विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो प्रदेश में मंदिरों की 175 सम्पत्तियों पर अतिक्रमण के मामले सामने आए हैं, जिनमें उदयपुर के बाद भरतपुर जिले में सर्वाधिक अतिक्रमण हैं.
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देवेन्द्र सिंह/भरतपुर: कभी भगवान की पूजा करने के लिए भक्त बनकर आए थे और आज वही भक्त 'भगवान के घर' पर कब्जा कर के बैठ गए हैं. जी हां, अब आम आदमी की सम्पत्ति तो दूर बल्कि भगवान की सम्पत्ति भी सुरक्षित नहीं है. जिले में देवस्थान विभाग के अधीन मंदिरों की सम्पत्तियों पर पुजारी व अन्य लोग वर्षों से कब्जा कर के बैठे हैं. विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो प्रदेश में मंदिरों की 175 सम्पत्तियों पर अतिक्रमण के मामले सामने आए हैं, जिनमें उदयपुर के बाद भरतपुर जिले में सर्वाधिक अतिक्रमण हैं. अब विभाग के अधिकारी भगवान के घर यानी मंदिर व अन्य सम्पत्तियों से कब्जा हटवाने के लिए वर्षों से न्यायालय के चक्कर काट रहे हैं.
जिले में मंदिरों की 51 सम्पत्तियों पर कब्जे
देवस्थान विभाग के आंकड़ों के अनुसार पूरे प्रदेश में मंदिरों की सम्पत्तियों पर अतिक्रमण के कुल 175 मामले सामने आए हैं. इनमें सर्वाधिक अतिक्रमण के मामले उदयपुर जिले में 72 हैं. वहीं भरतपुर में मंदिरों की सम्पत्तियों पर कब्जे के 51 मामले हैं.
ऐसे-ऐसे कब्जे
जिले में विभाग के मंदिरों के अधीन दुकान, उनके सामने बरामदे व मंदिर और उनके कक्ष की सम्पत्तियां हैं. वृंदावन के कई मंदिरों में वर्षों पहले पूजा करने आए पुजारियों ने ही सेवानिवृत्त होने के बाद मंदिरों के कमरों पर कब्जा कर लिया है. अब वो उन कमरों को खाली नहीं कर रहे. इसी तरह कई किराएदार बनकर आए और बाद में किराया देना बंद कर दिया और कब्जा भी कर लिया.
वर्षों से बेदखली के चल रहे केस
देवस्थान विभाग की सम्पत्तियों पर किए गए अतिक्रमण के संबंध में सर्वे कार्य के लिए निरीक्षक को निर्देशित किया गया. जिन किराएदारों द्वारा विभाग के मंदिरों की सम्पत्तियों पर पूर्व में अतिक्रमण किए गए थे, उनके विरुद्ध बेदखली के लिए सम्पदा न्यायालय में वाद दर्ज कराए गए हैं. कई मंदिरों के अंदर कमरों पर पुजारियों ने व दुकानों पर किराएदारों ने कब्जे कर रखे हैं. इन लोगों के खिलाफ संपदा न्यायालय में केस चल रहे हैं.