सरकार ने चार महीने बाद कारखाने और बाजार खोलने की अनुमति दे दी है.
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मुंबई: एशिया की सबसे बड़े झुग्गी बस्ती धारावी (Dharavi) ने कोरोना (Coronavirus) को मात दे दी है. धारावी में अब जिंदगी की गाड़ी धीरे-धीरे पटरी पर लौटने लगी है. यहां एक बार फिर से कारखाने और बाजार खुल गए हैं. इतना ही नहीं जिस तरह से धारावी में वायरस के प्रसार को रोका जा रहा है, उससे WHO ने भी प्रभावित होकर धारावी कोरोना मॉडल की तारीफ की है.
गौरतलब है कि मुंबई में जब कोरोना फैला तो धारावी सबसे बड़ा हॉटस्पॉट बनकर उभरा था. लेकिन धारावी ने कोरोना को शिकस्त दे दी है. अब यहां कोरोना के कुछ ही केस सामने आ रहे हैं. धारावी में तीन मई को एक दिन में रिकार्ड 94 केस सामने आए थे. लेकिन कल यानी शुक्रवार को केवल 9 केस, बुधवार को महज 3 केस और मंगलवार को तो सिर्फ 1 केस सामने आया था.
इन आंकड़ों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने साप्ताहिक और रोज लगने वाला बाजार वापस खोलने की अनुमति दे दी है. पिछले तीन महीने बाद बाजार खुलने से धारावी में धीरे-धीरे ही सही, लेकिन जीवन पटरी पर लौटने लगा है.
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बताते चलें कि ढाई वर्ग किलोमीटर में फैली धारावी की पहचान भले ही एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती के तौर पर हो, लेकिन इसका एक और पहलू भी है. यहां हर घर अपने आप में एक छोटा मोटा कारखाना है जिसका मुंबई की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान है. अगर आंकड़ों की बात करें तो धारावी में 31,500 कारखाने है, जिसमें से 5000 कारखानों में सिर्फ चमड़े का सामान बनाया जाता है.
कोरोना काल में बंदिशों के साथ आज यहां कारोबार वापस शुरू हो गया है. सरकार ने 10 फीसदी वर्कर्स के साथ कामकाज शुरू करने की शुरुआती शर्त के अलावा, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन, सैनिटाइजेशन एवं अन्य जरूरी सभी एहतियात बरतरने की शर्त पर ही अनुमति दी है.
कारोबारियों ने बताया कि रेलवे के एयर वेन्टीलेटर में लगने वाले चमडे के उपकरण पिछले चार महीने से इस फैक्ट्री से निकले ही नहीं हैं, क्योकि पिछले चार महीने से फैक्ट्री बंद और रेलवे का परिचालन भी बंद था. अब फैक्ट्रियों के खुलने से जीवन की रफ्तार पकड़ने की उम्मीद जगी है.
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