जहाजपुर: 17 वर्षों से अपने निर्माण के पूरे होने की राह देखता ये भवन, विकास अधिकारी के क्वार्टर में रह रहे उपखंड अधिकारी
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जहाजपुर: 17 वर्षों से अपने निर्माण के पूरे होने की राह देखता ये भवन, विकास अधिकारी के क्वार्टर में रह रहे उपखंड अधिकारी

13 मई 2005 को तत्कालीन उपखंड अधिकारी द्वारा जहाजपुर में उपखंड अधिकारी आवास भवन के लिए जिला कलेक्टर को ₹525000 की स्वीकृति का प्रस्ताव भेजा गया था. 

निर्माण के पूरे होने की राह देखता ये भवन

Jahazpur: उपखंड अधिकारी आवास के लिए आधा-अधूरा बना हुआ भवन 17 वर्षों से अपने निर्माण के पूर्ण होने का इंतजार कर रहा है. 13 मई 2005 को तत्कालीन उपखंड अधिकारी द्वारा जहाजपुर में उपखंड अधिकारी आवास भवन के लिए जिला कलेक्टर को ₹525000 की स्वीकृति का प्रस्ताव भेजा गया था. 

प्रस्ताव में लिखा गया था कि कार्य अकाल राहत योजना से होना है, जिसमें कार्य को 30 जून 2005 तक पूर्ण किया जाना है. कार्य को सार्वजनिक निर्माण विभाग द्वारा करवाने पर निविदा प्रक्रिया में समय लगेगा. अतः कार्य नगर पालिका द्वारा कराने की अनुमति प्रदान की जाए. 24 मई 2005 को जिला कलेक्टर द्वारा ₹525000 की प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति जारी की गई, जिसमें ₹262000 श्रमिकों के भुगतान हेतु और ₹263000 सामग्री के लिए स्वीकृत किए गए और कार्य को 30 जून 2005 तक पूर्ण किया जाना प्रस्तावित हुआ.

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कार्यकारी एजेंसी नगरपालिका के ठेकेदार द्वारा कार्य प्रारंभ किया गया, जिसमें भवन निर्माण में कक्ष चार दिवारी और छत का निर्माण हो चुका है. इस कार्य हेतु प्रथम बिल 12 अगस्त 2005 को ₹160731 का भुगतान भी किया जा चुका है. उसके बाद एक अन्य बिल 64164 रुपए की राशि का भुगतान भी किया जा चुका है. अकाल राहत योजना 3 जून 2005 को बंद हो गई, तब से यह भवन निर्माण के पूर्ण होने की आस में वीरान सा पड़ा है.

विकास अधिकारी के क्वार्टर में रह रहे उपखंड अधिकारी 
उपखंड अधिकारी वर्तमान में पंचायत समिति द्वारा विकास अधिकारी के क्वार्टर में रह रहे हैं, पहले भी उपखंड कार्यालय के सामने ही पंचायत समिति का एक क्वार्टर था, जिसमें उपखंड अधिकारी रहते आए हैं. वर्तमान उपखंड अधिकारी दामोदर सिंह खटाणा को वो क्वार्टर रास नहीं आया, इसीलिए अभी वो विकास अधिकारी के क्वार्टर में रह रहे हैं, जबकि पूर्व विकास अधिकारी मुरारी लाल शर्मा जिनके पास आवास नहीं होने से यायवृत की भांति सरकारी गेस्ट हाउस में तो कभी निजी गेस्ट हाउस में रह कर दीं निकाले बीडीओ के पास वर्तमान में आवास नहीं होने से वर्तमान कार्यवाहक विकास अधिकारी को निजी भवन में शरण लेनी पड़ रही है, जबकि आज भी कई आवास गृह खाली पड़े हुए हैं.

Reporter: Mohammad Khan

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