Mughal Wealth: कितना था मुगलों का खजाना? आग लगने पर सड़कों पर बह रहे थे सोना-चांदी
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Mughal Wealth: कितना था मुगलों का खजाना? आग लगने पर सड़कों पर बह रहे थे सोना-चांदी

Was Mughal Empire Rich: जहांगीर हीरे-जवाहरात का शौकीन था तो अकबर हर चीज का दीवाना था. आइने अकबरी में अकबर के दरबारी अबुल फज्ल ने उस दौर के खजाने के बारे में जो बताया है, उसको पढ़कर तो यही लगता है कि मुगलिया खजाना नहीं बल्कि फैक्ट्रियां हों. जिससे धुआं भी निकले तो लोग उसकी राख बेचकर ही रईस हो जाएं. 

Mughal Wealth: कितना था मुगलों का खजाना? आग लगने पर सड़कों पर बह रहे थे सोना-चांदी

Total Wealth of Mughal Empire: यह कहना गलत नहीं होगा कि मुगल सल्तनत की दौलत की चकाचौंध देख यूरोप के यात्रियों की आंख फटी रह गई थीं. जब फ्रांस, इटली, इंग्लैंड और पुर्तगाल जैसे देशों के लोग उनके दरबार में आते थे तो हैरान रह जाते थे. कहा जाता है कि जितना अकबर को टैक्स मिलता था, उसका 17वां हिस्सा इंग्लैंड का राजा हासिल कर पाता था. मुगल राज की शान-ओ-शौकत और चकाचौंध की कहानियां यूरोप के घरों में सुनाई जाती थीं. 

कहा जाता है कि जहांगीर हीरे-जवाहरात का शौकीन था तो अकबर हर चीज का दीवाना था. आइने अकबरी में अकबर के दरबारी अबुल फज्ल ने उस दौर के खजाने के बारे में जो बताया है, उसको पढ़कर तो यही लगता है कि मुगलिया खजाना नहीं बल्कि फैक्ट्रियां हों. जिससे धुआं भी निकले तो लोग उसकी राख बेचकर ही रईस हो जाएं. ऐसी फैक्ट्रियां देश के अलग-अलग हिस्सों में थीं. खजाना खोजने में दिलचस्पी रखने वाले कहते हैं कि राजस्थान से लेकर फतेहपुर सीकरी तक किसी जगह अकबर का खजाना दबा हो सकता है. 

अकबर के राज में ऐसा था सिस्टम

आइने-अकबरी के मुताबिक, खजाने की फैक्ट्रियों में अंदर और बाहर विभाग बंटे हुए थे. हर प्रांत में एक कोषाध्यक्ष नियुक्त था. एक दारोगा और एक कर्मचारी उसकी मदद करते थे. सारी चीजों का कामकाज अकबर का खास एतमाद खां उर्फ फूल मलिक के हाथों में था. नियमों के मुताबिक, कोषाध्यक्षों के पास जब भी 5 हजार रुपये हो जाते थे, तो उसे दरबार के मुख्य खजांची को सौंपना होता था. 

सोने-चांदी के लिए अलग कमरा

अबुल फज्ल ने इशारों-इशारों में बताया है कि अकबर का खजाना कितना था. उनके मुताबिक मोतियों, सोना, चांदी, जेवर, बर्तन के लिए अलग-अलग कमरा था. इतिहासकार पेल्सर्ट के मुताबिक, जब अकबर की मृत्यु हुई उस वक्त मुगलिया खजाने में दस करोड़ चांदी के रुपये, सोने की 70 लाख मोहरें, रत्न-जेवर, सोने और चांदी का बुलियन और 23 करोड़ मिलियन तांबे के बांध थे. अकबर के पास कितना सोना-चांदी था, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एक बार लाहौर में साल 1597 में वह जश्न मना रहा था. महल के एक हिस्से में आग लग गई. लेकिन तब सोना और चांदी आग में गलकर सड़कों पर पहुंच गया था. 

वहीं जहांगीर के पास एक बड़ा संदूक था, जिसमें हर साइज के हीरे थे. जवाहरातों का इतना बड़ा कलेक्शन तब शायद ही किसी ने देखा हो. जबकि इटली का रहने वाला यात्री मनूची लिखता है कि शाहजहां ने तो विशालकाय सोने और चांदी की छड़ें रखने के लिए गुफाओं का निर्माण कराया था. 

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