Operation Sarp Vinash: डोडा क्षेत्र में आतंकवादियों से मुठभेड़ों की वर्तमान स्थिति 2003 के उस दौर की याद दिलाती है जब हालात बेकाबू थे. उस दौरान लेफ्टिनेंट जनरल रोस्टम नानावट्टी की अगुवाई में भारतीय सेना की नॉर्दन कमांड ने आतंकवाद प्रभावित पहाड़ी इलाकों को खाली कराने के लिए ऑपरेशन सर्प विनाश शुरू किया था.
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Terror attack in Jammu Kashmir: जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में आधा साल बीतने के बाद आतंकवादी घटनाओं में जबरदस्त इजाफा हुआ तो सवाल उठा कि बीते कुछ सालों में खासकर जम्मू-कश्मीर से 370 हटने के बाद जबरदस्त शांति रही. इसके साथ ही काफी हद तक आतंकी घटनाओं पर भी लगाम लगी थी. अब अचानक ऐसा क्या हो गया कि आतंकी छोटे-छोटे इंटरवल पर हमले करने लगे. आतंकी हमलों की पड़ताल में पता चला कि कुछ महीनों में कश्मीर में आतंकी नेटवर्क ध्वस्त हुआ तो आतंकवादियों ने एक बार फिर जम्मू पर फोकस किया. अब ऐसा लग रहा है कि जम्मू से आंतकवाद का समूल सफाया करने के लिए 2003 के दौर में पीर पंजाल में चलाए गए ऑपरेशन 'सर्पविनाश' के जैसा तांडव दोहराने की जरूरत है.
डोडा एनकाउंटर और 2003 का वो दौर...
जम्मू-कश्मीर के डोडा इलाके में फिर मुठभेड़ शुरू हुई. लोकल पुलिस के मुताबिक डोडा के कस्तीगढ़ इलाके में ऑपरेशन जारी है. एनकाउंटर मुठभेड़ के दौरान हमारे 2 जवान घायल हो गए. डोडा क्षेत्र में आतंकवादियों से मुठभेड़ों की वर्तमान स्थिति 2003 के उस दौर की याद दिलाती है जब हालात बेकाबू थे. उस दौरान लेफ्टिनेंट जनरल रोस्टम नानावट्टी की अगुवाई में भारतीय सेना की नॉर्दन कमांड ने आतंकवाद प्रभावित पहाड़ी इलाकों को खाली कराने के लिए ऑपरेशन 'सर्प विनाश' शुरू किया था.
क्या है ऑपरेशन 'सर्प विनाश': 14 दिन में सेना ने मार गिराए थे 60 से ज्यादा आतंकवादी
वो 1990 का दशक था जब सेना कश्मीर में आतंकवाद को कम करने के लिए मैराथन कोशिश कर रही थी. उस दौर में भी पाकिस्तान के पाले आतंकवादियों ने जम्मू की ओर फोकस किया था. उस दौर में आतंकवादी सीमावर्ती जिलों राजौरी और पुंछ के भीतरी इलाकों में घुस गए थे. उन्होंने आम लोगों के शेल्टर्स तक में कब्जा कर लिया था. आपको बताते चलें कि राजौरी में 60%मुस्लिम और 30% हिंदू आबादी है. जबकि पुंछ मुस्लिम बहुल इलाका है जहां अधिकांश मुसलमान आबादी है.
1998 से 2003 तक के करीब पांच सालों में आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद के गुर्गों ने सुरनकोट तहसील के बखेरवाल गांव हिलकाका को अपना बेस बना लिया था. हालात काबू से बाहर थे. उन्होंने इस इलाके को आतंकवादी किले में बदल दिया था. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक आतंकवादियों की तादाद इतनी ज्यादा थी कि उन्होंने वहां अपने लिए अस्पताल बनाने के साथ सैकड़ों लोगों के लिए दो महीने तक का राशन जुटा लिया था.
तब अप्रैल-मई 2003 में भारतीय सेना ने ‘सर्प विनाश’ अभियान शुरू किया, जिसके बाद हिलकाका इलाके को मुक्त कराया गया था. सेना के उस अभियान में करीब 15000 सैनिक और सुरक्षाबल शामिल थे. इस अभियान में 60 से अधिक आतंकवादी ढेर कर दिए गए थे. उसी दौरान हमारी सेना ने कम्युनिकेसन गैजेट्स के साथ हथियार और गोला-बारूद की बड़ी खेप भी बरामद की थी. उस ऑपरेशन में बंकरों को उड़ाने के लिए सेना ने हेलिकॉप्टरों का इस्तेमाल किया था. 2024 में आतंकवादियों के बढ़े हौसले ने एक बार फिर 'ऑपरेशन सर्प विनाश' की याद दिला दी है.
मई-जून, 2024 तक इक्का-दुक्का टारगेट किलिंग के मामलों को छोड़ दिया जाए तो लगता था कि हालात काबू में हैं. वहीं बढ़ते आतंकी हमलों का विश्लेषण करें तो सीमा पार पाकिस्तान में बैठकर आतंकवाद की फैक्ट्री चलाने वालों दहशतगर्दों के हौसले बुलंद हैं. घुसपैठ के इस मॉडल पर नजर डालें तो पता चलता है कि पाकिस्तान में राजनीतिक उथल-पुथल के बावजूद, चरमपंथी नेटवर्क लगातार पीर पंजाल (Pir Panjal) के दक्षिण में अपने लिए सेफ हैवेन यानी सुरक्षित ठिकाने की तलाश में रहते हैं, उन्हें जब भी मौका मिलता है वो घात लगाकर हमारी सेना और सुरक्षा बलों पर हमला करने से चूकते नहीं है.
2024 में 48 जगहों पर एक साथ वार!
डोडा के ताजा हालातों की बात करें तो आतंकियों के खिलाफ आज सुरक्षाबलों के ऑपरेशन का चौथा दिन है. खबर ये भी है कि आतंकी कई गुटों में छिपे हुए हैं. सेना ने आतंकियों के पूरी तरह से सफाए का मन बना लिया है. बढ़ती आतंकी गतिविधियों का समूल नाश करने के लिए सेना भी बड़ा ऑपरेशन चला रही है. ऐसे में सुरक्षाबलों ने 80 किलोमीटर के दायरे में 48 स्पॉट चिन्हित किए हैं. हेलीकॉप्टर और ड्रोन की मदद से लगातार जंगलों में ऑपरेशन चल रहा है. रुक-रुक कर फायरिंग की आवाजें आ रही हैं.