वायुसेना को मिला 'ब्रह्मास्त्र', जमीन हो चाहे समंदर, सैकड़ों किमी दूर से दुश्मन होंगे तबाह
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वायुसेना को मिला 'ब्रह्मास्त्र', जमीन हो चाहे समंदर, सैकड़ों किमी दूर से दुश्मन होंगे तबाह

वायुसेना के सूत्रों के मुताबिक मिसाइल ने अपने सारे चरण क़ामयाबी से पूरे किए और टार्गेट पर अचूक वार किया. इस परीक्षण के क़ामयाब होने के बाद ब्रह्मोस मिसाइल से सुखोई फ़ाइटर को लैस करने का काम पूरा हो गया है. 

सुखोई में ब्रह्मोस में फिट करने का काम देश में हिंदुस्तान एयरोनॉटिकल लिमिटेड ने काफ़ी कम खर्चे में किया है.
सुखोई में ब्रह्मोस में फिट करने का काम देश में हिंदुस्तान एयरोनॉटिकल लिमिटेड ने काफ़ी कम खर्चे में किया है.

नई दिल्ली: भारतीय वायुसेना को मंगलवार को अपना ब्रह्मास्त्र मिल गया. वायुसेना अब 300 किमी से भी ज्यादा दूरी से जमीन या समुद्र में मौजूद दुश्मन के किसी बड़े ठिकाने पर अचूक हमला कर उसे तबाह कर सकती है. उड़ीसा के तट के पास वायुसेना के सुखोई 30 फ़ाइटर जेट ने हवा से ब्रह्मोस मिसाइल का फ़ायर कर समुद्र में तय टार्गेट को तबाह कर दिया. वायुसेना के सूत्रों के मुताबिक मिसाइल ने अपने सारे चरण क़ामयाबी से पूरे किए और टार्गेट पर अचूक वार किया. इस परीक्षण के क़ामयाब होने के बाद ब्रह्मोस मिसाइल से सुखोई फ़ाइटर को लैस करने का काम पूरा हो गया है. 

भारत और रूस के सहयोग से बनी ब्रह्मोस मिसाइल बेहद अचूक और कारगर मानी जाती है. भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना में इसे शामिल किया जा चुका है. लेकिन वायुसेना के सबसे अच्छे फ़ाइटर जेट को इस मिसाइल को लैस करने से दुश्मन के अंदरूनी ठिकानों पर अचूक हमला करने की ताक़त मिल गई है. सुखोई में फ़िट होने वाली ब्रह्मोस मिसाइल 2.5 टन वज़नी है और इसी रेंज 300 किमी है. यानि अब सुखोई भारतीय सीमा के अंदर रहते हुए भी पाकिस्तान के 300 किमी अंदर मौजूद आतंकवादी कैंप को तबाह कर सकता है. सुखोई में ब्रह्मोस में फिट करने का काम देश में हिंदुस्तान एयरोनॉटिकल लिमिटेड ने काफ़ी कम खर्चे में किया है.

वायुसेना ने सबसे पहले 22 नवंबर 2017 को समुद्र में खड़े एक जहाज़ पर ब्रह्मोस का फ़ायर परीक्षण किया था जो पूरी तौर पर सफ़ल रहा. इसके बाद 22 मई 2019 को ज़मीन पर बनाए गए एक टार्गेट को सुखोई से फ़ायर हुई ब्रह्मोस ने तबाह कर दिया. 17 दिसंबर को एक बार फ़िर समुद्री टार्गेट पर फ़ायर किया गया, जिसके कामयाब होने के बाद साबित हो गया कि ब्रह्मोस के सारे सिस्टम सुखोई के सिस्टम के साथ तालमेल में हैं और ये दुश्मन पर वार करने के लिए तैयार है.

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