Alwar : वेंटिलेटर पर शाहजहांपुर का सीएचसी सेंटर, सुविधाओं के नाम पर 3 डॉक्टर्स
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Alwar : वेंटिलेटर पर शाहजहांपुर का सीएचसी सेंटर, सुविधाओं के नाम पर 3 डॉक्टर्स

Alwar News: जयपुर दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 48 पर स्थित शाहजहांपुर कस्बे की सीएससी रामभरोसे है.  जर्जर भवन में चल रहे इस अस्पताल में न तो पर्याप्त नर्सिंग कर्मी है न डॉक्टर्स , न एम्बुलेंस है न जांच सेवाएं .

 Alwar : वेंटिलेटर पर शाहजहांपुर का सीएचसी सेंटर, सुविधाओं के नाम पर 3 डॉक्टर्स

Alwar News: प्रदेश सरकार  के जरिए स्वास्थ्य के क्षेत्र में आमजन को राहत पहुंचाने के लिए चिरंजीवी योजना से विभिन्न तरह की सेवाएं दिए जाने के दावे किए जाते है लेकिन,अलवर जिले के शाहजहां पुर के सीएचसी सेंटर में अस्पताल खुद ही इस कदर बीमार है कि यहां मरीजों को बेहतर इलाज  मिला टेढ़ी खीर है.

जयपुर दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 48 पर स्थित शाहजहांपुर कस्बे की सीएससी में आसपास के लगते करीब दो दर्जन गांव के अलावा शाहजहां पुर कस्बे के ग्रामीणों के साथ ही नीमराणा, घीलोठ और शाहजहांपुर की औद्योगिक इकाइयों में कार्यरत श्रमिक जो शाहजहांपुर में रह रहें है को भी चिकित्सा की दृष्टि से यही सीएससी ही एक मात्र सहारा रहता है. इस जर्जर भवन में चल रहे इस अस्पताल में न तो पर्याप्त नर्सिंग कर्मी है न डॉक्टर्स , न एम्बुलेंस है न जांच सेवाएं  जिसकी वजह से यहा इलाज करवाना बड़ा सवाल है.
हालत है नाजुक
यहां व्यवस्था के हिसाब से सीएससी की हालत नाजुक बनी हुई हैं. सीएससी में प्रतिदिन 350 से अधिक मरीज अपनी बीमारियों का इलाज के लिए नियमित रूप से आते हैं. वहीं अस्पताल में काम करने वाले 5 चिकित्सकों में दो महिला चिकित्सक लंबे समय से अवकाश पर हैं. वही चिकित्सकों के 7 पद स्वीकृत होने के बावजूद 3 चिकित्सकों के भरोसे यह अस्पताल चल रहा है.

यहां अस्पताल में जीएनएम के तीन ही पद स्वीकृत है जबकि अस्पताल में आने वाले मरीजों की संख्या अधिक होने के चलते संभाल पाने में बड़ी परेशानी होटी है. मौसमी बीमारियों के प्रकोप के दौरान अस्पताल में मरीजों की संख्या मेले के समान भीड़ के रूप में दिखाई देती हैं. परंतु चिकित्सकीय व्यवस्था का अभाव होने से मरीजों को खासी परेशानी झेलनी पड़ती है. राष्ट्रीय राजमार्ग पर दुर्घटनाग्रस्त मरीजों को संभाल पाने में चिकित्सा व्यवस्था अधिकतर नाकाम रहती है. दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल मरीजों को कार्यरत चिकित्सा स्टाफ की ओर से बहरोड़ या अलवर के लिए रेफर करता ही देखा जाता है.

यहां अस्पताल में बहरोड की ओर से प्रदान की गई वह एंबुलेंस भी काफी समय से खराब पड़ी है. वही अस्पताल प्रभारी डॉक्टर विक्रम यादव का कहना है यहां सात डॉक्टर्स के पद में से दो खाली है दो पर महिला चिकित्सक प्रसूति अवकाश पर है यहां सिर्फ तीन सौ चिकित्सको के सहारे ही काम चला रहे है जबकि रोजाना की ओपीडी 300 से ज्यादा है ,यहां एलएचवी का पद , फार्मेसिस्ट का पद लंबे समय से रिक्त पड़े हैं. लैब टेक्नीशियन के 5 पद स्वीकृत होने के बावजूद दो के भरोसे ही सभी जांच निर्भर रहती आ रही है. जिससे मरीजो को मजबूरन बाहर निजी लैब पर जांच करानी पड़ती है.

साथ ही आयुर्वेदिक चिकित्सक का पद भी स्वीकृत होने के बावजूद रिक्त पड़ा है. वही यहां लगे होम्योपैथिक चिकित्सक को कुतीना में गांव में लगाया हुआ है. वहीं प्रसूति केंद्र वातानुकूलित नहीं होने से गर्मी के समय विशेष समस्या का सामना प्रसूताओं को करना पड़ता है. यहां बेस एम्बुलेंस की भी सुविधातक नही है , ऐसे में सरकार के चिकित्सा क्षेत्र में किये जा रहे दावो की पोल खुलती नजर आ रही है.

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