एक भारतीय के साथ हुई नाइंसाफी, Everest कब बनेगा माउंट सिकदर?
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एक भारतीय के साथ हुई नाइंसाफी, Everest कब बनेगा माउंट सिकदर?

दुनिया में 1 दिसंबर को George everest की पुण्यतिथि मनाई जाती है. अंग्रेजों ने दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी का नाम माउंट एवरेस्ट रखकर एक भारतीय राधानाथ सिकदर (Radhanath Sikdar) के साथ नाइंसाफी की थी.

एक भारतीय के साथ हुई नाइंसाफी, Everest कब बनेगा माउंट सिकदर?

सुनें पॉडकास्ट: 

  1. सर्वे ऑफ इंडिया ने मापी थी पर्वत चोटी
  2. राधानाथ सिकदर ने किया था मापन
  3. सिकदर से छीन लिया गया श्रेय

नई दिल्ली: दुनिया में 1 दिसंबर को George everest की पुण्यतिथि मनाई जाती है. अंग्रेजों ने दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी का नाम माउंट एवरेस्ट रखकर एक भारतीय के साथ नाइंसाफी की थी. दरअसल माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई मापने का काम Survey Of India के एक भारतीय कर्मचारी राधानाथ सिकदर (Radhanath Sikdar) ने किया था लेकिन उन्हें इसका श्रेय नहीं दिया गया.  

सर्वे ऑफ इंडिया ने मापी थी पर्वत चोटी

नेपाल और तिब्बत की सीमा पर मौजूद Mount Everest का नाम तिब्बती भाषा में चोमो-लुंगमा है. जबकि नेपाल के लोग इसे सागर-माथा कहते हैं. हालांकि भारत और बाकी पूरी दुनिया में ये Mount Everest के नाम से प्रसिद्ध है. माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई का आधिकारिक आंकलन पहली बार ब्रिटिश राज में Survey Of India ने किया था. इस एजेंसी की स्थापना भारत का आधिकारिक मानचित्र बनाने के लिए की गई थी.

वर्ष 1830 में Sir George Everest सर्वे ऑफ इंडिया के डायरेक्टर बने थे. वर्ष 1831 में उन्होंने पश्चिम बंगाल के एक गणितज्ञ राधानाथ सिकदर को Survey Of India में Computer के पद पर नियुक्त किया था. उस समय सारी गणनाएं इंसान ही किया करते थे, इसलिए ऐसे लोगों को Survey Of India में Computer कहा जाता था. इन Computer का मूल काम भी गणना करना ही होता है.

राधानाथ सिकदर ने किया था मापन

वर्ष 1852 में राधानाथ सिकदर (Radhanath Sikdar) ने 'Peak 15' नामक पर्वत शिखर को मापने का काम शुरु किया. उस समय Mount Everest को इसी नाम से जाना जाता था. तब विदेशियों को नेपाल की सीमा में दाखिल होने की इजाजत नहीं थी. इसलिए एक विशेष उपकरण की मदद से राधानाथ सिकदर ने 'Peak 15' की ऊंचाई 8 हज़ार 848 मीटर रिकॉर्ड की थी.

Survey Of India के तत्कालीन डायरेक्टर Andrew Scott Waugh ने 4 वर्ष तक राधानाथ सिकदर (Radhanath Sikdar) के आंकलन की जांच की. Andrew Scott और Sir George Everest एक साथ काम कर चुके थे और वे एवरेस्ट को अपना गुरू मानते थे.  इसीलिए उन्होंने 'Peak 15' पर्वत शिखर का नाम Mount Everest रखने का प्रस्ताव ब्रिटेन की Royal Geographical Society को भेजा था.

सिकदर से छीन लिया गया श्रेय

यानी राधानाथ सिकदर से Mount Everest की आधिकारिक ऊंचाई मापने का श्रेय छीन लिया गया. साथ ही दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत शिखर का नामकरण एक अंग्रेज के नाम पर कर दिया गया. ब्रिटिश सरकार ने इस जानकारी को छिपाने की पूरी कोशिश की. इसके बावजूद राधानाथ सिकदर की महान खोज को छिपाया नहीं जा सका.

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सोचिए, कितनी बड़ी विडम्बना है कि इस देश के इतिहासकारों ने बाबर, अकबर और औरंगज़ेब जैसे मुगल शासकों पर तो सैकड़ों पुस्तकें लिखीं, लेकिन राधानाथ सिकदर (Radhanath Sikdar) के बारे में उन्होंने देश को कभी कुछ नहीं बताया. ज़ी न्यूज़ की इस मुहिम को एक साल पूरा हो चुका है और भारत में अब भी माउंट एवरेस्ट, अंग्रेज़ों की गुलामी याद दिलाता है. इसलिए देश के इस महान हीरो के साथ अन्याय को दूर करने का वक्त अब आ चुका है.

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