मोबाइल फोन (Mobile Phone) का हद से ज्यादा इस्तेमाल लोगों के लिए नुकसान का सबब बनता जा रहा है. अब इससे थोड़ी दूरी बनाने का समय नजदीक आ गया है.
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नई दिल्ली: आज हम सबके सामने एक बड़ा सवाल है कि हम अपने मोबाइल फोन (Mobile Phone) के मालिक हैं या मोबाइल फोन हमारी जिंदगी का मालिक बन चुका है. आप ध्यान से सोचेंगे तो बहुत सारे लोगों को अहसास होगा कि आपका मोबाइल फोन ही आपकी जिंदगी का मालिक है. अब आपके मन का पूरा नियंत्रण आपके मोबाइल फोन के पास है. आपके मोबाइल फोन पर आने वाले Notifications के मुताबिक आपका Mood पल-पल बदलने लगता है.
यानी आपका मन आकार में सिमटकर आपके पांच या सात इंच के मोबाइल फोन (Mobile Phone) में बदल गया है. इसलिए आप अपने Smart Phone को अब आप अपना Mini Mind भी कह सकते हैं. हालांकि जैन धर्म के कुछ लोगों ने मोबाइल फोन की स्क्रीन में कैद मन को आजाद कराने के लिए एक नई पहल की शुरुआत की है.
आज से जैन धर्म के पर पर्यूषण पर्व की शुरुआत हुई है, जो 11 सितंबर तक मनाया जाएगा. इस दौरान जैन धर्म को मानने वाले लोग तप और त्याग को अपनाते हैं और अपने जीवन का विश्लेषण करते हैं. गुजरात के अहमदाबाद में जैन समुदाय ने इस पर्व के दौरान इस बार मोबाइल फोन के त्याग का भी संकल्प लिया है. इसे E-उपवास नाम दिया गया है. जिसके तहत सिर्फ मोबाइल फोन ही नहीं बल्कि लोग, इंटरनेट, Laptop, Television और दूसरे Gadgets से भी दूर रहेंगे.
इसके साथ ही जैन धर्म के युवाओं को एक नया Digital Challenge भी दिया गया है. जिसके तहत युवाओं को अगले 50 दिनों तक दिन के 12 घंटे, मोबाइल फोन और Gadgets से दूर रहना होगा. जो भी युवा सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक इस डिजिटल उपवास का पूरे मन से पालन करेगा. उसे 12 Points दिए जाएंगे. यानी मोबाइल फोन से दूर रहने पर हर घंटे एक Point मिलेगा. हर एक Point एक रुपये के बराबर होगा. इस चैलेंज के 50 दिन पूरे होने पर जो युवा जितने Points हासिल करेगा. उसके नाम से उतने ही रुपये दान किए जाएंगे.
इस चैलेंज को जो Tagline दी गई है, वो है A Mobile phone is a good servant but a dangerous master. यानी आपका मोबाइल फोन जब तक आपका सेवक है, तब तक तो अच्छा है. वहीं अगर ये आपका मालिक बन गया तो बहुत खतरनाक होगा. इसलिए आज आप सब लोगों को अपने आप से पूछना चाहिए कि आप मोबाइल फोन के मालिक हैं या आपका मोबाइल फोन आपकी जिंदगी का मालिक है.
हमें लगता है कि इस Digital उपवास की जरूरत देश के लगभग हर उस व्यक्ति को है. जिसका ज्यादातर समय Mobile Phones या दूसरे Gadgets के साथ बीतता है. भारत में 75 करोड़ लोगों के पास Smart Phones हैं .
भारत के लोग पूरे दिन में औसतन 6 घंटे 36 मिनट किसी ना किसी मोबाइल फोन, Gadget या Television Screen को देखते हुए बिताते हैं. मोबाइल फोन पर Online Videos देखने के मामले में भारत पूरी दुनिया में पहले नंबर पर है. भारत के लोग हर रोज़ औसतन 5 घंटे 16 मिनट Online Videos देखते हैं.
2020 में पूरी दुनिया के मुकाबले भारत में सबसे ज्यादा लोगों ने इस आदत की वजह से अपनी आंखों की रोशनी गंवाई थी. इसलिए आज भारत के लोगों को Digital उपवास की ज़रूरत है. उपवास दो शब्दों को मिलाकर बना है जो हैं उप और वास. उप का अर्थ होता है समीप और वास का अर्थ होता है बैठना. यानी उपवास सिर्फ भूखे रहने का नहीं बल्कि अपने समीप बैठकर खुद का विश्लेषण करने का भी नाम है..और Digital उपवास के बगैर तो आप खुद को कभी ठीक से समझ ही नहीं पाएंगे.
स्थिति ये है कि लोग उपवास के नाम पर खाना पीना तो छोड़ सकते है. वहीं अगर लोगों से मोबाइल फोन (Mobile Phone) छोड़ने के लिए कहा जाए तो उन्हें सदमा लग जाता है. भारत के लिए लोगों के लिए अब आटा नहीं बल्कि DATA ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है. 66 प्रतिशत भारतीयों का कहना है कि वो अपने मोबाइल फोन के बिना एक दिन भी नहीं रह सकते.
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इसलिए भारत के लोगों को Digital उपवास और Digital Detox की सख्त ज़रूरत है. उपवास रखकर आप अपने शरीर की गंदगी को बाहर निकालते हैं तो Digital उपवास रखकर आप अपने मन की सफाई कर सकते हैं.
अगर आपके घर में भी बच्चे और युवा हर समय मोबाइल फोन (Mobile Phone) से चिपके रहते हैं तो आप उन्हें भी एक ऐसा चैलेंज दे सकते हैं. जिसके तहत मोबाइल फोन से ज्यादा देर रहने पर आप उन्हें बड़ा पुरस्कार और कम देर दूर रहने पर छोटा पुरस्कार दे सकते हैं. अगर आप चाहें तो इस चैलेंज को खुद पर भी आज़माकर देख सकते हैं.
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