Kirodi lal Meena - Ashok Gehlot : किरोड़ी मीणा का बिना नाम लिए सीएम गहलोत ने कहा कि हमारे कुछ साथी तो बेरोजगारों को लेकर ही आंदोलन शुरू करने लग जाते हैं. बेरोजगारों को भड़काते हैं. कब पढ़ाई करेंगे. डॉक्टर किरोड़ी लाल मीणा कहा कि सरकार के मंत्री, विधायक और अधिकारी इसमें लिप्त है. इन्हें जानबूझकर पकड़ा नहीं जा रहा, क्योंकि ऐसा हुआ तो सरकार की पोल खुल जाएगी.
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Kirodi lal Meena - Ashok Gehlot : डॉक्टर किरोड़ी लाल मीणा संसद की कार्यवाही के बाद जयपुर धरना स्थल पहुंचे आज मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के वयान पर पलट बार करते हुए डॉक्टर किरोड़ी लाल ने कहा की. खुद को गांधीवादी कहने वाले मुखिया जी को इस बात पर भी आपत्ति है कि मैं पेपर लीक के मामलों की सीबीआई जांच की मांग को लेकर छात्रों के साथ धरने पर क्यों बैठा हूं. पेपर लीक माफिया को बचाने की जिद में मुख्यमंत्री जी प्रदर्शन करने के लोकतांत्रिक अधिकार को भी छीन लेना चाहते हैं.
डॉक्टर मीना ने कहा की बोर्ड अध्यक्ष डीपी जारौली के खिलाफ पुख्ता सबूत दिए, लेकिन सरकार ने बर्खास्त कर छोड़ दिया. एसओजी के अधिकारी मोहन पोसवाल के खिलाफ सबूत दिए, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की. पेपर लीक माफिया से सरकार की साठगांठ है. मुख्यमंत्री कार्रवाई की बजाय क्लीन चिट बांट रहे हैं. मुख्यमंत्री जी पेपर लीक की तह तक जाने के लिए सीबीआई जांच ही एकमात्र विकल्प है, क्योंकि सरकार के मंत्री, विधायक और अधिकारी इसमें लिप्त है. इन्हें जानबूझकर पकड़ा नहीं जा रहा, क्योंकि ऐसा हुआ तो सरकार की पोल खुल जाएगी. इस रवैये से आक्रोशित युवा हिसाब चुकता करने के लिए तैयार बैठे हैं.
गौरतलब है कि किरोड़ी मीणा का बिना नाम लिए सीएम गहलोत ने कहा कि राज्यसभा के सांसद लोगों को लेकर धरने पर बैठे हैं. क्या तुक है. सरकार ने कोई कमी रखी है क्या. सीएम ने कहा कि राज्यसभा के लोग धरने पर बैठे हैं. यह मुद्दा है. जिसमें पक्ष-विपक्ष की बात नहीं होती है. यह मुद्दा ऐसा है. पेपर लीक राष्ट्र व्यापी समस्या है. कैसे हल करें. हमें जो सुझाव देंगे. हम मानेंगे. अभ्यर्थी का भविष्य है, कोचिंग करता है. पढ़ता है. पैसा खर्च होता है. व्यर्थ नहीं जाना चाहिए. सरकार की तरफ से और एसओजी की तरफ से कोई कमी रही हो तो हमें बताईये. हम दूर करेंगे. हमारे कुछ साथी तो बेरोजगारों को लेकर ही आंदोलन शुरू करने लग जाते हैं. बेरोजगारों को भड़काते हैं. कब पढ़ाई करेंगे. सड़कों पर आएंगे वो लोग तो पढ़ाई कब करेंगे. बच्चे कब पढ़ाई करेंगे. बच्चों को तो कोई नेता मिलना चाहिए. शुरू हो जाते हैं. यही स्थिति राजस्थान में बनी हुई है.
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