CND Waste Plant: करीब 14 साल पहले राजधानी में कंस्ट्रक्शन एंड डेमोलिशन(सीएनडी) वेस्ट का निस्तारण की प्लानिंग को धरातल पर उतरने की उम्मीद जगी है. ऐसा होने से सड़क किनारे लगे कंस्ट्रक्शन मलबे के ढेर खत्म होंगे और उससे टाइलें बनाकर शहर भर में लगाईं जाएंगी.
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CND Waste Plant: शहर में जगह-जगह लगे कंस्ट्रक्शन मलबे के ढेर का निस्तारण को अच्छी खबर आयी है. अब जयपुर में सड़कों पर फैला मकानों का मलबा भी अब उपयोग में आ सकेगा. ग्रेटर और हेरिटेज नगर निगम मिलकर सीमेंट एंड डिमॉलिश (सीएनडी ) वेस्ट का प्लांट लगाने जा रहा है. इसमें पुराने मकानों को तोड़ने के बाद जो मलबा बचता है उसका उपयोग इंटरलॉकिंग टाइल्स और ब्लॉक्स बनाने के काम में लिया जा सकेगा. इसकी प्लानिंग 14 साल से चल रही थी. जिसका एमओयू अब हो पाया है. यह प्लांट लांगड़ियावास में लगाया जाएगा, जिसके लिए फर्म को जमीन मुहैया करवा दी है.
शिवालिक सिलिका और अर्घ इंजीनियरिंग कंपनी को यह जमीन 20 साल के लिए दी गई है. जिसमें अगले एक साल में प्रोजेक्ट शुरू हो जाएगा. कंपनी प्रति टन निगम से 390 रुपए का भुगतान लेगी. जो मलबे को उठाने का खर्च होगा. रोजाना 300 टन मलबे का कलेक्शन, ट्रांसपोर्टेशन और प्रोसेसिंग की जाएगी. टाइल्स, इंटर लॉकिंग और एम सेंड को भी निगम भुगतान कर उपयोग में ले सकेगा. प्रोजेक्ट हैड राजेश चौधरी ने बताया कि पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड में प्लांट की अनुमति के लिए सीटीई के लिए आवेदन कर दिया गया है.
10 साल पहले 40 हजार टन मलबा पड़ा था
जयपुर शहर की सड़कों पर 10 साल पहले 40 हजार टन मलबा पड़ा था.यह मकानों को तोड़ने के बाद गुपचुप तरह से सड़कों पर डाला जा रहा है.इसे ना तो निगम उठाता है और ना ही कचरे के वाहन उठाते हैं. इस मलबे से कई सड़कों पर वाहनों की आवाजाही भी बाधित हो जाती है.इसे रोकने के लिए निगम ने कैमरे लगाने का प्लान भी बनाया था.लेकिन कुछ नहीं हुआ.. इसमें गुर्जर की थड़ी से सुल्तान नगर रोड, आगरा रोड, दिल्ली बाइपास तथा अजमेर रोड व जोबनेर रोड पर सबसे ज्यादा मलबा पड़ा है.
2 से ढाई लाख टन मलबा सड़क पर
.निगम सर्वे के मुताबिक करीब 2 से ढाई लाख टन मलबा सड़क पर है.प्लांट शुरू होने के बाद कंपनी रोजाना 300 टन कचरे का निस्तारण करेगी.शहर के मलबे के निस्तारण में करीब 10 साल लग जाएंगे..वर्तमान में घरों, इमारतों, सड़कों आदि के निर्माण के दौरान मलबे के रुप में निकलने वाली निर्माण सामग्री का उपयोग नहीं हो रहा है.इस मलबे को शहर से बाहर खुले में अथवा सड़कों के किनारे फेंका जा रहा है.इस प्लांट के स्थापित होने से मलबे के रुप में निकली निर्माण सामग्री को इस प्लांट के माध्यम से पुन: उपयोग के लिए उपयोगी बनाया जाएगा.बजरी, सीवरेज के चैम्बर, मैनहॉल के ढक्कन, इंटरलॉकिंग और टाइल्स बनाने में सीएनडी वेस्ट का उपयोग किया जाएगा.
बहरहाल, अभी दोनो नगर निगम को तय करना है कि यह पैसा निगम शहरवासियों से कैसे वसूल करेगा. इस प्लॉन्ट को लगाने में करीब छह करोड़ रुपए खर्च होंगे. यह पैसा कम्पनी ही खर्च करेगी.सीएनडी वेस्ट निस्तारण होने के अंक स्वच्छता सर्वेक्षण में भी मिलते हैं.