पिंकसिटी का 11 करोड़ रुपये की लागत से तैयार 64.30 हैक्टेयर भूमि पर "किशनबाग जयपुर के धोरे" प्रोजेक्ट है.
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Jaipur: पिंकसिटी में 'किशनबाग जयपुर के धोरे' में आमजन को जल्द एंट्री मिलेगी. विद्याधर नगर स्थित किशनबाग (Desert Park Kishanbagh) में विकसित किए गए मरुस्थलीय पार्क का नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने निरीक्षण किया. मुख्यमंत्री गहलोत (CM Ashok Gehlot) दिवाली से पहले इस अनूठे पार्क के लोकार्पण की तैयारी है.
पिंकसिटी का 11 करोड़ रुपये की लागत से तैयार 64.30 हैक्टेयर भूमि पर "किशनबाग जयपुर के धोरे" प्रोजेक्ट है. नाहरगढ़ की तलहटी में प्राकृतिक रूप से बने रेत के टीबो को मरुस्थलीय पार्क का स्वरूप दिया गया हैं. अरावली हिल्स और जैसलमेर-बाड़मेर की वनस्पतियों से सजा 'किशनबाग जयपुर के धोरे' दीपावली (Diwali 2021) से पहले आमजन के लिए खुलेगा. गुलाबीनगरी में जैसलमेर-बाड़मेर जैसा माहौल नजर आएगा. यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने इस पार्क का करीब तीन घंटे तक अफसरों के साथ विजिट किया.
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साथ हीं, पार्क में सिविल कार्य, हॉर्टीकल्चर वर्क और पार्क की विशेषताओं को बारीकी से जाना. इस पार्क में रेगिस्तान में पाए जाने वाली प्रजातियों के सात हजार से अधिक पौधे लगाए गए हैं. पार्क अलग-अलग भागों में विभाजित है, जहां विभिन्न प्रकार के पौधों, घास, चट्टान और जीवाश्म आदि की जानकारी दी गई. देश भर में अपनी तरह के इस एकमात्र पार्क का मुख्यमंत्री गहलोत दिवाली से पहले लोकार्पण कर सकते हैं. प्रोजेक्ट सलाहकार प्रदीप किशन और जेडीए आयुक्त गौरव गोयल ने पार्क के विभिन्न आकर्षणों के बारे में बताया.
प्रचार-प्रसार की रणनीति
नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल (Shanti Dhariwal) ने बताया कि इस अद्वितीय पार्क को विश्व मानचित्र पर पर्यटक स्थल के तौर पर शामिल किया जाएगा. इसके लिए प्रचार-प्रसार की रणनीति बनाई जाएगी. पार्क में आने वालों को कुछ एंट्री चार्ज भी देना पड़ेगा, यह कितना होगा अभी तय नहीं हुआ है. अरावली की पहाड़ियों के नीचे विकसित किए इस डेजर्ट पार्क में जैसलमेर, बाड़मेर, जालौर, बीकानेर और जोधपुर क्षेत्र में उगने वाली घास, पेड़-पौधे लगाए गए है. साथ ही यहां बने बड़े-बड़े मिट्टी के टीले पर इन वनस्पतियों को उगाया गया है, ताकि यहां आने वाले पर्यटकों को जैसलमेर में बने डेजर्ट पार्क का जैसा एहसास हो. धारीवाल ने कहा की पार्क के सामने करीब 10 हैक्टेयर खाली जमीन को अतिक्रमण से बचाने के लिए उस पर भी कोई योजना विकसित करने की जरूरत हैं.
स्टूडेंट्स के लिए सीखने के लिए यह अच्छी जगह है
जेडीसी गौरव गोयल (Gaurav Goyal) ने बताया की सबसे पहले स्कूली बच्चों को इस पार्क में लाकर विजिट कराया जाएगा. स्टूडेंट्स के लिए सीखने के लिए यह अच्छी जगह है. किशनगबाग परियोजना पूरे भारत में अकेली ही रेतीले टीबो में विकिसित और अद्वितीय पार्क हैं. पार्क में आने वाले लोगों को सहज और सरल भाषा में जानकारी देने और आकर्षित करने के लिए फोटो और साइनेज लगाए हुए हैं ताकि वे इस पार्क की विशेषताओं को समझ सकें. पार्क से जयपुर में आने वाले वैज्ञानिक और रिचर्स करने वाले स्टूडेंट्स को रेत से बनी राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों में पाए जाने वाली चट्टानों के बारे में जानकारी मिल सकेगी.
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सरकंडों की टहनियों से बना छप्पर
चट्टानों, रेत के टीबों और आद्र भूमि की विषम परिस्थितियों में उगने वाले पौधों के बारे में जानकारी एक ही स्थान पर मिल सकेगी. गोयल ने बताया की पार्क के रखरखाव का जिम्मा राव जोधा डेजर्ट रॉक पार्क सोसायटी को दिया गया है. यह सोसायटी जोधपुर स्थित राव जोधा पार्क का रखरखाव करती है. यह पार्क नाहरगढ़ पहाड़ी की तलहटी क्षेत्र विकसित किया गया है. इस कारण यहां बड़ी संख्या में तीतर, चील, शिकर, खरगोश जैसे जीव भी आते-जाते हैं. इसे देखते हुए जेडीए ने यहां एक वॉटर बॉडी बनाई हैं. इस वॉटर बॉडी में पानी पीने के लिए ये पशु-पक्षी जब आएंगे तो यह पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र होगा. यहां आने वाले पर्यटकों के लिए बैठक के लिए सरकण्डों की टहनियों से बना छप्पर तैयार किया गया है. साथ ही पार्क में 600 मी. लम्बा पत्थर और लकड़ी का वॉक-वे है.
परियोजना में ये हुए काम
सिविल कार्य पार्क की फेसिंग, पार्किंग, नर्सरी, प्रवेश प्लाजा मय टिकट घर, आगंतुक केंद्र मय शौचालय, माईक्रो हेबीटेट्स (ग्रेनाइट हैबिटेट्स), धोक हैबीटेट, रॉक एंड फोसिल्स कलस्टर, रोई हेबीटेट-एक्जिबिट, माइक्रो हेबीटेट्स (आद्रभूमि वृक्षारोपण), व्यूइंगडैक वॉटरबॉडी मय जेटी.
हॉर्टीकल्चर
रेगिस्तानी प्रजातियों के करीब 7 हजार पेड़ लगाए गए हैं. खैर, रोज, कुमठा, अकोल, धोंक, खेजडी, इंद्रोक, हिंगोट, ढाक, कैर, गूंदा, लसोडा, बर्ना, गूलर, फालसा, रोहिडा , दूधी, चुरैल,पीपल, जाल, अडूसा, बुई, वज्रदंती, आंवल, थोर, फोग, सिनाय, खींप, फ्रास आदि प्रजाति के पेड़-पौधे और लापडा, लाम्प, धामण, चिंकी, मकडो, डाब, करड, सेवण प्रजाति की घास लगाई गई हैं.
बहरहाल, राजस्थान में जैसलमेर के डेजर्ट नेशनल पार्क में घूमने का आनंद अलग ही है लेकिन इसी तरह का आनंद अब पिंकसिटी में भी लिया जा सकेगा. डेजर्ट पार्क की थीम पर मूर्तरूप ले चुका किशनबाग डवलपमेंट करने का मकसद टूरिस्ट को आकर्षित करना है. पर्यटक पिंकसिटी में भी रेगिस्तान के दृश्यों के बीच खूबसूरत रेत की पहाड़ियों, वनों और आकर्षक प्राणी प्रजातियों की झलक देख पाएं.