DNA: मोटे बच्चे सेहतमंद नहीं, बीमारी का 'घर', बच्चों में नई Chronic Disease है मोटापा!
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DNA: मोटे बच्चे सेहतमंद नहीं, बीमारी का 'घर', बच्चों में नई Chronic Disease है मोटापा!

DNA Analysis: दुनिया के हर माता-पिता की इच्छा होती है कि उनका बच्चा स्वस्थ दिखे. इसके लिए पेरेंट्स अपने बच्चों को ऐसा खाना खिलाना पसंद करते हैं, जो बच्चे चाव से खाते हैं. भारत में तो ऐसी धारणा है कि बच्चा थोड़ा दुबला पतला है तो मान लिया जाता है, कि उसे भरपूर डाइट नहीं दी जाती.

DNA: मोटे बच्चे सेहतमंद नहीं, बीमारी का 'घर', बच्चों में नई Chronic Disease है मोटापा!

DNA Analysis: दुनिया के हर माता-पिता की इच्छा होती है कि उनका बच्चा स्वस्थ दिखे. इसके लिए पेरेंट्स अपने बच्चों को ऐसा खाना खिलाना पसंद करते हैं, जो बच्चे चाव से खाते हैं. भारत में तो ऐसी धारणा है कि बच्चा थोड़ा दुबला पतला है तो मान लिया जाता है, कि उसे भरपूर डाइट नहीं दी जाती. ज्यादातर लोगों को यही लगता है कि अगर उनका बच्चा देखने में थोड़ा स्वस्थ है तो वो Fit है लेकिन ऐसा नहीं है. हो सकता है कि आपका बच्चा मोटापे का शिकार हो. दरअसल, बाल रोग विशेषज्ञों की संस्था Indian Academy of Pediatrics ने बच्चों में बढ़ते मोटापे को लेकर चिंता जाहिर की है और मोटापे को लेकर Guidelines को Update किया है. जिसके बाद अब मोटापा बीमारी कहलाएगा.

सर्वे ने चौंकाया

मोटापे को बीमारी परिभाषित करने का आधार बच्चों में बढ़ते मोटापे को बनाया गया है. जिसमें पिछले कुछ वर्षों में तेजी से इजाफा हुआ है. वर्ष 2019 से 2021 के बीच National Family Health Survey के मुताबिक भारत में 5 साल से कम उम्र के 3.4 फीसदी बच्चे मोटे थे. जबकि वर्ष 2015-2016 में National Family Health Survey के Data में 2.1 फीसदी बच्चों को मोटा पाया गया था. इससे पहले वर्ष 2006 में किए गए Survey में 1.6 फीसदी भारतीय बच्चे ही मोटे थे. National Family Health Survey के Data के आधार पर मोटापे को Cronic बीमारी के तौर पर परिभाषित किया गया है. अब तक मोटापे को BMI यानी Body Mass Index से मापा जाता था.

..तो उसे मोटा माना जायेगा

दरअसल मोटापा मापने की इस विधि में व्यक्ति या बच्चे की लंबाई और उसके वजन का अनुपात किया जाता है. जिसके बाद BMI कैलकुलेट किया जाता है. इसे आपको एक Example से समझते हैं. मान लीजिये किसी व्यक्ति की Height 5 feet है, जबकि उसका वजन 50 किलो. तब BMI 21.64 होगा, इसे सामान्य BMI माना जाता है. अगर व्यक्ति की Height 5 feet है, और उसका वजन 75 किलो है. तब उसका BMI 32.46 होगा. इस स्थिति में BMI ज्यादा है और व्यक्ति मोटा माना जाएगा. अगर किसी व्यक्ति का BMI 18.5 से 24.9 तो उसे सामान्य माना जाता है. जबकि व्यक्ति का BMI 30 से ज्यादा है तो उसे मोटा माना जायेगा.

..बच्चा Healthy भले ही दिख रहा हो

अबतक बच्चों के मोटे होने का पता BMI से ही लगाया जाता था, लेकिन अब बच्चों में मोटापा पता करने के लिए कमर भी मापी जायेगी. अमेरिका के Centre For Disease Control के मुताबिक. बच्चों की कमर की गोलाई, उनकी Height से आधी होनी चाहिए. अगर बच्चे की कमर की गोलाई Height के आधे से ज्यादा है, तो बच्चे को मोटा माना जाता है.. मान लीजिये बच्चे की Height 120 सेंटीमीटर है यानी 4 फीट. तब कमर की गोलाई 60 सेंटीमीटर से कम यानी 24 इंच से कम होनी चाहिए. ऐसे में जो बच्चे सामान्य से थोड़े ज्यादा मोटे हैं, उनके माता-पिता के लिए चिंता की बात है. बाहर से उनका बच्चा Healthy भले ही दिख रहा हो. लेकिन अंदर से किसी बीमारी का शिकार हो सकता है. इसलिए बच्चों के मोटापे को सामान्य समझकर Ignore करना भविष्य में नई मुश्किल खड़ी कर सकता है. दरअसल, एक Research से पता चला है कि

..तो बच्चों को मोटापे का खतरा 40 फीसदी तक

अगर मां-बाप में से कोई एक मोटापे से पीड़ित है, तो उनके बच्चों को मोटापे का खतरा 40 फीसदी तक रहता है. अगर मां-बाप दोनों मोटापे से पीड़ित हैं, तो उनके बच्चों को मोटापे का खतरा 80 फीसदी तक रहता है. बच्चों का ज्यादा Junk Food खाना भी उनमें मोटापे की वजह बन रहा है. खेलकूद जैसी शारीरिक गतिविधियों में हिस्सा ना लेना भी मोटापा बढ़ने की वजह बनता है. अगर आपका बच्चा Fruit और बाकी पौष्टिक आहार के बजाये Junk food को पसंद करता है, तो आपको उसकी आदत को बदलने की जरूरत है. क्योंकि, इससे बच्चों में मोटापा बढ़ेगा और मोटापा बच्चे को अंदर से काफी कमजोर कर देगा. जिससे भविष्य में बच्चे को कई तरह की बीमारियां अपना शिकार बना सकती हैं.

मोटापे को बीमारी के तौर पर परिभाषित करना चिंता की बात है, और आज बच्चे के मोटापे को Ignore करना उसे भविष्य में कई गंभीर बीमारियां दे सकता है. Doctors के मुताबिक..

- कम उम्र में वजन बढ़ने से बच्चों के अंगों का विकास नहीं होता
- तेजी से बढ़ता वजन बच्चों को चलने फिरने में दिक्कत करता है
- मोटापे की वजह से बच्चों को सांस फूलने की समस्या होने लगती है
- मोटापे की वजह से बच्चों की इम्यूनिटी कम होने लगती है
- मोटापे की वजह से बच्चों में डायबिटीज होने की संभावना बढ़ जाती है
- दिल की बीमारियां,hypertension और फैटी Lever हो सकता है

भविष्य के लिए खतरा

यानी आज जिसे सामान्य मोटापा समझने की आप भूल कर रहे हैं, वो भविष्य के लिए खतरा है. बच्चे इस खतरे से अनजान हो सकते हैं लेकिन आप नहीं. इसलिए जरूरी है कि भविष्य में बच्चों को बीमारियों से बचाने के लिए अभी से उन्हें स्वस्थ रखा जाये. मोटापा भारत ही नहीं, विश्व की समस्या बन रहा है. दुनिया में बच्चों में बढ़ते मोटापे को लेकर कई Survey और Research हुई हैं. पता चला कि अमेरिका में 20 फीसदी लोग Over Weight हैं. World Heath Organisation की एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2020 में दुनिया में 5 साल से कम उम्र के 3 करोड़ 90 लाख बच्चे मोटापे के शिकाऱ थे. दूसरी तरफ भारत को लेकर यूनिसेफ की रिपोर्ट कहती है कि..

- भारत दुनिया का ऐसा दूसरा देश है, जहां बच्चों में मोटापा बहुत तेजी से फैल रहा है.
- भारत में इस समय 14.4 Million यानी 1 करोड़ 44 लाख बच्चे मोटापे से पीड़ित हैं.
- वर्ष 2030 तक मोटापे से पीड़ित बच्चों की संख्या 27 Million यानी 2 करोड़ 70 लाख होने का अनुमान है.
- World Obesity Federation की Study में कहा गया कि वर्ष 2035 तक भारत की 11 फीसदी आबादी मोटापे का शिकार होगी.

बड़े खतरे की घंटी

जिस रफ्तार से बच्चों में मोटापा बढ़ रहा है, और उसे अनदेखा किया जा रहा है. वो बड़े खतरे की घंटी है, इसलिए बाल रोग विशेषज्ञों की संस्था Indian Academy of Pediatrics ने मोटापे को लेकर Guidelines को Update किया है. इसलिए आप इस खतरे को समझिये, अपने बच्चों का ख्याल रखें और खुद भी सावधान रहें. ताकि आज आपके बच्चे का मोटापा आने वाले कल में उसके लिए बीमारियों का पिटारा ना बन पाए. बच्चों में मोटापा बड़े खतरे की तरफ इशारा है, दुनिया के कई देशों ने इस खतरे को देखते हुए जरूरी कदम भी उठाए हैं. अब भारतीयों को सावधान होने की जरूरत है. दरअसल, बच्चों में बढ़ते मोटापे की सबसे बड़ी वजह Junk food हैं, जिन्हें बच्चे बड़े चाव से खाते हैं.

जंक फूड सबसे बड़ी वजह

बाजार में बिकने वाले Junk food भले ही जीभ का स्वाद बढ़ाते हों, लेकिन बच्चों में मोटापा बढ़ने की सबसे बड़ी वजह भी हैं. अक्सर, Junk food खाने के बाद बच्चे पौष्टिक भोजन करना पसंद नहीं करते. इसलिए माता-पिता के लिए जरूरी है कि वो बच्चों पर ध्यान दें.
- जहां तक संभव हो बच्चों को Junk food कम से कम खाने दें.
- बच्चों के पौष्टिक आहार का ध्यान रखें
- खाने में साबूत अनाज और लो फैट डेयरी प्रोडेक्ट दें
- बच्चों को Outdoor Game खेलने के लिए प्रेरित करें.
- मोबाइल और टीवी कम से कम देखने दें.

मोबाइल ने बच्चों को खेलकूद से दूर किया

एक मोबाइल कंपनी के सर्वे के मुताबिक 83 फीसदी बच्चों को लगता है कि Mobile Phone उनकी ज़िंदगी का अहम हिस्सा है, औसतन बच्चे साढ़े 6 घंटे मोबाइल में बिता रहे हैं. मोबाइल ने बच्चों को खेलकूद से दूर किया है. जिस वजह से वो शारीरिक मेहनत नहीं करते और उनमें मोटापा बढ़ने लगता है. अगर Britain की बात करें तो वहां 5 में से 2 लोग मोटापे के शिकार हैं. बढ़ते मोटापे को लेकर Britain ने कई जरूरी कदम उठाए थे. Junk food के विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगा दिया था. एक के साथ एक Free Junk food को प्रतिबंधित किया. हालांकि, ब्रिटेन में इन प्रतिबंधों का कड़ा विरोध हुआ, जिसके बाद सरकार ने वर्ष 2025 तक इन प्रतिबंधों को Hold कर दिया. लेकिन भारत में अब भी Junk food को लेकर बच्चे उत्साहित रहते हैं.

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