बीजेपी (BJP) को घेरने की जल्दबाजी में राहुल गांधी (Rahul Gandhi) शायद फैक्ट चेक करना भूल गए. वैसे भी वोट की राजनीति ऐसी ही होती है कि बड़े-बड़े नेताओं को अपना इतिहास याद नहीं रहता है.
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नई दिल्ली: अब हम आपके साथ राजनीति की एक ऐसी कहानी शेयर करेंगे, जिसमें सरकार के विरोध के लिए दिन को रात और रात को दिन कहा जा रहा है. इस कहानी के मुख्य किरदार हैं कांग्रेस पार्टी के सांसद राहुल गांधी.
राहुल गांधी (Rahul Gandhi) छुट्टी मनाकर विदेश से लौट आए हैं और उन्हाेंने अपनी छुट्टियों के बीच वाली राजनीति शुरू कर दी है. किसानों का आंदोलन (Farmers Protest) दिल्ली में चल रहा है, लेकिन वो इसको समर्थन देने के लिए तमिलनाडु के मदुरै पहुंच गए, जहां उन्होंने किसानों को समर्थन देने के लिए जल्लीकट्टू (Jallikattu) खेल का आनंद लिया. ये खेल पोंगल के मौके पर हर वर्ष आयोजित किया जाता है.
यहां उन्होंने दिल्ली में 50 दिनों से जारी किसान आंदोलन पर अपने विचार दिए,जबकि वो दिल्ली के किसान आंदोलन में अब तक नहीं पहुंचे हैं.
बीजेपी को घेरने की जल्दबाजी में राहुल गांधी शायद फैक्ट चेक करना भूल गए. वैसे भी वोट की राजनीति ऐसी ही होती है कि बड़े-बड़े नेताओं को अपना इतिहास याद नहीं रहता है. राहुल गांधी के साथ भी शायद ऐसा ही हुआ.
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ये वही राहुल गांधी हैं, जिनकी पार्टी की UPA सरकार ने 10 वर्ष पहले जल्लीकट्टू के त्योहार पर पाबंदी लगाई थी. राहुल गांधी को आज ये भी याद नहीं रहा कि जयराम रमेश, जो वर्ष 2011 में देश के पर्यावरण मंत्री थे और उन्होंने ही ऐसे त्योहारों के लिए सांड के इस्तेमाल पर रोक लगाई थी. यानी कांग्रेस पार्टी के लिए वर्ष 2011 में जल्लीकट्टू का खेल खतरनाक था. इसलिए उन्होंने इस पर प्रतिबंध लगा दिया था. तमिलनाडु में वर्ष 2016 में जब विधानसभा चुनाव होने थे, तब कांग्रेस पार्टी ने अपने घोषणापत्र में लिखा था कि वो जल्लीकट्टू पर पाबंदी के साथ है.
इसलिए हम कहना चाहते हैं कि दूसरों पर आरोप लगाने से पहले किसी भी व्यक्ति को अपना इतिहास जरूर ध्यान में रखना चाहिए. जल्लीकट्टू एक विवादित खेल है. ये हम भी मानते हैं. वर्ष 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने भी जल्लीकट्टू पर रोक लगा दी थी. जिसका तमिलनाडु में भारी विरोध भी हुआ था. राहुल गांधी को तो शायद ये भी याद नहीं होगा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने वर्ष 2016 में जल्लीकट्टू और बैलगाड़ी प्रतियोगिता को कुछ शर्तों के साथ मंजूरी दी थी. अगर जल्लीकट्टू, तमिल संस्कृति का अहम खेल है, तो राहुल गांधी को ये जरूर बताना चाहिए कि आखिर उनकी पार्टी ने वर्ष 2016 में इस पर प्रतिबंध का समर्थन क्यों किया था?
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क्या राहुल गांधी को तब ये लगता था कि ये खेल बंद होने से तमिलनाडु की संस्कृति को नुकसान नहीं होगा?
लेकिन राहुल गांधी को अब ये सब बातें याद नहीं आएंगी उनकी भूलने वाली इस बीमारी की वजह भी आपको ज़रूर जानना चाहिए. ये वजह है तमिलनाडु विधान सभा चुनाव, जो कि इसी वर्ष अप्रैल या मई में होने हैं. तमिलनाडु में कांग्रेस को उम्मीद है कि DMK से गठबंधन करके वो सत्ता में लौट सकती है और राहुल गांधी को जल्लीकट्टू में वोट की संभावना दिख रही है. इसलिए आज उन्हें ये खेल अच्छा लग रहा है.