प्रवासी मजदूरों की बदहाली पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी, इस दिन आएगा फैसला
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प्रवासी मजदूरों की बदहाली पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी, इस दिन आएगा फैसला

तुषार मेहता ने कहा कि हमने राज्यों से पूछा है कि कितने मजदूरों को शिफ्ट करने की जरूरत है और कितने ट्रेनों की जरूरत है. 

(फाइल फोटो)

नई दिल्ली: प्रवासी मजदूरों (Migrant Workers) की बदहाली पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई पूरी हो गई है. कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा लिया. कोर्ट इस मामले में मंगलवार (9 जून) को अपना फैसला सुनाएगा. सुनवाई के दौरान सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता (Tushar Mehta) ने कहा कि अभी तक करीब 1 करोड़ प्रवासी मजदूरों को घर पहुंचाया गया है. जिसमें बसों के जरिए 41 लाख, ट्रेन के जरिए 57 लाख मजदूरों को उनके गृह राज्य भेजा गया. तीन जून तक 4270 श्रमिक ट्रेन चलाई गई हैं.

तुषार मेहता ने कहा कि हमने राज्यों से पूछा है कि कितने मजदूरों को शिफ्ट करने की जरूरत है और कितने ट्रेनों की जरूरत है. राज्यों ने हमें जो जानकारी उपलब्ध कराई है. उसके आधार पर चार्ट तैयार किया गया है. अभी 171 ट्रेनों की और जरूरत है.

कोर्ट ने पूछा कि आपके चार्ट के मुताबिक क्या महाराष्ट्र ने एक ही ट्रेन की मांग की है? इसपर मेहता ने कहा कि हां, 802 ट्रेनें पहले ही महाराष्ट्र  से चला चुके हैं. कोर्ट ने कहा यानी हम ये मानें कि कोई और शख्स महाराष्ट्र से नहीं जाना चाहता. मेहता ने कहा, जी, राज्य सरकार ने हमें यही बताया है. 

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तुषार मेहता ने कहा कि राज्यों से मांग आने पर 24 घंटे के अंदर हम ट्रेन उपलब्ध करा रहे हैं. महाराष्ट्र ने सिर्फ 1 ट्रेन का अनुरोध किया है. अभी तक महाराष्ट्र से 802 ट्रेनें चली हैं. महाराष्ट्र सरकार ने बताया है कि 11 लाख मजदूरों को वापस भेजा जा चुका है. 38,000 को भेजना बाकी है. गुजरात सरकार ने कहा है कि 22 लाख में से 20.5 लाख लोगों को वापस भेजा गया है. 

तुषार मेहता ने कहा कि इस मसले पर राज्य जिस तरह की सहायता मांगेंगे, दी जाएगी. दिल्ली सरकार ने कहा कि 2 लाख लोग ऐसे हैं जो यहीं रहना चाहते हैं. सिर्फ 10 हजार अपने राज्य लौटने की इच्छा जता रहे हैं. वहीं, यूपी सरकार का कहना है कि कि हम लोगों से किराया नहीं ले रहे हैं. 104 ट्रेनें चलाई गईं. 1.35 लाख लोगों को अलग-अलग साधन से वापस भेजा गया. 1664 श्रमिक ट्रेन से 21 लाख 69 हजार लोगों को वापस उनके घर लाया गया. दिल्ली सीमा से बसों के जरिए 5.5 लाख लोगों को वापस लाया गया.

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बिहार सरकार ने कहा कि 28 लाख लोग वापस आए. सरकार उन्हें रोजगार देना चाहती है. 10 लाख लोगों की स्किल मैपिंग की गई है. राजस्थान सरकार ने कहा कि प्रवासी श्रमिकों को घर भेजने के लिए राज्य सरकार ने अब तक 7 करोड़ रुपये के आसपास खर्च किए हैं. 

इसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम यह भी जानना चाहते हैं कि अब तक कितने प्रवासी मजदूरों को वापस भेजा गया है. इसके लिए राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से 15 दिन का समय और मांगा. वकील ने कहा कि हम उनके रहने और खाने की व्यवस्था का पूरा ख्याल रख रहे हैं. राजस्थान से हम अपने खर्चे पर ट्रेन और बसों के जरिए प्रवासी मजदूरों को वापस भेजेंगे.

पश्चिम बंगाल सरकार ने कोर्ट को बताया कि राज्य में 3,97,389 प्रवासी मजदूर अभी मौजूद हैं. केंद्र ने कहा कि बंगाल सरकार को सिर्फ ऐसे प्रवासी मजदूरों की जानकारी है जो बंगाल में मौजूद हैं, उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं है कि बंगाल के कितने मजदूर दूसरे राज्यों में फंसे हैं जो अपने घर लौटना चाहते हैं. 

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केरला सरकार के वकील ने कहा कि राज्य में 4 लाख 34 हजार प्रवासी मजदूर हैं. अब तक 1 लाख मजदूरों को वापस भेजा जा चुका है. 2.5 लाख मजदूर वापस जाना चाहते हैं. 1.61 लाख मजदूर केरला में ही रहना चाहते हैं. कर्नाटक सरकार के वकील ने डिटेल हलफनामा दाखिल करने के लिए 15 दिन का समय मांगा.

कर्नाटक सरकार के वकील ने कहा कि राज्य सरकार ने तीन लाख से ज्यादा प्रवासी मजदूरों को वापस भेजा है. लाखों मजदूर अभी भी राज्य में मौजूद हैं. 10 से 15 दिन में सभी प्रवासी मजदूरों को वापस भेज दिया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सभी राज्य गांव और प्रखंड के स्तर पर अपने यहां वापस लौटे मजदूरों का रजिस्ट्रेशन करें. उन्हें रोजगार देने की व्यवस्था करें. उनकी परेशानी दूर करने के लिए काउंसिलिंग भी करें. 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य हमें बताएं कि जो लोग घर वापस लौट रहे हैं उन्हें रोजगार देने का क्या इंतजाम है. सभी राज्यों के जवाब और दलीलों के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. कोर्ट इस मामले में मंगलवार 9 जून को अपना फैसला सुनाएगा.

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