भीलवाड़ा: बहुचर्चित थानाधिकारी निलंबन का मामला, अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने सुनाया ये फैसला
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भीलवाड़ा: बहुचर्चित थानाधिकारी निलंबन का मामला, अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने सुनाया ये फैसला

भीलवाड़ा न्यूज: बहुचर्चित थानाधिकारी निलंबन मामले को लेकर अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने फैसला सुना दिया है. तीन आरोपियों को तलब किया गया है. साथ ही कोर्ट ने अजमेर रेंज आईजी की कार्रवाई को आश्चर्यजनक बताया.

भीलवाड़ा: बहुचर्चित थानाधिकारी निलंबन का मामला, अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने सुनाया ये फैसला

Bhilwara: बहुचर्चित थानाधिकारी निलंबन मामले में माण्डल अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट रश्मि नवल ने बड़ा फैसला सुनाया है. मांडल के जिस कॉम्पलेक्स जमीन विवाद मामले की जांच में लापरवाही का तर्क देकर पुलिसकर्मियों का निलंबन और लाइन हाजरी किया गया था, अजमेर रेंज आईजी की इस कार्रवाई को कोर्ट ने आश्चर्यजनक ठहराया है और तीन आरोपियों को तलब किया है.

जमीन पर कॉम्पलेक्स निर्माण को लेकर चल रहा विवाद 

अधिवक्ता सूरज सनाढ़्य ने बताया की मांडल कस्बे में एक जमीन पर कॉम्पलेक्स निर्माण को लेकर विवाद चल रहा था. इस मामले की जांच में लापरवाही और मिलीभगत के मामले में अजमेर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक रूपिन्द्र सिंह ने तत्कालीन मांडल थाना प्रभारी राजेन्द्र गोदारा, उप निरीक्षक अयूब मोहम्मद, सहायक उप निरीक्षक चन्द्रप्रकाश विश्नोई को निलम्बित कर दिया था और निरीक्षक शिवराज गुर्जर को लाइन हाजिर किया गया था. अतिरिक्त मुख्य न्याययिक मजिस्ट्रेट, माण्डल रश्मि नवल और ग्राम न्यायालय के न्यायाधिकारी मोहित चोयल ने इस मामले में पुलिस अधिकारी बंशीलाल पांडर द्वारा की गई जांच को गलत माना है और आरोपी रामजस टांक, मंजूलता व गूंजन टांक के खिलाफ संज्ञान लेकर उन्हें न्यायालय ने तलब किया है. 

4 जुलाई को न्यायालय में तलब 

न्यायालय ने पुलिस महानिरीक्षक अजमेर रेंज के इस मामले में किये अनुमोदन पर आश्चर्य जताते हुए एडीजे क्राइम को लिखा है. इस मामले की पैरवी परिवाद किशन सोनी की ओर से अधिवक्ता सनाढ्य ने की. पुलिस द्वारा परिवादी किशन सोनी के साथ मारपीट और जमीन पर अवैध कब्जा करने के मामले में मांडल पुलिस द्वारा लगाए गए अन्तिम प्रतिवेदन को न्यायालय ने परिवादी द्वारा पेश की गई. विरोध याचिका को स्वीकार कर लिया और आरोपी रामजस टांक, उसकी पत्नी मंजूलता टांक और पुत्री गूंजन टांक के विरूद्ध धारा 447, 427, 323 के तहत प्रसंग ज्ञान लेकर प्रकरण दर्ज कर आरोपियों को 4 जुलाई को न्यायालय में तलब किया है.

इसी मामले की जांच में लापरवाही का जिम्मेदार ठहराते हुए रेंज आईजी ने पुलिस कर्मियों का निलंबन और लाइन हाजरी की थी, लेकिन कोर्ट ने निलंबित पुलिसकर्मियों द्वारा की गई जांच को सही ठहराते हुए आईजी विभाग द्वारा की गईं जांच को गलत ठहराते हुए एडीजी क्राइम को लिखा है. ऐसे में अब बड़ा सवाल यह है कि जिन पुलिसकर्मियों को तथ्यहीन जांच के जरिए दोषी करार देते हुए विभाग से रुकसत किया गया था क्या विभाग उन्हें दोबारा वही सम्मान लौटा पाएगा.

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