Dausa News: 32 साल का हुआ दौसा जिला, लेकिन मूलभूत सुविधाओं से आज भी वंचित जिलेवासी
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Dausa News: 32 साल का हुआ दौसा जिला, लेकिन मूलभूत सुविधाओं से आज भी वंचित जिलेवासी

दौसा जिला मुख्यालय पर एक और जहां जलदाय विभाग द्वारा नलों में 5 से 7 दिन में एक बार पानी की सप्लाई की जाती है तो वहीं गांव में लोग मीलों दूर पैदल चलकर अपनी प्यास बुझाते हैं. नेता जनता से पानी के बड़े-बड़े दावे करते हैं और मतदान के साथ ही उनके दावे भी गौण हो जाते हैं.

Dausa News: 32 साल का हुआ दौसा जिला, लेकिन मूलभूत सुविधाओं से आज भी वंचित जिलेवासी

Dausa News: एक जिले के विकास के लिए परिपूर्ण भौगोलिक क्षेत्र के साथ सुद्रढ़ प्रशासनिक व्यवस्था की जरूरत होती है और उसके लिये जरूरी होता है भारी भरकम बजट के साथ मूलभूत सुविधाओं का विस्तार जब तक लोगों की जरूरत के हिसाब से सुविधायें नहीं बढ़ेगी तब तक जिला अपने स्वरूप में नही आ सकता. उसके लिये चाहिये पानी , चिकित्सा , शिक्षा , सड़क व रोजगार के संसाधन. राज्य सरकार ने हाल ही में प्रदेश में 19 नए जिले बनाने की घोषणा की है, लेकिन क्या पूर्व में बनाए गए जिले अपने सही स्वरूप में आ चुके हैं क्या वह जिले विकासोन्मुख बन चुके है यह बड़ा सवाल अभी भी बना हुआ है.

बात करते हैं दौसा जिले की जिसे 10 अप्रैल 1991 को जयपुर से अलग कर नया जिला बनाया गया था. ऐसे में जिला बनने के 32 साल बीत जाने के बाद भी क्या दौसा जिले के लोगों को सरकारों द्वारा हर वह सुविधा मुहैया करवाई गई जो एक जिले वासियों को मिलनी चाहिए. बेशक जिले में चिकित्सा और शिक्षा के क्षेत्र में काफी विकास हुआ. आवागमन के लिए सड़कों का निर्माण भी करवाया गया, लेकिन आज भी जिले के लोग पानी की एक एक बूंद के लिए त्राहि त्राहि करते हैं. शहर हो या कस्बा गांव हो या ढाणी खेतों की सिंचाई तो दूर की बात लोग पीने के पानी के लिए परेशान रहते हैं.

दौसा जिला मुख्यालय पर एक और जहां जलदाय विभाग द्वारा नलों में 5 से 7 दिन में एक बार पानी की सप्लाई की जाती है तो वही गांव में लोग मीलों दूर पैदल चलकर अपनी प्यास बुझाते हैं और जब चुनाव होते हैं चाहे वह विधानसभा के हो या लोकसभा के तो नेता जिले की जनता से पानी के बड़े-बड़े दावे करते हैं और मतदान के साथ ही उनके दावे भी गौण हो जाते हैं और जिले की भोली-भाली जनता अपने आप को ठगा सा महसूस कर चुप बैठ जाती है.

जब से दौसा जिला बना है तब से जिले के लोग नेताओं के मुंह से चंबल का पानी दौसा जिले में लाने की बात सुनते आए हैं लेकिन आज तक भी जिले के लोगों के लिए भागीरथ बनकर कोई नेता सामने नहीं आया जो उन्हें गंगा रूपी चंबल का पानी पिलाकर प्यास बुझा सके. पूर्वी राजस्थान की इआरसीपी योजना से दौसा जिले को भी उम्मीद थी कि जल्द ही उनकी पानी की समस्या का समाधान होगा. लेकिन वह योजना भी केंद्र और राज्य के बीच सियासत की भेंट चढ़ी हुई है. दोनों ही सरकारें इस योजना की नाकामी का मटका एक दूसरे पर फोड़ने की बात करती है.

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वहीं दौसा जिले में रोजगार के संसाधनों की बात करें तो यहां कोई ऐसे बड़े कल कारखाने नहीं है जो लोग उन में जाकर काम कर सके और अपनी बेरोजगारी दूर कर सके लोगों को रोजगार के लिए जिले से बाहर दर-दर भटकना पड़ता है. तब कहीं जाकर वह 2 जून की रोटी खा पाते हैं. पूर्वे में नेताओं ने बड़े-बड़े दावे किए थे कि दौसा जिले में बड़े औद्योगिक क्षेत्र विकसित होंगे जिनमें लोगों को रोजगार मिलेगा. उन्हें जिले से बाहर का रुख नहीं करना पड़ेगा, लेकिन आज तक वह दावे भी खोखले ही नजर आ रहे हैं. ऐसे में सवाल यह है कि सरकारे स्थानीय जनप्रतिनिधियों की मांग पर जिला तो बना देती है, लेकिन जिलेवासी मूलभूत सुविधाओं से ही महरूम रहेंगे तो फिर जिले का विकास भी बेमानी ही कहलायेगा.

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