परमाणु हथियारों पर नजर रखने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था Stockholm International Peace Institute की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले एक वर्ष में पाकिस्तान के पास परमाणु हथियारों की संख्या 160 से बढ़ कर 165 हो गई है. मतलब एक साल में पाकिस्तान ने पांच नए परमाणु बम विकसित किए हैं.
चीन ने भी पिछले एक साल में परमाणु हथियारों की संख्या 320 से बढ़ा कर, साढ़े तीन सौ कर ली है और सीमा पर ये दोनों देश भारत के लिए एक बड़ी चुनौती हैं, लेकिन भारत परमाणु हथियारों की संख्या में चीन और पाकिस्तान दोनों से पीछे है. पिछले एक वर्ष में भारत ने 6 नए परमाणु हथियार विकसित किए हैं, लेकिन अब भी ये संख्या 150 से 156 ही हो पाई है. इस हिसाब से देखें तो भारत की तुलना में पाकिस्तान के पास 9 ज्यादा परमाणु हथियार हैं और चीन के पास हमारे देश से 194 अधिक परमाणु हथियार हैं. अगर दोनों देशों के परमाणु हथियारों को जोड़ दें ये संख्या होती है 515. आप कह सकते हैं कि इस समय भारत के चारों तरफ 515 परमाणु हथियार बिछे हुए हैं.
इस रिपोर्ट में दूसरे देशों की स्थिति भी बताई गई है. जैसे अमेरिका ने परमाणु हथियारों की संख्या घटाई है- 2020 में उसके पास 5 हज़ार 800 परमाणु हथियार थे, जो अब 5 हजार 550 रह गए हैं.
इसी तरह रूस ने भी परमाणु हथियारों की संख्या 120 तक कम की है. हालांकि रूस अब भी पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा परमाणु हथियार रखने वाला देश बना हुआ है. आप कह सकते हैं कि रूस के पास इतने परमाणु हथियार हैं कि दुनिया के 195 देशों को तीन बार खत्म किया जा सकता है. हालांकि यहां हम आपको एक जरूरी बात बता दें कि अमेरिका और रूस ने परमाणु हथियारों की संख्या जरूर घटाई है, लेकिन ये दोनों देश पहले से मौजदू परमाणु हथियारों को अत्याधुनिक रूप देने में जुटे हैं. इसके अलावा इसका एक और कारण है और वो ये कि 1970 के दशक में सोवियत यूनियन और अमेरिका के बीच एक समझौता था, जिसके तहत इन देशों ने दुनिया में शांति के लिए परमाणु हथियारों की संख्या घटाने का लक्ष्य तय किया था और ये उसी पर काम कर रहे हैं.
लेकिन जो बड़ी बात है, वो ये कि भारत, चीन और पाकिस्तान, इन देशों ने परमाणु हथियारों की संख्या बढ़ाई है और ऐसे में सवाल यही है कि क्या इसका मतलब ये है कि ये देश भारत से ज्यादा मजबूत हैं? तो इस सवाल के दो जवाब हैं. पहला जवाब ये है कि किस देश के पास कितने परमाणु हथियार हैं, इस बात से ज्यादा जरूरी ये होता है कि वो देश इन परमाणु हथियारों को कैसे लॉन्च कर सकता है और इस मामले में भारत काफी आगे है. भारत जमीन, आकाश और पानी तीनों जगह से परमाणु हथियारों को लॉन्च कर सकता है. भारत के पास ऐसी लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइल हैं, जिनकी मदद से वो परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है.
जमीन से लॉन्च करने पर भारत के पास पहली मिसाइल है पृथ्वी II इस Ballistic Missile जिसकी मारक क्षमता 350 किलोमीटर तक है. दूसरी मिसाइल है Agni I जिसकी मारक क्षमता 700 किलोमीटर है. ये ऐसी मिसाइल है जो लगभग पूरे पाकिस्तान को कवर कर सकती है. तीसरी मिसाइल है Agni-II जिसकी मारक क्षमता 2 हजार किलोमीटर है और इस मिसाइल की रेंज में पूरा दक्षिणी चीन आता है. और चौथी मिसाइल है Agni III जिसकी मारक क्षमता 3 हजार किलोमीटर है और ये मिसाइल चीन का लगभग आधा क्षेत्रफल कवर कर सकती है. भारत एक और मिसाइल विकसित कर चुका है जो है Agni V इसकी मारक क्षमता 5 हजार किलोमीटर है इसके विकसित होने के बाद पूरा एशिया, चीन, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका और यूरोप के कुछ देश इसकी रेंज में आ जाएंगे. ये तो हुई जमीन से हमले की ताकत की बात.
अब आपको बताते हैं भारत आकाश में कैसे परमाणु हथियारों को लॉन्च कर सकता है. भारत सुखोई-30, मिराज 2000 और Jaguar फाइटर Jets को अपडेट कर चुका है, जो आसमान से परमाणु हथियार दूसरे देशों पर दाग सकते हैं. इसके अलावा आने वाले समय में रफाल विमानों से भी परमाणु हमलों को अंजाम दिया जा सकेगा और इससे भारत की ताकत बढ़ जाएगी. जमीन और आकाश के बाद अब पानी की बात करते हैं. भारत पानी से परमाणु हमला करने में भी पाकिस्तान से काफी आगे है, लेकिन इस मामले में हम चीन से थोड़ा पीछे हैं. अब तक भारत के पास एक Nuclear Submarine INS Arihant है, जिससे परमाणु हमला किया जा सकता है. INS Arihant 700 किलोमीटर रेंज वाली K-15 बैलेस्टिक मिसाइल से लैस है, जबकि पाकिस्तान के पास अभी ऐसी एक भी सबमरीन नहीं है और चीन के पास 6 सबमरीन हैं. कहने का मतलब ये है कि भले चीन और पाकिस्तान के पास परमाणु हथियारों की संख्या ज्यादा है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि भारत कमजोर है और बड़ी बात भारत के लिए इसमें घबराने जैसी कोई बात नहीं है. इसे दूसरे जवाब से समझिए. दूसरा जवाब ये है कि परमाणु बम, हमला करने के लिए नहीं बल्कि दूसरे देशों पर दबाव बनाने के लिए होते हैं. अंग्रेजी में इसके लिए Strategic Deterrence शब्द का इस्तेमाल होता है, जिसका मतलब ये होता है कि ऐसी ताकत विकसित कर लो कि दुश्मन देश हमला करने से पहले एक हजार बार सोचे और हमला कर ही न पाए. यानी परमाणु हथियार हाथी के दांत की तरह होते हैं. दिखाने के अलग और खाने के अलग.
आप इसे इस बात से समझिए कि 16 जुलाई वर्ष 1945 को अमेरिका ने न्यू मेक्सिको में दुनिया के पहले परमाणु बम का सफल परीक्षण किया था और इसके 20 दिन बाद ही 6 अगस्त 1945 को अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा शहर पर दाग दिया था. इसके तीन बाद 9 अगस्त को अमेरिका ने एक और परमाणु बम जापान के नागासाकी शहर पर दागा था. तब इन परमाणु हमलों में लगभग 2 लाख लोगों की जान गई.
उसके बाद से आज तक पूरी दुनिया में 13 हजार से अधिक परमाणु बम बनाए जा चुके है, लेकिन कभी इन बमों का इस्तेमाल नहीं हुआ और इसका ज़िक्र Stockholm International Peace Institute की इस रिपोर्ट में भी है.
इस रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया के 9 देश परमाणु शक्ति से संपन्न हैं, जिनके पास कुल 13 हजार 80 परमाणु हथियार हैं. हालांकि पिछले साल परमाणु हथियारों की यही संख्या 13 हजार 400 थी.
ब्रिटेन में परमाणु हथियारों की संख्या इतनी है.
चीन में परमाणु हथियारों की संख्या.
फ्रांस में परमाणु हथियारों की संख्या.
भारत में परमाणु हथियारों की संख्या.
नॉर्थ कोरिया में परमाणु हथियारों की संख्या
पाकिस्तान में परमाणु हथियारों की संख्या
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