Dungarpur News: राज्य सरकार की बजट घोषणा के तहत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना में शामिल लाभार्थियो को 450 रुपए का गैस सिलेंडर लेने के लिए 30 नवम्बर तक अपनी एलपीजी आईडी मेपिंग करवानी होगी. लेकिन एलपीजी आईडी मेपिंग के मामले में काफी सुस्ती देखने को मिल रही है.
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Dungarpur News: राज्य सरकार की बजट घोषणा के तहत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना में शामिल लाभार्थियो को 450 रुपए का गैस सिलेंडर लेने के लिए 30 नवम्बर तक अपनी एलपीजी आईडी मेपिंग करवानी होगी. लेकिन एलपीजी आईडी मेपिंग के मामले में काफी सुस्ती देखने को मिल रही है.
दरअसल राज्य सरकार ने बजट में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना में शामिल लाभार्थियो को उज्ज्वला योजना के लाभार्थियो की तरह 450 रुपए में गैस सिलेंडर देने की घोषणा की थी. इसी घोषणा के तहत खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग ने खाद्य सुरक्षा योजना में शामिल लाभार्थियो की एलपीजी आईडी की मेपिंग के निर्देश दिए थे, जिसके तहत 5 नवम्बर से 30 नवम्बर तक रसद विभाग को खाद्य सुरक्षा योजना में शामिल लाभार्थियों की एलपीजी आईडी की मेपिंग पोस मशीन से करवाने के निर्देश दिए थे. लेकिन डूंगरपुर सहित प्रदेश के अन्य जिले एलपीजी आईडी मेपिंग करवाने के काम में फिसड्डी साबित हो रहे है. प्रदेश में अभी तक केवल 28.71 फीसदी लोगो ने ही एलपीजी आईडी की मेपिंग करवाई है.
टॉप परफोर्मेंस 5 जिले जहा हुई सर्वाधिक एलपीजी आईडी मेपिंग
क्रमांक जिला प्रतिशत
1 कोटा 47.54
2 बूंदी 42.04
3 गंगानगर 40.27
4 झुंझुनू 38.54
5 अजमेर 37.80
लॉ परफोर्मेंस 5 जिले जहा हुई सबसे कम एलपीजी आईडी मेपिंग
क्रमांक जिला प्रतिशत
1 बांसवाडा 12.09
2 उदयपुर 13.05
3 जैसलमेर 14.86
4 डूंगरपुर 15.70
5 राजसमन्द 19.68
इधर डूंगरपुर जिले की कम परफोर्मेंस को लेकर जब डूंगरपुर रसद विभाग के अधिकारियों से बात की गई तो उन्होंने कहा की डूंगरपुर जिले में ईपीडीएस पोर्टल के अनुसार 24 फीसदी एलपीजी आईडी की मेपिंग हो चुकी है. विभाग से जो प्रगति आ रही है, वो कम प्रदर्शित हो रही है. उन्होंने कहा की विभाग खाद्य सुरक्षा योजना में शामिल परिवारों की एलपीजी आईडी मेपिंग का पूरा प्रयास किया जा रहा है और समय रहते इस लक्ष्य को हासिल कर लिया जायेगा.
बहरहाल राज्य सरकार की मंशा है की राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना में शामिल लोगों को 450 में गैस सिलेंडर मिले. लेकिन प्रदेश के जिलो में एलपीजी आईडी की मेपिंग की प्रगति को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है की रसद विभाग व जिला प्रशासन सरकार की इस मंशा को लेकर कितने गंभीर है.