Jaipur News: कई संगठन भी सुबह से ही अस्पताल प्रशासन के खिलाफ डटे रहे. परिजनों ने कार्रवाई नहीं होने तक शव लेने से इनकार कर दिया तो अस्पताल प्रशासन ने दवाब में आकर कार्रवाई की है.
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Sawai Man Singh Hospital: राजस्थान स्थित जयपुर के सबसे बड़े सवाई मानसिंह अस्पताल को लापरवाही के मामले में आखिरकार कार्रवाई करनी पड़ी है. असल में गलत खून चढाए जाने के मामले में एसएमएस अस्पताल में भर्ती मरीज सचिन ने आखिरकार आज सुबह दम तोड़ दिया है. सचिन की मौत से एसएमएस अस्पताल प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं. एक ओर जहां परिजनों ने कार्रवाई नहीं होने तक शव लेने से इनकार कर दिया तो अस्पताल प्रशासन ने दवाब में आकर कार्रवाई करते हुए मामले में दोषी तीन डॉक्टर को एपीओ, एक नर्सिंगकर्मी निलंबित किया.
आरोप है कि सचिन को अस्पताल में गलत खून चढा दिया गया. दरअसल, सचिन का एक्सीडेंट होने के बाद कोटपुतली से एसएमएस के ट्रोमा सेंटर में रैफर किया गया था. जहां मरीज को ओ पॉजिटिव की जगह एबी पॉजिटिव ब्लड और प्लाज्मा चढ़ा दिया गया था. बताया जा रहा है कि इसे कारण से मरीज की दोनों किडनियां खराब हो गई थी. जिसके बाद मरीज का डायलिसिल किया जा रहा था. ज़ी मीडिया में पूरा मामला आने के बाद हड़कम्प मच गया. जिस पर एसएमएस मेडिकल कॉलेज द्वारा जांच कमेटी गठित की गई और मरीज सचिन के इलाज के लिए भी डॉक्टर्स की टीम का एक बोर्ड गठित किया गया. लेकिन मरीज का हालात लगातार क्रिटिकल बनी रही और आज सुबह उसकी मौत हो गई. सचिन की मौत से उसके परिजन सकते हैं.
परिजनों ने शव लेने से इनकार कर दिया..
बताया जा रहा है कि सचिन अपने परिवार में इकलौता कमाने वाला था. उसकी छोटी एक बहन है और पिता की भी तबियत ठीक नहीं रहती है. सचिन की मौत से सकते में आए परिजनों ने शव लेने से इनकार कर दिया था. सचिन के परिजनों ने एक ओर जहां दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है तो मुआवजा देने की भी मांग की गई.
प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल?
सचिन की मौत का समाचार फैलने के बाद कई संगठनों ने मोर्चरी के बाहर प्रदर्शन किया और मेडिकल कॉलेज तक रैली निकाल कर कार्रवाई की मांग करी. एसएमएस अस्पताल के बाहर मुख्य रोड पर जाम लगा दिया, लेकिन पुलिस प्रशासन की समझाइश से जाम को खोल दिया गया. जिसके बाद अस्पताल प्रशासन दोषियों को चिन्हित करने का काम किया. मामले में दोषी पर कार्यवाही देर से होने के कारण अस्पताल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे थे. पहले तो मीडिया में मामला आने के बाद अस्पताल प्रशासन ने जांच कमेटी गठित की.
एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ.राजीव बगरहट्टा ने बताया कि इस मामले को राज्य सरकार ने भी गंभीरता से लिया है. उन्होंने बताया कि जांच कमेटी को जल्द रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने बताया कि जांच रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजी जाएगी,जिसकी अनुशंषा पर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की गई.जांच रिपोर्ट में डॉक्टर एसके गोयल, डॉक्टर दौलत राम, नर्सिंग ऑफीसर अशोक कुमार वर्मा को दोषी पाया गया. अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ एसके गोयल को एपीओ किया गया.
वहीं एसएमएस मेडिकल कॉलेज इन सर्विस रेजिडेंट डॉक्टर दौलत, ऋषभ चलाना को भी एपीओ किया. इसी के साथ नर्सिंग ऑफीसर अशोक कुमार वर्मा को निलंबित किया. मामले की गंभीरता देखते हुए जयपुर शहर से हवा महल विधायक बालमुकुंद आचार्य और सिविल लाइन विधायक गोपाल शर्मा मौके पर पहुंचे उन्होंने एसएमएस मेडिकल कॉलेज से पूरी मामले की जानकारी प्राप्त करी. इसके बाद दोनों ही विधायक ने पुलिस प्रशासन और परिवारजन के बीच समझाइए शुरू करी जिससे मामला सुलझता हुआ कहीं ना कहीं नजर आया.
चार अस्पताल कर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई
एक तरफ जहां हवा महल विधायक बालमुकुंद आचार्य ने पुलिस और अस्पताल प्रशासन के बीच समन्वय बिठाया वही सिविल लाइन विधायक गोपाल शर्मा ने सामाजिक संगठन और मृतक की परिजनों से वार्ता कर समस्या का हल निकालने की पूरी कोशिश करी. आखिरकार एसएमएस अस्पताल प्रशासन को प्रदेश की जनता के सामने झुकना पड़ा, जिसके चलते चार अस्पताल कर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हुई.
मामले की गंभीरता को देखते हुए जयपुर शहर के कई संगठन भी सुबह से ही अस्पताल प्रशासन के खिलाफ डटे रहे. विप्र सेवा के अध्यक्ष सुनील उदेया और अनिल चतुर्वेदी सहित कई सामाजिक कार्यकर्ता अस्पताल पहुंचकर प्रशासन पर दबाव डालते हुए नजर आए. उन्होंने कहा कि ब्राह्मण समाज कभी भी किसी से कोई भीख नहीं मांगता है, हम केवल न्याय की मांग कर रहे हैं. आज अस्पताल प्रशासन ने ने एक व्यक्ति की जान लेने का काम करा है, हम इस जान को व्यर्थ नहीं जाने देंगे. जो भी अधिकारी कर्मचारी इस पूरे मामले में लिप्त है उसके खिलाफ सच्चे सख्त कार्यवाही हो जिससे आने वाला भविष्य सुरक्षित रह सके.