नगर निगम ग्रेटर-हैरिटेज में भाजपा-कांग्रेस के हालत बिना दूल्हे की बारात जैसे, इसके कारण जनता परेशान
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नगर निगम ग्रेटर-हैरिटेज में भाजपा-कांग्रेस के हालत बिना दूल्हे की बारात जैसे, इसके कारण जनता परेशान

 नगर निगम के चुनाव को एक साल पूरा हो चुका है, लेकिन अभी तक विपक्ष में भाजपा-कांग्रेस पार्षद दल का नेता प्रतिपक्ष नहीं चुन पाया है.

फाइल फोटो

Jaipur: नगर निगम बोर्ड को केवल महापौर, उपमहापौर और पार्षद नहीं चला सकते हैं. इसके संचालन के लिए इनके साथ-साथ समितियों और नेता प्रतिपक्ष का भी अहम रोल होता है. उन्हें अधिकार सौंपे जाते हैं, तब जाकर बोर्ड पूरा होता है और कामकाज सही तरीके से सही दिशा में चल पाता है. नगर निगम बोर्ड का गठन हुए 1 साल का समय हो चुका है. लेकिन इस बार अभी तक न तो सत्ता पक्ष हैरिटेज नगर निगम में कांग्रेस समितियों का गठन कर पाई और न ही विपक्ष में भाजपा नेता प्रतिपक्ष बना पाई. ऐसे में अभी तक केवल महापौर के पास ही शक्तियां हैं, ऐसे में कामकाज कैसा हो रहा है और बोर्ड कैसा चल रहा है, यह आम जनता खुद देख रही है और महसूस कर रही है.

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भाजपा और कांग्रेस दोनों ही निगम हैरिटेज (Municipal Heritage) और ग्रेटर में विपक्ष नेता (Opposition leader) बनाना भूल गयी है. तभी नगर निगम ग्रेटर में विपक्ष में बैठे कांग्रेस और हैरिटेज में बीजेपी के पार्षद नेतृत्व विहीन काम कर रहे हैं. नगर निगम चुनाव के एक साल बाद भी नगर निगम हैरिटेज में अभी तक न तो सत्ता पक्ष कांग्रेस समितियों का गठन कर पाई और न ही विपक्ष नेता प्रतिपक्ष बना पाया, ऐसा ही नगर निगम ग्रेटर में देखने को मिल रहा है. वहां कमेटियों का गठन तो हो गया, लेकिन नेता प्रतिपक्ष नहीं मिल पाया है. 

सत्ता पक्ष काम सही तरीके से नहीं कर पा रहा है तो उन्हें रोकने-टोकने और सही दिशा दिखाने के लिए दमदार नेता प्रतिपक्ष ही नही है. केवल विपक्ष के पार्षद अपना विपक्षी होने का धर्म निभा रहे हैं. ऐसे में कामकाज कैसा हो रहा है और बोर्ड कैसा चल रहा है यह आमजनता खुद देख रही है और महसूस कर रही है. जिस दमदार विपक्ष के माध्यम से निगम में आमजन की समस्याएं नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में रखी जानी होती है वह धार विपक्ष में अब तक नजर नहीं आ रही है. नगर निगम (Municipal council) ग्रेटर में भाजपा बोर्ड में भी कार्यवाहक मेयर शील धाभाई को लेकर भाजपा पार्षदों में आपसी धड़ेबंदी कई बार सार्वजनिक हो चुकी है. अपनी ही पार्टी की महापौर के विरुद्ध सार्वजनिक बयानबाजी-नाराजगी तक जता चुके हैं. वहीं, विपक्ष कांग्रेस के पार्षद भी नेता प्रतिपक्ष के मुद्दे को लेकर दो धड़ों में बंटे नजर आ रहे हैं. 

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सरकार चाहे केंद्र की हो राज्य की हो या फिर शहर की, जब तक विपक्ष नहीं होगा, तब तक कोई भी सरकार सही तरीके से नहीं चल सकती है. लेकिन हमारे शहर की दो-दो शहरी सरकार पिछले 1 वर्ष से बिना विपक्ष के ही चल रही है. यही कारण है कि नगर निगम का कामकाज सही तरीके से नहीं चल पा रहा है. इसमें जितना दोष सत्ता पक्ष का है, उतना ही विपक्ष का भी है. भाजपा को हैरिटेज और कांग्रेस को ग्रेटर में एक-एक नेता प्रतिपक्ष बनाने थे. लेकिन भाजपा और कांग्रेस में गुटबाजी ही इतनी है कि आज तक कोई भी एक नाम फाइनल नहीं हो पाया. जिस पार्षद का नाम इसके लिए तय किया जाता है वो आपसी खींचतान और आपतियों में उलझ जाता है. भाजपा और कांग्रेस में आपस ही गुटबाजी इस बार चुनाव के समय से ही चल रही है और अभी तक बरकरार है. यही कारण है कि विपक्ष निगम के किसी भी गलत काम और अव्यवस्था का पूरजोर विरोध नहीं कर पा रहा है.

आपको बता दें कि,  निगम हैरिटेज  (Municipal Heritage) और ग्रेटर में  भाजपा-कांग्रेस  (BJP-Congress) के हालात बिना दूल्हे की बारात जैसे हैं. नगर निगम के चुनाव को एक साल पूरा हो चुका है, लेकिन अभी तक विपक्ष में भाजपा-कांग्रेस पार्षद दल का नेता प्रतिपक्ष नहीं चुन पाया है. इसके कारण सामान्य सभा और अन्य धरना प्रदर्शन जैसे मामलों में भाजपा पार्षद दल नेतृत्व विहीन नजर आता है. पार्षदों के गुट अलग-अलग राय देते हैं, जिसके कारण विपक्ष लगातार कमजोर नजर आ रहा है. 

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