Barmer Success Story : राजस्थान के बाड़मेर जिले से सटी भारत-पाक सीमा पर बसा एक गांव खारा.18 साल के युवा अभिषेक ने बाहरवीं करते ही अपने सपनों की मंजिल को हासिल कर वायुसेना के अधिकारी बन गया. आज के युवा के लिए मिशाल पेश कर अपने परिवार और इलाके का नाम रौशन कर दिखाया.
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Barmer Success Story : जुनून आपसे वो सब करवाता है जिसे आप करने के बारे में कभी सोच भी नहीं सकते. अगर आप कामयाब होना चाहते हैं तो आपके अन्दर कामयाबी का जुनून होना चाहिए. जुनून और जज्बे की बेहतरीन मिसाल को कायम किया राजस्थान के सरहदी बाड़मेर के 18 साल के युवा अभिषेक चौधरी ने.
किसी ने सच कहा है कि सपने जरूर देखो मगर ऐसे नहीं जो नींद में देखे जाते हैं. सपने खुली आंखों से पूरे लक्ष्य को तय करके और सूझबूझ के साथ देखें. उन सपनों को सच करने के लिए जरूरत पड़े तो सोना भी छोड़ दें. खुली आंखों से देखे गए सपने सच होते हैं, बस जरूरत है अपनी प्रतिभा, योग्यता का सही मूल्यांकन कर अपने योग्य कार्य चुनने की.
तभी तो महज दसवीं कक्षा में पढ़ाई करते हुए अपने लक्ष्य को साध कर आगे बढ़ा औऱ महज दो साल बाद उसे भेद दिया. 18 साल के युवा अभिषेक ने बाहरवीं करते ही अपने सपनों की मंजिल को हासिल कर आज के युवा के लिए मिशाल पेश कर अपने परिवार और इलाके का नाम रौशन कर दिखाया.
बाड़मेर जिले से सटी भारत-पाक सीमा पर बसा एक गांव खारा. ऐसा गांव जो शाम ढलने के साथ अंधेरे में नहीं डूबता है. यहां हर रात दिवाली सी रोशनी रहती है. रोशनी की वजह है दोनों देशों के बीच तारबंदी पर लगाई हुई फ्लड लाइटों की जगमगाहट के बीच 18 साल के युवा अभिषेक चौधरी अपने इसी गांव में सपने बुनता है.
भारत-पाकिस्तान सीमा पर बसे कस्बे की केंद्रीय विद्यालय में दसवीं में पढ़ाई के दौरान स्कूल में आने वाले एयरफोर्स के अधिकारियों की वर्दी और आसमान में गरजते फाइटर प्लेन को देखकर अभिषेक अपने खुली आंखों से सपने देखता है और मन ही मन कहता है एक दिन सच होंगे मेरे सपने. ये सपना था वायुसेना के अधिकारी बनने का.
मन में चाह लिए अभिषेक ने बाहरवीं में पढ़ते हुए एनडीए (NDA) की परीक्षा दी और चौथे अटेम्प्ट में और एसएसबी (SSB) को दूसरे अटेम्प्ट में भारतीय वायुसेना के अधिकारी के तौर पर चयन करवा अभिषेक चौधरी ने बाड़मेर को गौरवान्वित किया.
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बाड़मेर के छोटे से गांव खारा के अभिषेक के पिता बैंकिंग में क्लर्क है. अभिषेक चौधरी के भारतीय वायुसेना में चयन के बाद पूरे बाड़मेर में खुशी का माहौल है. अभिषेक के माता मां देवी चौधरी और पिता भारता राम चौधरी फूले नहीं समा रहे.
अभिषेक को इस बात की भी खुशी है कि वह अपने गांव से सेना के पहले अधिकारी बनने का सपना पूरा हआ. अभिषेक के मुताबिक उसने कभी हार नहीं मानी और मेहनत और अपने लगन जारी रखकर मुकाम हासिल किया है.