राफेल डील: निगोशिएटिंग टीम के हेड एयरमार्शल एसबीपी सिन्हा ने अखबार के दावों को किया खारिज
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राफेल डील: निगोशिएटिंग टीम के हेड एयरमार्शल एसबीपी सिन्हा ने अखबार के दावों को किया खारिज

सिन्हा ने कहा कि 'एंटी करप्शन क्लॉज' जैसा कोई भी क्लॉज इससे पहले के किसी भी सौदे में नहीं रहा है.

सिन्हा ने कहा कि एक बात को साबित करने के लिए नोट के कुछ चुने हुए हिस्सों को ही सामने लाया गया है.

नई दिल्ली: राफेल विमान सौदे की निगोशिएटिंग टीम की अगुवाई करने वाले एयर मार्शल एसबीपी सिन्हा ने अंग्रेजी अखबार 'द हिंदू' के दावों को खारिज किया है. सिन्हा ने कहा कि एक बात को साबित करने के लिए नोट के कुछ चुने हुए हिस्सों को ही सामने लाया गया है. तथ्य ये है कि उनमें से कोई भी भारतीय निगोशिएटिंग टीम से जुड़ा हुआ नहीं था. उन्होंने कहा कि राफेल विमान सौदे की 7 सदस्यीय भारतीय निगोशिएटिंग टीम ने बिना किसी असंतोष के अंतिम रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी. 

एयर मार्शल एसबीपी सिन्हा ने सरकार से सरकार के बीच बातचीत मामले में 'एंटी करप्शन क्लॉज' को लेकर कहा कि यह पहली नहीं तीसरी बार फ्रांस के साथ हुआ. इससे पहले अमेरिका और रूस से 'सरकार से सरकार' के अनुबंध के तहत बातचीत हो चुकी थी. उन्होंने कहा कि 'एंटी करप्शन क्लॉज' जैसा कोई भी क्लॉज किसी भी सौदे में नहीं रहा है. गौरतलब है कि हाल ही में अंग्रेजी अखबार 'द हिंदू' ने एक रिपोर्ट छापकर राफेल विमान खरीद मामले को लेकर कई दावे किए थे. इन दावों को एयरमार्शल सिन्हा ने सिरे से खारिज कर दिया. 

क्या है विवाद
अंग्रेजी अखबार ने दावा किया था कि केंद्र सरकार ने राफेल सौदे को लेकर एंटी करप्शन क्लॉज जैसी महत्वपूर्ण शर्त को हटा दिया था. अखबार का दावा था कि रक्षा मंत्रालय के साथ ही प्रधानमंत्री कार्यालय भी फ्रांसीसी पक्ष से बातचीत कर रहा था. 

अखबार की रिपोर्ट में कहा गया है कि रक्षा मंत्रालय ने इसको लेकर आपत्ति जताई कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने राफेल विमान सौदे को लेकर फ्रांस के साथ समानांतर बातचीत की जिससे इस बातचीत में रक्षा मंत्रालय का पक्ष कमजोर हुआ. राफेल विमान सौदे को लेकर कांग्रेस और राहुल गांधी प्रधानमंत्री और अनिल अंबानी पर लगातार हमले कर रहे हैं. सरकार और अनिल अंबानी के समूह ने उनके आरोपों को पहले ही खारिज किया है.

उधर रॉबर्ट वाड्रा से धनशोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय की पूछताछ को लेकर बीजेपी के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, ''जिसके खिलाफ आप कार्रवाई करना चाहते हो करो क्योंकि आप सरकार में हो, लेकिन इस पर (राफेल) भी कार्रवाई करो. आप चिदंबरम के खिलाफ कोई जांच कराइए, वह इसका सामना करेंगे. आपको कांग्रेस में जिसके खिलाफ कार्रवाई करनी है, करिए. लेकिन राफेल पर आपने समानांतर बातचीत की है, इस पर जवाब दीजिए.''

वहीं, इस मामले पर रक्षामंत्री निर्मला सीतारमन ने जवाब देते हुए कहा था कि प्रधानमंत्री की ये जिम्‍मेदारी होती है कि वह किसी भी डील की जानकारी लें कि उसमें कितनी प्रगति हुई. इसमें क्‍या गलती है. प्रधानमंत्री तो कई और कार्यक्रमों की जानकारी लेते हैं.

निर्मला सीतारमन ने कहा था, कांग्रेस और राहुल गांधी इस मुद्दे पर झूठ बोल रहे हैं. इस डील के मामले में अखबार ने पूरा सच नहीं दिखाया. अखबार को पूरा सच दिखाना चाहि‍ए था. रक्षामंत्री ने कांग्रेस की ओर से उठ रहे सवालों पर ही प्रश्‍न उठाते हुए कहा कि क्‍या यूपीए के शासनकाल में सोनिया गांधी के एनएसी का दखल पीएमओ में था.

रक्षामंत्री ने कहा, अखबार ने आधा सच छापा है. इसीलिए मैं कहना चाहूंगी कि उनका उद्देश्‍य लोगों के मन में सिर्फ संदेह पैदा करना था. निर्मला सीतारमन ने कहा, मैं कांग्रेस से पूछना चाहूंगी कि उनके समय में नेशनल एडवाइजरी काउंसिल क्‍या थी. ये सोनिया गांधी के अंडर में काम करती थी. ये एक संवैधानिक संस्‍था नहीं थी. ये एक पीएमओ का रिमोट कंट्रोल था.

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