राजस्थान के अजमेर हज़रत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती के 810 वें उर्स की औपचारिक शुरुआत हो चुकी है.
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Ajmer: राजस्थान के अजमेर हज़रत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती के 810 वें उर्स की औपचारिक शुरुआत हो चुकी है. आज चांद दिखने के बाद ख्वाजा गरीब नवाज के मज़ार को पहला ग़ुस्ल दिया गया. आज से ही दरगाह में धार्मिक रसूमात की शुरुआत हो गई. आज ही दरगाह के महफ़िल खाने में पहली महफिले समां हुई. दरगाह के शाही कव्वालों ने सूफियाना कलाम पेश किए.
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दरगाह दीवान की सदारत में हुई इस बार सरकार की गाइडलाइन की वजह से महफ़िल में कुछ ही अकीदतमंदों ने अकीदत का इज़हार करते हुए महेफिल में शिरकत की. देर रात तक चली इस महफ़िल में अकीदतमंद बा अदब बैठे रहे. ग़ुस्ल के वक्त दरगाह दीवान सैय्यद जैनुअल आबेदीन अली खान पूरी हिफाज़त के साथ आस्ताने ख्वाजा गरीब नवाज में ग़ुस्ल की रस्म अदा करने जन्नती दरवाज़े से दाखिल हुए.
साथ रजब का चांद नज़र आने के साथ ही महान सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती रह. के 810 वें उर्स का आगाज हो गया है. रूय्यते हिलाल कमेटी अजमेर शहर क़ाज़ी क़ारी तौसिफ अहमद सिद्दीक़ी के मुताबिक इस साल रूय्यते आम हुई है 08 फरवरी को 6 रजब और 11 फरवरी को 9 रजब की तारिख रहेगी. रूय्यते हिलाल कमेटी में मौलाना ज़ाकिर शम्सी, मौलाना रमज़ान मौजूद रहे.
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आज से दरगाह शऱीफ में हुई पारंपरिक रस्में रजब का चांद दिखने के साथ ही दरगाह शरीफ़ में परम्परानुसार रस्में निभाई गई. इस मौके पर शाहजहानी दरवाजें से शादीयाने बजाए गए वहीं बड़े पीर साहब की पहाड़े से तोपें दागी गई. इस बार 810 उर्स के दो जुमे की नमाज़ आएगी इस साल ख्वाजा साहब के उर्स के मौके पर दो तारिखों 4 और 11 फरवरी को शुक्रवार की नमाज़ अदा की जाएगी. 08 फरवरी को होगा छठी का कुल। 11 फरवरी को होगा नवीं का कुल.
Reporter: Manveer Singh