बीसीसीआई के अध्यक्ष सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) को हाल में ही हार्ट अटैक (Heart Attack) आया था. हालांकि अब वो ठीक हो गए हैं और अस्पताल से घर जा चुके हैं. पर उन्होंने प्रसिद्ध कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर देवी शेट्टी से कहा कि वो देश के लोगों को उनके दिल की बात बताएं. अब आगे जो हम आपसे कहने जा रहे हैं, उसे उन लोगों को बहुत ध्यान से समझना चाहिए जो फिट रहने के लिए जिम जाते हैं. खास तौर पर 40 साल की उम्र पार कर चुके लोग.
40 की उम्र के बाद लोगों को लगता है कि एक्सरसाइज करके वो दिल की बीमारी को दूर कर सकते हैं. पर उनके लिए हमारी सलाह है कि वो ऐसा बिल्कुल न करें. बिना उचित सलाह के कोई भी व्यायाम शुरू न करें क्योंकि, एक रिसर्च से पता चला है कि भारत में दिल के 10 मरीजों में 4 की उम्र 40 वर्ष से कम है. अगर आपकी उम्र भी 35 वर्ष से अधिक है और आपने अपने जीवन में पहली बार एक्सरसाइज शुरू की है तो इससे आपको फायदा होने के बदले नुकसान भी हो सकता है.
हालांकि हार्ट अटैक की एकमात्र वजह अनफिट होना नहीं है और किसी फिट व्यक्ति को भी हार्ट अटैक होने की कई वजहें हो सकती हैं. हालांकि अपनी फिटनेस का ध्यान रखकर आप इसकी आशंका को कम कर सकते हैं.
भारत में हार्ट अटैक से मरने वाले ज्यादातर लोगों की उम्र 30 से 50 वर्ष के बीच होती है. इसलिए विशेषज्ञ कहते हैं कि अलग अलग उम्र के लोगों को अपने दिल का ख्याल अलग अलग तरीकों से रखना चाहिए.
बचपन से लेकर 20 वर्ष तक की उम्र में दिल सबसे ज्यादा मजबूत होता है, इस उम्र में आप जितना खेलेंगे, कूदेंगे. आपके हृदय का स्वास्थ्य उतना ही अच्छा रहेगा, साइकलिंग और व्यायाम के जरिए भी इस उम्र के लोग अपने दिल को स्वस्थ बना सकते हैं.
20 से 30 वर्ष की उम्र के लोगों को Cycling, Swimming और Running करनी चाहिए. आप ये सारे व्यायाम 30 वर्ष की उम्र के बाद भी कर सकते हैं.
अगर आपने ये व्यायाम 35 या 40 वर्ष की उम्र के बाद शुरू किए हैं तो आप Running और Cycling न करें, बल्कि सुबह-शाम तेज़ी से चहलकदमी करें और जिम में भी हल्के फुल्के व्यायाम ही करें.
21 से 40 वर्ष की उम्र ऐसी होती है जब आपको अपने स्वास्थ्य पर सबसे ज्यादा निवेश करना चाहिए. Bank के Fixed Deposit की तरह ये निवेश आपको बुढ़ापे में अच्छा रिटर्न देगा और आप बुढ़ापे में भी स्वस्थ रहेंगे.
खुद को स्वस्थ रहने के लिए आपको बहुत ज्यादा एक्सरसाइज की नहीं, बल्कि रेगुलर एक्सरसाइज और स्वस्थ भोजन करने की जरूरत है.
अगर आप अपने दिल को स्वस्थ रखना चाहते हैं तो आपको अपने दिल का ध्यान रखना होगा और उसकी बातें भी सुननी होगी. हार्ट अटैक आने से पहले ही इन बीमारियों की पहचान करने का तरीका एकदम आसान है.
सबसे पहले आप अपना Fasting Lipid Profile यानी Blood Test करवा सकते हैं. इससे आपके शरीर में कोलेस्ट्रोल के स्तर का पता चल सकता है और इसका आपके हृदय के स्वास्थ्य से सीधा संबंध है.
दिल के स्वास्थ्य का हाल बताने वाला सबसे सामान्य टेस्ट है, Electro Cardio Gram. इसे ECG भी कहा जाता है. ECG में दिल की धड़कन को विद्युत तरंगों के रूप में देखा जा सकता है और इन्हीं तरंगों से दिल की बीमारी का पता लगाया जाता है.
एक और टेस्ट है, Echo Cardio Gram. इसे आप ECHO टेस्ट के नाम से भी जानते हैं. इसमें हाई फ्रीक्वेंसी की ध्वनि तरंगों से आपके हार्ट के वाल्व और चैंबर्स की तस्वीर बनाई जाती है और आपके हृदय के काम करने की क्षमता के बारे में पता चलता है.
हृदय की जांच के लिए ट्रेडमिल टेस्ट भी किया जाता है. इसके लिए मरीज को ट्रेडमिल पर चलना या दौड़ना होता है. शारीरिक परिश्रम के दौरान आपके हृदय पर तनाव के असर को रिकॉर्ड किया जाता है.
ये तीनों बेसिक टेस्ट हैं. इन टेस्ट के आंकड़ों से आपके दिल के बारे में प्रमुख जानकारियां मिल जाती हैं. अगर इन जांचों में कोई समस्या मिले तो एडवांस टेस्ट की जरूरत होती है.
35 से 40 वर्ष की उम्र के बाद ये सभी टेस्ट आपको हर वर्ष एक बार जरूर करवाने चाहिए.
अगर आप मोटापे की समस्या से पीड़ित हैं, तो आपका ब्लड प्रेशर सामान्य से कम या ज्यादा रहता है और आपके शरीर में कोलेस्ट्रोल का स्तर भी अधिक हो तो आप अपने दिल का चेकअप 30 वर्ष की उम्र से पहले भी करवा सकते हैं.
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