दूनी तहसील मुख्यालय कहने को जिले का सबसे बड़ा पंचायत मुख्यालय है. इसके बावजूद भी आज कस्बे के लोग सालों से आवागमन के साधनों सहित अन्य मुलभूत सुविधा को तरस रहे है.
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Duni: राजस्थान का दूनी तहसील मुख्यालय कहने को जिले का सबसे बड़ा पंचायत मुख्यालय है. इसके बावजूद भी आज कस्बे के लोग सालों से आवागमन के साधनों सहित अन्य मुलभूत सुविधा को तरस रहे है. कस्बे में एक दशक पहले तक राज्य पथ परिवहन निगम की करीब आधा दर्जन बसें सुबह से देर शाम तक देवली-टोंक वाया दूनी और टोंक-देवली वाया दूनी के कई फेरे करती थी.
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पहले एक घंटे में 2 अब बारह घंटों में आ रही 1 रोडवेज बस
इससे क्षेत्र के विद्यार्थियों, कर्मचारियों, व्यापारियों, मरीजों, ग्रामीणों को हर एक घंटे में दूनी से देवली और टोंक आवागमन की सुविधा थी लेकिन अब निगम की अनदेखी के चलते कस्बे में एक दशक से रोडवेज के फेरे बंद होने के बाद बारह घंटों में निगम की एक बस संचालित हो रही है जो सुबह आवां से रवाना होकर जयपुर और शाम को जयपुर से रवाना होकर आवां तक संचालित हो रही है. रोडवेज के अभाव में क्षेत्र के विद्यार्थी, कर्मचारी, व्यापारी, मरीज और ग्रामीणों को उपखंड-जिला मुख्यालय सहित राजधानी तक जाने को लेकर तीन किलोमीटर सरोली स्टैंड पर बसों का इंतजार करना पड़ रहा है. साथ ही वापसी में देर शाम होने पर सरोली स्टैंड पर खड़े रहकर कस्बे में आने के लिए वाहनों का इंतजार करना पड़ रहा है.
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सबसे अधिक समस्या का सामना कस्बा सहित आस-पास के गांवों की बेटियों और शिक्षण को जाने सहित महिलाओं, मरीजों और उनके परिजनों को करना पड़ रहा है. उक्त एक दशक में कई बार क्षेत्र के स्थानीय से लेकर उच्च जनप्रतिनिधियों और उच्चाधिकारियों को बसों के संचालन को लेकर अवगत कराया गया लेकिन अब तक सुनवाई नहीं हुई है.
निजी और किराए के वाहनों का सहारा
दूनी तहसील मुख्यालय बाइस पंचायतों का व्यापारिक और शैक्षणिक स्तर का केन्द्र बिंदू होने के अलावा उपखंड, जिला और राजधानी को जोड़ता है. बाहर रहकर शिक्षा ले रहे विद्यार्थियों, सरकारी सेवा में पदस्थ अधिकारी-कर्मचारी, बड़े व्यापारियों का प्रतिदिन बाहर आना-जाना लगा रहता है. ऐसे में रोडवेज के अभाव में उन्हें निजी या फिर किराए के वाहनों में अधिक राशि खर्च कर सफर करना पड़ रहा है. कुल मिलाकर उन्हें मात्र निजी और किराए के वाहनों का ही सहारा है. हालांकि राजमार्ग के सरोली मोड़ पर द्रुतगामी रोडवेज बसों का ठहराव होने से उन्हें थोड़ी राहत मिल रही है. रक्षा हाड़ा, आशीष चंड़ालिया, सुनील झंवर सहित अन्य ग्रामीणों का कहना है कि रोडवेज बसों का संचालन नहीं होने से अधिक समस्या क्षेत्र की बालिकाओं को शिक्षण एवं अन्य कार्य से बाहर आने-जाने को उठानी पड़ रही है.
Report: Purshottam Joshi