CM ने की केंद्र सरकार से आर्थिक-नीतिगत सहयोग को बढ़ाने की मांग, रखे यह बड़े मुद्दे
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CM ने की केंद्र सरकार से आर्थिक-नीतिगत सहयोग को बढ़ाने की मांग, रखे यह बड़े मुद्दे

गहलोत ने नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेशचंद्र, वरिष्ठ सलाहकार  योगेश सूरी और सलाहकार राजनाथ राम के साथ बैठक में राज्य हित से जुड़े विभिन्न लंबित मुद्दों पर चर्चा की.

चर्चा करते हुे सीएम गहलोत.

Jaipur: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने सहयोगी संघवाद की भावना को मजबूत करने की दिशा राज्यों को उनके विकास के लिए केन्द्र से मिलने वाले आर्थिक एवं नीतिगत सहयोग को बढ़ाने का आग्रह किया है. 

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उन्होंने कहा है कि विगत कुछ वर्षों में आर्थिक मंदी (Financial crisis), कोरोना महामारी (Corona pandemic), प्राकृतिक आपदाओं सहित अन्य कारणों से देश के सभी राज्यों की राजकोषीय स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. साथ ही सामाजिक सुरक्षा का दायरा और अधिक बढ़ाने की जरूरत महसूस की जा रही है. ऐसे में आर्थिक एवं सामाजिक विकास से जुड़ी गतिविधियों के सुचारू संचालन के लिए केन्द्र सरकार (Central Government) राज्यों को अधिक सहयोग प्रदान करे. 

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गहलोत ने नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेशचंद्र, वरिष्ठ सलाहकार  योगेश सूरी और सलाहकार राजनाथ राम के साथ बैठक में राज्य हित से जुड़े विभिन्न लंबित मुद्दों पर चर्चा की. उन्होंने इन विषयों पर पुरजोर पैरवी करते हुए कहा कि कोविड महामारी के कारण राज्यों का अर्थतन्त्र बुरी तरह प्रभावित हुआ है. जरूरतमंद वर्गों को अधिक सामाजिक सुरक्षा देने की आवश्यकता है. इन स्थितियों में केन्द्र सरकार के सहयोग के बिना किसी भी राज्य के लिए अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना आसान नहीं है. 

जल जीवन मिशन में केंद्र सरकार उपलब्ध करवाए सहायता
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश की विषम भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए केन्द्र सरकार राज्य को जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission) में उत्तर-पूर्वी एवं पहाड़ी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों की तरह 50/50 के स्थान पर 90/10 के अनुपात में केन्द्रीय सहायता उपलब्ध कराए. उन्होंने कहा कि वर्ष 2013 तक राष्ट्रीय पेयजल कार्यक्रम के तहत मरुस्थलीय क्षेत्रों के लिए 90/10 के अनुपात से केन्द्रीय सहायता उपलब्ध करायी जाती थी. बाद में इसे घटाकर 60/40 एवं अब 50/50 कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि राज्य में सतही स्रोत सीमित होने के साथ ही गांव-ढाणियां दूर-दूर बसी हुई हैं. इसके कारण पेयजल योजनाओं की लागत अन्य राज्यों की तुलना में काफी अधिक आती है. 

ईस्टर्न राजस्थान कॅनाल प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया जाए
मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान के पूर्वी क्षेत्र के 13 जिलों को सिचाई एवं पेयजल उपलब्ध कराने के लिए ईस्टर्न राजस्थान कॅनाल प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया जाए. करीब 37.247 करोड़ रुपये की इस महत्वाकांक्षी परियोजना से झालावाड़, बारा, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, अजमेर, टोंक, जयपुर, दौसा, करौली, अलवर, भरतपुर एवं धौलपुर की वर्ष 2051 आवश्यकताएं पूरी की जा सकेंगी और 2 लाख हैक्टेयर नए क्षेत्र को सिंचित किया जा सकेगा.

 इन मुद्दों पर भी बोले सीएम गहलोत
गहलोत ने कहा कि डूंगरपुर रतलाम वाया बांसवाड़ा, अजमेर (नसीराबाद) से सवाई माधोपुर (चौथ का बरवाड़ा) वाया टॉक, धौलपुर सरमथुरा आमान परिवर्तन एवं गंगापुर सिटी तक रेल लाइन के विस्तारीकरण तथा गुलाबपुरा भीलवाड़ा में मेमू कोच फैक्ट्री की स्थापना कार्य को भी जल्द शुरू करवाया जाए. मुख्यमंत्री ने एमएसएमई एक्ट-2019 के अनुरूप प्रदेश में एमएसएमई इकाइयों को केन्द्रीय अधिनियमों एवं नियमों के तहत निरीक्षण एवं स्वीकृति से मुक्त किए जाने की मांग रखी. उन्होंने कहा कि इस एक्ट के तहत एमएसएमई उद्यमों को राज्य में 3 वर्ष तक स्वीकृति एवं निरीक्षण से छूट दी गई है और ऐसा अधिनियम लागू करने वाला राजस्थान देश में प्रथम राज्य हैं.

पर्यटन के विकास की अपार संभावनाएं मौजूद 
गहलोत ने कहा कि राजस्थान की पर्यटन की दृष्टि से पूरी दुनिया में अलग पहचान हैं और यहां पर्यटन के विकास की अपार संभावनाएं मौजूद हैं. ऐसे में स्वदेश दर्शन योजना अन्तर्गत राज्य सरकार द्वारा प्रेषित विभिन्न पर्यटन अवसंरचना विकास प्रस्तावों एवं परियोजनाओं पर पुनर्विचार कर इनकी प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति जल्द जारी की जाए. इनमें ईको-एडवेंचर सर्किट, मेगा डेजर्ट सर्किट, वाईल्ड लाईफ टूरिस्ट सर्किट, आदिवासी पर्यटन सर्किट, डीग कुम्हेर भरतपुर सर्किट, शेखावाटी सर्किट सहित श्रीगंगानगर के अनूपगढ़ फोर्ट को विकसित करना तथा आमेर को आइकोनिक टूरिस्ट डेस्टीनेशन के रूप में विकसित करने की परियोजनाएं शामिल हैं.

गौशालाओं एवं नंदीशालाओं के लिए सहयोग का आग्रह
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं के दौरान पीड़ित लोगों को सहायता उपलब्ध कराने की दृष्टि से राष्ट्रीय आपदा मोचन कोष (एनडीआरएफ) एवं राज्य आपदा मोचन कोष (एसडीआरएफ) के प्रावधानों में संशोधन की आवश्यकता है. उन्होंने सूखे के दौरान छोड़े गये अनुत्पादक एवं अन्य पशुओं का रख-रखाव करने वाली गौशालाओं के सभी पशुओं के लिये राहत सहायता उपलब्ध करवाने, वास्तविक प्रभावित कृषकों की संख्या के आधार पर कृषि आदान अनुदान का परिकलन करने तथा कृषि आदान अनुदान की पात्रता की सीमा को 2 हेक्टेयर से बढ़ाकर 5 हैक्टेयर तक करने की मांग रखी. उन्होंने सड़कों पर आवारा पशुओं की समस्या को दूर करने के लिए गौशालाओं एवं नंदीशालाओं के लिए सहयोग का आग्रह किया.

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय पेंशन योजना पर कही यह बात
गहलोत ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय पेंशन योजनाओं में लाभार्थियों की संख्या एवं पेंशन राशि को बढ़ाने का आग्रह करते हुए कहा कि इन पेंशन योजनाओं में लाभार्थियों की संख्या की सीमा के कारण पात्र सभी व्यक्तियों को लाभ नहीं मिल पा रहा है. इसके चलते शेष पात्र व्यक्तियों को राज्य पेंशन योजनाओं में लाभान्वित किया जा रहा है. ऐसे में केन्द्रीय पेंशन योजनाओं में पेंशनर्स की संख्या की सीमा को समाप्त किया जाए. साथ ही इन योजनाओं मिलने वाली सहायता राशि को राज्यों द्वारा दी जाने वाली पेंशन राशि के समान किया जाए.

 

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