Jaipur: सरकारी निर्माण में नहीं हो रहा 25 प्रतिशत एम सेंड का उपयोग, सरकार गंभीर
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Jaipur: सरकारी निर्माण में नहीं हो रहा 25 प्रतिशत एम सेंड का उपयोग, सरकार गंभीर

सरकार निर्माण में आने वाली कुल बजरी की मात्रा में कम से कम 25 प्रतिशत एम सेंड के उपयोग के प्रति गंभीर हो गई है. मुख्य सचिव उषा शर्मा  ने इसकी पालना के  निर्देश दिए हैं. 

Jaipur: सरकारी निर्माण में नहीं हो रहा 25 प्रतिशत एम सेंड का उपयोग, सरकार गंभीर

Jaipur: प्रदेश के सरकारी निर्माण कार्यों में 25 प्रतिशत एम सेंड का उपयोग नहीं हो रहा है. सरकार निर्माण में आने वाली कुल बजरी की मात्रा में कम से कम 25 प्रतिशत एम सेंड के उपयोग के प्रति गंभीर हो गई है. मुख्य सचिव उषा शर्मा  ने इसकी पालना के  निर्देश दिए हैं. 

अतिरिक्त मुख्य सचिव माइंस डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि राज्य सरकार ने बजरी के सस्ते और सुगम विकल्प के रूप में एम सेंड के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में एम सेंड नीति लागू की है. एम-सेंड नीति में सरकारी निर्माण कर्यों में बजरी के विकल्प के रूप में कम से कम 25 प्रतिशत एम सेंड का उपयोग अनिवार्य है. एम सेंड नीति जारी होने के बाद अब प्रदेश में कुल मिलाकर 36 एम सेंड इकाईयों द्वारा एक करोड़ 20 लाख टन वार्षिक उत्पादन होने लगा है. 

अतिरिक्त मुख्य सचिव माइंस डॉ. सुबोध अग्रवाल गुरुवार को सचिवालय में  अधिकारियों के साथ एम सेंड नीति की प्रगति समीक्षा की. उन्होंने बताया कि मुख्य सचिव उषा शर्मा ने भी सभी संबंधित विभागों से निर्देशों की पालना सुनिश्चित करने के निर्देश के साथ ही अतिरिक्त मुख्य सचिवों, प्रमुख शासन सचिवों और शासन सचिवों को पत्र लिखकर एम सेंड नीति के निर्देशों की पालना रिपोर्ट मांगी है. उन्होंने बताया कि एम सेंड नीति की पालना  में चिकित्सा शिक्षा एवं जलदाय विभाग ने जानकारी दी है. 

डॉ. अग्रवाल ने बताया कि राज्य सरकार की एम सेंड नीति के अनुसार, राज्य सराकार के सभी सरकारी, अर्द्धसरकारी, स्थानीय निकाय, पंचायतीराज संस्थाएं एवं राज्य सरकार की वित्त पोषित अन्य संस्थाओं को जनवरी 21 के बाद जारी होने वाले कार्यादेशों में एम सेंड की कम से कम 25 प्रतिशत मात्रा के उपयोग को अनिवार्य किया गया है. राज्य सरकार ने बजरी के सहज, सस्ता व सुगम विकल्प और पर्यावरण व पारिस्थितिकी सुधार के लिए एम सेंड नीति जारी करते हुए यह आदेश जारी किए थे.  इसके साथ ही एम सेंड इकाईयों को प्रमोट करने के लिए राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना में आकर्षक प्रावधान किए गए. 

रिप्स में एम सेंड इकाई को उद्योग का दर्जा, एसजीएसटी पर 75 प्रतिशत निवेश सब्सिडी, विद्युत शुल्क, भूमि कर व स्टाम्प शुल्क में शतप्रतिशत छूट दी गई है. इसी तरह से दो करोड़ या उससे अधिक के निवेशपर एसजीएसटी पर 25 प्रतिशत की अतिरिक्त सब्सिडी, प्लांट/मशीनरी में निवेश हेतु 5 प्रतिशत ब्याज अनुदान एवं 20 प्रतिशत निवेश के बराबर पूंजी सब्सिडी का प्रावधान किया गया है.  

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एसीएस माइंस डॉ. अग्रवाल ने बताया कि राजस्थान के साथ ही कर्नाटक, तेलगांना और तमिलनाडु में बजरी के विकल्प के रूप में एम सेंड का प्रमुखता से उपयोग किया जा रहा है. कर्नाटक में सर्वाधिक 2 करोड़ टन, तेलंगाना में 70 लाख 20 हजार टन और तमिलनाडु में 30 लाख 24 हजार टन एम सेंड का सालाना उत्पादन हो रहा है. 

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