राजस्व मामलों के निपटारे में टोंक जिले को प्रदेश में 'ए' श्रेणी मिली है. टोंक जिले में राजस्व सम्बन्धी 14 हजार 327 मामले राजस्व कोर्ट में विचाराधीन थे, जिसमें से 204 प्रकरणों का निस्तारण किया गया है.
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Tonk: किसी भी अफसर के लिए राजस्व मामलों को निपटाना एक बड़ी चुनौती होती है. ऐसे में टोंक जिला कलेक्टर और एडीएम मुरारी लाल शर्मा (Murari Lal Sharma) ने पूरे राजस्थान में पिछड़े टोंक को अव्वल कर दिया. वहीं, अब सूबे के बड़े अधिकारियों ने टोंक (Tonk News) अतिरिक्त कलेक्टर सहित उपखंड अधिकारियों की पीठ थपथपाई है.
प्रदेश के सात संभागों में से अजमेर (Ajmer News) संभाग के टोंक को राजस्व मामलों के निस्तारण के लिए राज्य में 'ए' श्रेणी मिली है. इसी तरह 14 अन्य जिलों को भी 'ए' प्लस श्रेणी मिली है. प्रदेश में राजस्व न्यायालयों में कई समय से राजस्व मामले लंबित पड़े हुए थे. वहीं, इस मामले में टोंक जिले में राजस्व प्रकरणों के निपटारे की दिशा में पहल की गई.
83 मामलों का निपटारा
राजस्व मामलों के निपटारे में टोंक जिले को प्रदेश में 'ए' श्रेणी मिली है. टोंक जिले में राजस्व सम्बन्धी 14 हजार 327 मामले राजस्व कोर्ट में विचाराधीन थे, जिसमें से 204 प्रकरणों का निस्तारण किया गया है. इनमें सर्वाधिक एसडीएम टोडारायसिंह ने 83 मामलों का निपटारा किया है.
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वहीं, जिला कलक्टर टोंक के विचाराधीन राजस्व मामलों में से एडीएम टोंक ने 8, एसडीएम टोंक ने 12 और एसडीएम मालपुरा कोर्ट में 75 प्रकरणों का निपटारा किया गया है. टोंक जिले की एसडीएम कोर्ट देवली में विचाराधीन राजस्व प्रकरणों में से 24, एसडीएम पीपलू ने 11, एसडीएम निवाई ने 8, एसडीएम उनियारा ने 33, एसडीएम निवाई ने 7 राजस्व मामलों का निपटारा किया है.
टोंक जिले की राजस्व अदालतों में वर्ष 1999 से राजस्व सम्बन्धी मामले लंबित चल रहे है. वर्ष 2021 में ही अब तक 1097 मामले आए है, जिनमें सबसे ज्यादा एसडीएम मालपुरा में 209 और सबसे कम टोंक में 5 मामले ही आए हैं.
प्रदेश में इनको मिली यह श्रेणी
अजमेर संभाग में अजमेर कलक्टर को 'ए' प्लस, भीलवाड़ा को 'बी' प्लस, नागौर को 'ए' प्लस श्रेणी मिली है. इसी प्रकार भरतपुर संभाग के भरतपुर को 'ए' प्लस, धौलपुर और करौली को 'सी' सवाईमाधोपुर को 'बी' श्रेणी मिली है. इसी प्रकार बीकानेर संभाग के बीकानेर को 'सी', चुरू को 'बी' , गंगानगर को 'सी', हनुमानगढ़ को 'बी' श्रेणी मिली है.
इसी प्रकार अलवर संभाग के अलवर को 'ए' प्लस, दौसा , जयपुर और झुझुंनू को 'ए' प्लस, सीकर को 'सी' श्रेणी मिली है. इसी प्रकार जोधपुर संभाग के बाढ़मेर को 'ए' प्लस, जैसलमेर और जालौर को 'सी', जोधपुर और सिरोही को 'ए' प्लस, पाली को 'ए' श्रेणी मिली है.
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इसी प्रकार कोटा संभाग के बारां को 'बी', बूंदी को 'सी', झालावाड़ को 'ए' प्लस, कोटा को 'बी' प्लस श्रेणी मिली है। इसी प्रकार उदयपुर संभाग के बांसवाड़ा ,डूंगरपुर और उदयपुर को 'सी', चित्तौड़गढ़ को 'ए' प्लस, प्रतापगढ़ और राजसमंद को 'बी' श्रेणी मिली है.
यह रखा मापदण्ड
राजस्व मामलों के निपटारे के लिए मापदण्ड के अनुसार सौ प्रतिशत निस्तारण और अधिक पर 'ए' प्लस, 90 प्रतिशत निस्तारण या 100 प्रतिशत पर 'ए', 80 प्रतिशत निस्तारण से 90 प्रतिशत पर 'बी' प्लस, 60 प्रतिशत निस्तारण से 80 प्रतिशत पर 'बी' और 60 प्रतिशत से कम निस्तारण होने पर 'सी' श्रेणी में माना जाता है.
ग्रेड सी वालों को दिए निर्देश
प्रदेश में राजस्व मामलों के निस्तारण में 14 जिलों को 'ए' प्लस, 2 को 'बी' प्लस, 2 को 'ए', 7 को 'बी' और12 जिला कलक्टर को 'सी' ग्रेड मिली है. ग्रेड 'सी' में रहने वाले जिले के अधिकारियों को राजस्व मण्डल राजस्थान की ओर से लम्बित राजस्व प्रकरणों की ओर ध्यान दे और मापदण्ड के अनुरूप निस्तारण किए जाने के लिए निर्देश दिए हैं.
जिला प्रशासन के लिए चुनौतियां यहीं खत्म नहीं होती हैं. यह चुनौतियां दोबारा ना हो इसके लिए जिला परिषद के सहयोग से सिवायचक और चरागाह की बंजर जमीनों पर फलदार पौधे लगा राजस्व आय जुटाने की टोंक में बड़ी ऐतिहासिक पहल की गई है.