जवाहर लाल नेहरू और हरिवंश राय बच्चन की दोस्ती का परिणाम ये रहा कि साल 1955 में हरिवंश राय बच्चन को विदेश विभाग में हिंदी भाषा के विशेष अधिकारी के रुप में नियुक्त किया गया. हरिवंश राय बच्चन की पत्नी और अमिताभ बच्चन की मां तेज्जी बच्चन के इंदिरा गांधी के साथ बेहद करीबी रिश्ते थे. इंदिरा और तेज्जी बच्चन की मुलाकात इलाहाबाद के आनंद भवन (anand bhawan allahabad) में हुई थी.
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Jaipur: “He is a poet and she is his poem.” "ये कवि हैं और ये उनकी कविता है." ये पंक्ति आजादी के कुछ साल बाद हरिवंश राय बच्चन (Harivanshrai Bachchan) और उनकी पत्नी तेज्जी बच्चन की जवाहरलाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) से मुलाकात कराते हुए सरोजनी नायडू (Sarojini Naidu) ने कही थी. पंडित नेहरु और हरिवंश राय बच्चन की इस मुलाकात से शुरु हुआ नेहरु परिवार (Nehru Gandhi family) और बच्चन परिवार (Bachchan family) का रिश्ता जिस वाक्य पर आकर खत्म हुआ वो था, He is a snake, वो सांप है. ये दूसरा वाक्य कांग्रेस के नेता राजीव गांधी (Rajiv Gandhi On Amitabh Bachchan) ने अमिताभ बच्चन के लिए कहा था. अमिताभ बच्चन जिन्होने सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) और राजीव गांधी की शादी के समय सोनिया गांधी के भाई का फर्ज अदा किया था. और इटली से आया सोनिया गांधी का परिवार भी अमिताभ बच्चन के घर ही ठहरा था.
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इंदिरा गांधी और बच्चन परिवार के रिश्ते
जवाहर लाल नेहरू और हरिवंश राय बच्चन की दोस्ती का परिणाम ये रहा कि साल 1955 में हरिवंश राय बच्चन को विदेश विभाग में हिंदी भाषा के विशेष अधिकारी के रुप में नियुक्त किया गया. हरिवंश राय बच्चन की पत्नी और अमिताभ बच्चन की मां तेज्जी बच्चन के इंदिरा गांधी के साथ बेहद करीबी रिश्ते थे. इंदिरा और तेज्जी बच्चन की मुलाकात इलाहाबाद के आनंद भवन (anand bhawan allahabad) में हुई थी. तेज्जी बच्चन सामाजिक कार्यों में काफी सक्रिय रहती थी. 1968 में जब सोनिया गांधी शादी से पहले पहली बार भारत (India) आई, तो एयरपोर्ट पर रिसीव करने के लिए पूरा बच्चन परिवार मौजूद था. सोनिया के स्वागत के लिए पूरा घर सजाया गया. भारतीय रिवाज के हिसाब से शादी से पहले लड़की ससुराल में नहीं ठहर सकती. लिहाजा सोनिया गांधी बच्चन परिवार के साथ ही ठहरी थी. और शादी से कुछ दिन पहले ही राखी बांधकर अमिताभ बच्चन को अपना भाई बनाया था. शादी के दिन जब इटली से सोनिया गांधी का परिवार भारत आया. तो वो भी अमिताभ बच्चन के घर ही रुका था.
राजीव गांधी और अमिताभ बच्चन के रिश्ते
राजीव गांधी और अमिताभ बच्चन की पहली मुलाकात अमिताभ बच्चन के जन्मदिन पर हुई थी. उस समय अमिताभ बच्चन चार साल के थे और राजीव गांधी की उम्र सिर्फ दो साल थी. राजीव गांधी की मां इंदिरा गांधी राजीव को गोद में लिए अमिताभ के जन्मदिन की पार्टी में पहुंची थी. उम्र बढ़ने के साथ राजीव और अमिताभ की जितनी अच्छी दोस्ती हुई. उतनी ही अच्छी दोस्ती राजीव के छोटे भाई संजय गांधी (Sanjay Gandhi) और अमिताभ के छोटे भाई अभिजात बच्चन के बीच भी हुई. स्कूल के दिनों में जब भी छुट्टियां होती थी. तो ये चारों दिल्ली में साथ में ही मस्ती करते थे.
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राजीव गांधी का तकनीकि में काफी इंटरेस्ट था. खिलौनों और दूसरे यंत्रों के पुर्जे खोलना और फिर जोड़ना उन्हें बेहद अच्छा लगता था. एक बार हरिवंश राय बच्चन विदेश से ट्रांजिस्टर-कम-टेपरिकॉर्डर लाए थे. एक दिन अमिताभ बच्चन ने इसे जांचने परखने के लिए पुर्जे खोल दिए. फिर काफी कोशिश के बाद भी जब ट्रांजिस्टर के पुर्जे जोड़ने में विफल रहे. तो सारे पुर्जे एक बैग में भरे. और सीधे गांधी निवास तीन मूर्ति की ओर दौड़ पड़े. राजीव गांधी के पास गए और बोले- यार इसे ठीक कर दो, नहीं तो बाबुजी बहुत गुस्सा होंगे. राजीव गांधी ने कुछ ही देर में सारे पुर्जे ठीक कर दिए.
जब राजीव गांधी इंग्लैंड (England) पढ़ने चले गए. तो एक दिन इंदिरा गांधी अचानक बच्चन परिवार के घर पहुंच गई. और बोली- मेरा राजीव इंग्लैंड में मजे में तो है न, उसका कोई समाचार ?
तेज्जी बच्चन बोली. अरे वाह, अपने बेटे का समाचार आपके पास नहीं है ?
इंदिरा ने जवाब दिया, "अरे यही तो मुसीबत है, मुझे तो अपने बेटे की खैर खबर भी तुम्हारे बेटे से ही लेनी पड़ती है. राजीव मुझे चिट्ठी लिखे या न लिखे, लेकिन अमिताभ को चिट्ठी लिखना नहीं भूलता"
जब राजीव गांधी पायलट बन गए. तो अक्सर वो अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) को इसकी जानकारी दिया करते थे कि फलां फलां दिन वो फलां रुट पर रहेंगे और इतने बजे वो इस शहर पहुंचेंगे. राजीव गांधी जब भी मुंबई जाते तो एयरपोर्ट (Mumbai Airport) पर उन्हें रिसीव करने अमिताभ बच्चन जरुर आते थे. अमिताभ जब कभी सफर में होते थे. तो उड़ान भरने से पहले तो अपनी सीट पर बैठते थे. लेकिन उड़ान भरने के बाद राजीव गांधी उन्हैं कॉकपिट में बुला लेते थे.
गांधी परिवार और बच्चन परिवार में दूरियां क्यों हुई ?
जवाहर लाल नेहरु से लेकर इंदिरा गांधी और राजीव गांधी से लेकर सोनिया गांधी तक, जीवन के हर मोड़ पर गांधी परिवार और बच्चन परिवार साथ रहा. सुख-दुख के साथी रहे. लेकिन इस कालखंड में कई ऐसी घटनाएं हुई. जिसकी वजह से इन दोनों परिवारों के बीच दूरियां बढ़ने लगी.
लेखक राशिद किदवई ने अपनी किताब "नेता-अभिनेता: बॉलीवुड स्टार पावर इन इंडियन पॉलिटिक्स" में वरुण गांधी (Varun Gandhi) के हवाले से लिखा है कि जब आपातकाल के बाद इंदिरा गांधी को सत्ता गंवानी पड़ी. तो बच्चन परिवार ने गांधी परिवार से दूरी बना ली. इंदिरा गांधी ने एक प्रस्ताव रखा था कि बच्चन परिवार को एक जनसभा में बुलाया जाए. लेकिन अमिताभ बच्चन की मां तेज्जी बच्चन ने ये कहते हुए मना कर दिया कि इससे मेरे बेटे के बॉलिवुड करियर (Bollywood Career) पर गलत असर पड़ेगा. सत्ता जाने के बाद एक बार संजय गांधी मुंबई गए तो अमिताभ बच्चन उन्हैं रिसीव करने एयरपोर्ट नहीं आए. जबकि पहले हमेशा वो एयरपोर्ट पर जरूर मौजूद रहते थे. इस व्यवहार से संजय गांधी काफी दुखी हुए थे.
पत्रिका 'सूर्या' ने दावा किया था. कि 1980 में इंदिरा जब सत्ता में लौटी. तो उसने तेज्जी बच्चन के जगह नरगिस दत्त को राज्यसभा (Rajya Sabha) भेजने का फैसला किया. इससे तेज्जी बच्चन नाराज हो गई थी. कहा जाता है कि इस वजह से दोनों के बीच कहा-सुनी भी हुई थी. इस घटना के बाद से दोनों परिवारों के बीच दूरी बढ़ती चली गई.
कांग्रेस के नेता एमएल फोतेदार ने 2015 में आई अपनी किताब में लिखा है. कि इंदिरा गांधी ने अपनी मौत से कुछ दिन पहले ही एक बैठक में राजीव गांधी को अमिताभ बच्चन को लेकर महत्वपूर्ण बात कही. इंदिरा गांधी ने राजीव गांधी के अलावा अरुण नेहरु और एमएल फोतेदार की बैठक बुलाई थी. फोटेदार के मुताबिक, “इस बैठक में लोकसभा चुनावों पर चर्चा हो रही थी. इस दौरान उन्होंने अपने बेटे से खासतौर पर दो चीज़ें कहीं जो उन्हें भविष्य में कभी नहीं करनी चाहिए. इसमें पहली बात थी, "तेजी के बेटे अमिताभ बच्चन को कभी भी चुनावी राजनीति में नहीं लाना."
राजीव-अमिताभ के रिश्ते कैसे बिगड़े ?
राजीव गांधी ने इंदिरा गांधी की चेतावनी को हल्के में लिया. इंदिरा गांधी के निधन के बाद 1984 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) में राजीव गांधी ने खुद अपनी तरफ से अमिताभ बच्चन को इलाहाबाद सीट से चुनाव लड़ने के लिए तैयार किया. राजीव गांधी की सरकार बनी, अमिताभ बच्चन जीतकर संसद (Parliament) पहुंचे. इसी बीच बोफोर्स घोटाले (Bofors scam) की गूंज संसद से लेकर सड़क तक सुनाई देने लगी. राजीव गांधी के साथ इसमें अमिताभ बच्चन का नाम भी घसीटा गया. यहां से अमिताभ बच्चन ने एक बार फिर से राजीव गांधी से दूरी बनानी शुरु कर दी.
अमिताभ बच्चन अपने फिल्मी करियर (Amitabh Bachchan Films) को बचाने के लिए राजनीति से दूर होना चाहते थे. और अपने दोस्त राजीव को संकट की घड़ी में अकेला छोड़ दिया. अमिताभ बच्चन ने इलाहाबाद लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया. हालांकि कांग्रेस नेता एमएल फोतेदार ने अपनी किताब में जो दावा किया है, उसके मुताबिक राजीव गांधी ने अमिताभ बच्चन से इस्तीफा लिया था. इसके बाद अमिताभ बच्चन ने राजीव गांधी से दूरी बना ली. बोफोर्स कांड के बाद हुए चुनाव में राजीव गांधी को सत्ता गंवानी पड़ी.
वरिष्ठ पत्रकार संतोष भारतीय ने अपनी किताब 'वी पी सिंह, चंद्रशेखर, सोनिया गांधी और मैं' में लिखा है कि राजीव गांधी ने एक बार अमिताभ बच्चन को सांप कह दिया था. ये बात तब की है जब वीपी सिंह सरकार के समय राजीव गांधी विपक्ष के नेता थे. और अमिताभ बच्चन उनसे मिलने आए थे. उस वक्त कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजीव शुक्ला भी वहां मौजूद थे. जब अमिताभ चले गए, तो राजीव गांधी ने कहा - He is a snake. मतलब- वो एक सांप है.