Merry Christmas 2019: क्रिसमस के मौके पर Google ने Doodle बनाकर दी बधाई
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Merry Christmas 2019: क्रिसमस के मौके पर Google ने Doodle बनाकर दी बधाई

क्रिसमस (Christmas) का त्यौहार पूरी दुनिया में काफी धूमधाम से मनाया जा रहा है. इस मौके पर सभी लोग एक-दूसरे को बधाई दे रहे हैं.

 गूगल ने बनाया डूडल

नई दिल्ली: क्रिसमस (Christmas) का त्यौहार पूरी दुनिया में काफी धूमधाम से मनाया जा रहा है. इस मौके पर सभी लोग एक-दूसरे को बधाई दे रहे हैं. गूगल (Google) ने भी डूडल (Doodle) बनाकर क्रिसमस की बधाई दी है. बता दें कि ईसाई धर्म की मान्यता के अनुसार इस दिन प्रभु यीशु का जन्म हुआ था. जिसके बाद से 25 दिसंबर को हर साल क्रिसमस के तौर पर सेलिब्रेट किया जाता है. इस दिन न सिर्फ चर्च में बल्कि हर जगह इस पर्व की रौनक देखने को मिलती है. इस मौके पर सभी लोग एक-दूसरे को बधाई संदेश भेजते हैं.  

क्या है क्रिसमस ट्री की कहानी?
इस त्यौहार में क्रिसमस ट्री (Christmas Tree) की अपनी एक अलग जगह है. माना जाता है कि यीशु के जन्म के मौके पर एक फर के पेड़ को सजाया गया था, जिसे बाद में क्रिसमस ट्री का नाम दिया गया. क्रिसमस ट्री को चॉकलेट्स, काफी सारे छोटे-छोटे गिफ्ट हैंपर्स, चमकीले स्टार्स, लाइट्स से सजाया जाता है. दुनिया में ऐसी कई जगहें है, जहां क्रिसमस की तैयारी 2 महीने पहले से शुरू होकर क्रिसमस के दिन तक चलती हैं.

दुनिया का सबसे ऊंचा क्रिसमस ट्री
जब भी क्रिसमस सेलिब्रेशन की बात आये तो सबसे पहले लंदन (London), पेरिस (Paris), न्यूयॉर्क जैसे नाम ही सामने आते हैं. पर क्या आपको पता है की दुनिया का सबसे बड़ा क्रिसमस ट्री, रियो डी जेनेरियो में है, जोकि 278 फीट लम्बा है. इस क्रिसमस ट्री की सबसे ख़ास बात ये है की यह एक फ्लोटिंग क्रिसमस ट्री है यानी कि दुनिया का पहला तैरता क्रिसमस ट्री. जर्मनी में बसा डॉर्टमुंड, बर्लिन और म्युनिक जितना पॉप्युलर भले ना हों, लेकिन ये अपने क्रिसमस सेलिब्रेशन के लिए बेहद लोकप्रिय है. हर साल यहां 145 फ़ीट ऊंचा क्रिसमस ट्री सजाया जाता है.

संत निकोलस से बना सांता क्लॉज़...
क्रिसमस ट्री के अलावा अगर कुछ और क्रिसमस पर फेमस है तो वो हैं सांता क्लॉज़. सांता क्लॉज़ (Santa Clause) को संत निकोलस का ही रूप माना जाता है. दरअसल संत निकोलस को बचपन से ही भगवान यीशु में गहरी आस्था थी, जिसके बाद बड़े होकर वो ईसाई धर्म के पादरी और बाद में बिशप बने. संत निकोलस को बच्चों से काफी प्रेम था, जिसके चलते वो जरूरतमंद बच्चों को तोहफे देने जाते थे. संत अपने सभी उपहार हमेशा आधी रात को ही दिया करते थे क्योंकि वो अपनी पहचान लोगों के सामने नहीं लाना चाहते थे.

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