा ''सपा मुखिया ने लोकसभा आम चुनाव में, खासकर संविधान बचाने की आड़ में यहां पीडीए (पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यकों) को गुमराह किया और उनका वोट ले लिया, लेकिन उप्र विधानसभा में प्रतिपक्ष का नेता बनाने में जो इन समुदायों की उपेक्षा की गई, यह भी सोचने की बात है.''

 मायावती की ब्राह्मण वोटबैंक पर भी नजर रही है. उन्‍होंने लोकसभा चुनावों में इस तबके से टिकट भी दिए थे लेकिन सफलता नहीं मिली. 2007 में जब वो 224 सीटों पर अपने दम पर जीतकर आई थीं तो ये कहा गया था कि उनको सर्वजन का वोट मिला था और खासकर इस जाति विशेष का भरपूर समर्थन मिला था. इसलिए ही मायावती ने अखिलेश का विरोध करते हुए ये भी कहा कि ब्राह्मण समाज को इन सबसे सावधान रहने की जरूरत है.

बसपा प्रमुख ने कहा ''सपा में एक जाति विशेष को छोड़कर बाकी पीडीए के लिए कोई जगह नहीं. ब्राह्मण समाज की तो कतई नहीं, क्योंकि सपा व भाजपा सरकार में जो इनका उत्पीड़न व उपेक्षा हुई है वह किसी से छिपा नहीं. वास्तव में इनका विकास एवं उत्थान केवल बसपा सरकार में ही हुआ. अतः ये लोग जरूर सावधान रहें.''

गौरतलब है कि अखिलेश यादव ने रविवार को सिद्धार्थनगर जिले के इटवा विधानसभा क्षेत्र से सातवीं बार विधायक चुने गए माता प्रसाद पांडेय को नेता प्रतिपक्ष नियुक्त करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा है.

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