केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि भारत सरकार ने हमेशा किसानों के प्रति संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाया और किसानों के सम्मान की बात सोची. लेकिन कुछ ताकतें हैं जो अपने निजी और राजनीतिक हितों के चलते आंदोलन को जारी रखना चाहती हैं.
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नई दिल्ली: केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने किसानों और सरकार के प्रतिनिधियों के बीच 11वें दौर की वार्ता विफल होने के बाद शुक्रवार को अफसोस जताया और कड़ा रुख अख्तियार करते हुए आरोप लगाया कि कुछ ताकतें हैं जो अपने निजी और राजनीतिक हितों के चलते आंदोलन को जारी रखना चाहती हैं.
उन्होंने कहा कि तीन कृषि कानूनों (Farm Laws) का एग्जीक्यूशन 12-18 महीनों तक स्थगित रखने और तब तक चर्चा के जरिए समाधान निकालने के लिए समिति बनाए जाने सहित केंद्र सरकार की ओर से अब तक वार्ता के दौरान कई प्रस्ताव दिए गए, लेकिन किसान संगठन इन कानूनों को खारिज करने की मांग पर अड़े हैं. पिछली बैठक में रखे गए प्रस्ताव बेहतर और देश व किसानों के हित में थे. अब किसान ही इस पर पुनर्विचार कर केंद्र के समक्ष अपना रुख स्पष्ट करें तभी आगे की कार्रवाई की जा सकती है.
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किसान संगठनों के साथ 11वें दौर की वार्ता समाप्त होने के बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए तोमर ने कहा, 'एक से डेढ़ बरस तक कानून को स्थगित रख समिति बनाकर आंदोलन में उठाए गए मुद्दों और पहलुओं पर विचार विमर्श कर सिफारिश देने का प्रस्ताव बेहतर है. उस पर आप विचार करें. यह प्रस्ताव किसानों के हित में भी है. इसलिए हमने कहा, आज वार्ता खत्म करते हैं. आप लोग अगर निर्णय पर पहुंच सकते हैं तो कल अपना मत बताइए. निर्णय घोषित करने के लिए आपकी सूचना पर हम कहीं भी इकट्ठा हो सकते हैं और उस निर्णय को घोषित करने की आगे की कार्रवाई कर सकते हैं.' आज की वार्ता में कोई फैसला ना होने पाने के बावजूद अगली बैठक की तारीख तय नहीं हुई.
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तोमर ने कहा कि कुछ ताकतें हैं जो अपने निजी और राजनीतिक हितों के चलते आंदोलन को जारी रखना चाहती हैं. उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने हमेशा किसानों के प्रति संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाया और किसानों के सम्मान की बात सोची. इसलिए किसान संगठनों से लगातार बात की जा रही है ताकि उनकी भी प्रतिष्ठा बढ़े और वे किसानों की नुमाइंदगी कर सकें. भारत सरकार की कोशिश थी कि वह सही रास्ते पर विचार करें इसलिए 11 दौर की बैठक की गई. जब किसान संगठन कानूनों को निरस्त करने पर अड़े रहे तो सरकार ने उनकी आपत्तियों के अनुसार निराकरण करने व संशोधन करने के लिए एक के बाद एक अनेक प्रस्ताव दिए. लेकिन जब आंदोलन की पवित्रता नष्ट हो जाती है तो निर्णय नहीं होता.
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तोमर ने आगे कहा, 'आज मुझे लगता है वार्ता के दौर में मर्यादाओं का पालन तो हुआ लेकिन किसान के हक में वार्ता का मार्ग प्रशस्त हो, इस भावना का अभाव था. इसलिए वार्ता निर्णय तक नहीं पहुंच सकी. इसका मुझे खेद है.' कृषि मंत्री ने कहा कि जब आंदोलन का नाम किसान आंदोलन और विषय किसानों से संबंधित हो तथा सरकार निराकरण करने के लिए सरकार तैयार हो और निर्णय ना हो सके तो अंदाजा लगाया जा सकता है. कोई न कोई ताकत ऐसी है जो इस आंदोलन को बनाए रखना चाहती है.
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तोमर ने कहा कि भारत सरकार किसानों के प्रति संवेदनशील है और उनके विकास और उत्थान के लिए उसका प्रयत्न निरंतर जारी रहेगा. यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें लगता है कि किसान संगठन सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार करेंगे, उन्होंने कहा कि मैं कोई अनुमान नहीं लगाता लेकिन मैं आशावान हूं. मुझे उम्मीद है कि किसान संगठन हमारे प्रस्ताव पर सकारात्मक विचार करेंगे. तोमर ने कहा कि किसानों के हित में विचार करने वाले लोग सरकार के प्रस्ताव पर जरूर विचार करेंगे.
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