Digital Emergency in Rajasthan: राजस्थान में डिजिटल इमरजेंसी! कश्मीर के बाद लोगों के मौलिक अधिकारों का हुआ हनन
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Digital Emergency in Rajasthan: राजस्थान में डिजिटल इमरजेंसी! कश्मीर के बाद लोगों के मौलिक अधिकारों का हुआ हनन

Digital Emercency in Rajasthan:  पूरे राजस्थान में पिछले 3 दिनों से गहलोत सरकार ने मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को निलंबित कर दिया  है जो 5 दिन तक चलेगी.  कानून और व्यवस्था के मुद्दों पर नेट सेवा को निलंबित करने की बात आती है तो जम्मू और कश्मीर के बाद राजस्थान दूसरे स्थान पर है.

Digital Emergency in Rajasthan: राजस्थान में डिजिटल इमरजेंसी! कश्मीर के बाद लोगों के मौलिक अधिकारों का हुआ हनन

Digital Emercency in Rajasthan: राजस्थान में भी इंटरनेट शटडाउन करने का ट्रेंड बन गया हैं. दंगे- रैली-धरने-प्रतियोगी परीक्षा या फिर अन्य छोटे मोटे कारण और जरूरत के बिना ही इंटरनेट शटडाउन कर दिया जाता हैं.जबकि जम्मू कश्मीर से जुड़े एक मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि आज के दौर इंटरनेट लोगों के मौलिक अधिकारों में शामिल हो गया है.यानी यह जीने के हक जैसा ही जरूरी है.ऐसे में बेवजह इंटरनेट बंद नहीं किया जा सकता है.उसके बावजूद देश में डिजिटल मुहिम के बीच इंटरनेट शटडाउन के ग्राफ ने चिंता बढ़ा दी है. राजस्थान में तीन दिन से आधी आबादी नेटबंदी के दायरे में हैं.

इंटरनेट सेवा बंद
इंटरनेट सेवा बंद यानि डिजिटल इमरजेंसी लगाकर फंडामेंटल राइट (मौलिक अधिकारों) को छीना जा रहा हैं. कोई भी परीक्षा हो या फिर कोई दंगे की घटना सबसे पहले इंटरनेट शटडाउन करके सरकार अपनी नाकामी छिपाने के लिए इंटरनेट बंदी को ही हथियार बना रही है.

पेपर लीक नहीं रोक पाते तो इंटरनेट बंद

 इंटेलिजेंस फेल्योर के कारण दंगे होते हैं तो इंटरनेट बंद.जम्मू कश्मीर के बाद राजस्थान दूसरा राज्य है जहां सबसे ज्यादा इंटरनेट बंद किया जा रहा है.जम्मू कश्मीर में दस साल में 418 बार इंटरनेट पर पाबंदी लगाई गई और राजस्थान में 93 बार यह स्थिति बनी.यह आंकड़ा भी केवल उस दिन का है जिस दिन इंटरनेट बंद किया गया.इसमें कब तक इंटरनेट प्रभावित रहा, ऐसे दिनों की संख्या तो और भी ज्यादा है.

बढते ग्राफ ने चिंता बढ़ाई 
देश में डिजिटल मुहिम के बीच इंटरनेट शटडाउन के बढते ग्राफ ने चिंता बढ़ा दी है.इंटरनेट बंद होने से सभी तरह के ऑनलाइन काम ठप हो गए.करोड़ों रूपए का कारोबार प्रभावित हो रहा है.इससे उन सेक्टर को करोड़ों रुपए के राजस्व से हाथ धोना पड़ रहा है जिनका संचालन इंटरनेट के जरिए होता है. दैनिक उपयोग के कार्यों के लिए ऑनलाइन बुकिंग करने वाले लाखों लोग परेशान हो रहे है. बैंकिंग, ऑनलाइन शॉपिंग, स्वास्थ्य, शिक्षा से लेकर कैब सर्विस बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं. हालांकि लीज लाइन ब्रॉडबैंड संचालित होने से थोडी राहत है. 

एक्सपर्ट के मुताबिक  राज्यों में जरूरत के बिना ही इंटरनेट शटडाउन करने का ट्रेंड बना गया है. जिस कारण ऐसे हालात पनपे हैं.दूरसंचार विभाग को भी इसकी जानकारी है.जबकि मोबाइल इंटरनेट के जरिए कई सुविधाएं उपलब्ध हैं.लेकिन लाखों लोगों की नियमित दिनचर्या प्रभावित हो रही है.कई काम ठप हो गए हैं, जिससे लोग और व्यापारी दोनों परेशाान हैं.रोजाना पेट्रोल, फल-सब्जी, दूध-चाय, घरेलू सामग्री, इलेक्ट्रॉनिक्स, बेकरी, बैंकिंग, इंश्योरेंस सहित अन्य कामकाज ऑनलाइन करने वाले लोग परेशान हो रहे हैं.पेट्रोल पम्प पर पेमेंट नहीं हो सके.कर्मचारी लोगों को ऑनलाइन पेमेन्ट बंद है. कैश देने पड़ेंगे.कहते नजर आए.ऑनलाइन पेमेन्ट ट्रांसफर, बिल जमा कराने, टिकट बुक कराने जैसे काम लोग फोन से नहीं कर सके। टिकट बनवाने के लिए आईडी नहीं भेज सके.

नेटबंदी का असर

दुनियाभर से वाट्सएप, फेसबुक, ट्विटर व अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से  जुड़े रहने वाले दुनियाभर के युवा इंटरनेट बंद होने से सबसे ज्यादा परेशान हो रहे है.

ई-वे बिल, डेबिट-क्रेडिट कार्ड भुगतान प्रक्रिया, ई-वॉलेट ट्रांजेक्शन, मूवी टिकट बुकिंग, मोबाइल बैंकिंग, इंटरनेट बैंकिंग, ऑनलाइन टैक्सी सर्विस, ऑनलाइन होम डिलवरी, ऑनलाइन फूड ऑर्डर, ऑनलाइन ट्रांजेक्शन, पानी-बिजली आदि के बिल जमा, ऑनलाइन शॉपिंग, ई-कॉमर्स, होटल बुकिंग, फ्लाइट बुकिंग, रेल यात्रा बुकिंग, टूर पैकेज, कॉर्ड स्वाइप मशीन, ऑनलाइन मॉन्यूमेंट बुकिंग, मनी ट्रांसफर, इंश्योरेंस प्रीमियम सेवा का उपयोग नहीं हो रहे

शहर से बाहर जाने वाले लोग जहां ट्रेन व फ्लाइट की बुकिंग कराने के लिए ब्रॉडबैंड तलाशते रहे.ऑनलाइन बैंकिंग भी प्रभावित रही युवा कई प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए आवेदन नहीं कर पाए।

-शहर के सभी पेट्रोल पंप पर ऑनलाइन ट्रांजेक्शन ठप रहा.पंप पर सबसे पहले वहां कर्मचारी ये पूछते नजर आए कि आप पेमेंट कैसे करेंगे.कार्ड या ऑनलाइन पेमेंट बताते ही तेल भरने से मना कर दिया.गौरतलब है कि पोस मशीन भी मोबाइल सिम से ऑपरेट होती है.इसी तरह कई स्थानों पर कार्ड पेमेंट नहीं हो पाया.

शहर में चलने वाली लो-फ्लोर बसों में भी पीओएस मशीन से टिकट देकर यात्रा करवाइ जाती हैं.ऐसे में मेन्यूअली टिकट देकर ही यात्रा करवाई जा रही हैं.

अभी फेस्टिवल सीजन हैं.ग्राहक खरीदारी के लिए पहुंच रहे हैं.लेकिन, नेटबंदी से परेशानी उठानी पड़ रही है.ऑनलाइन ट्रांजक्शन नहीं कर पाए.

जयपुर में आज नेटबन्दी का तीसरा दिन रहा.आमजन के लिए नेटबन्दी खासी दिक्क्त दे रहा है.जहां तक बात अस्पतालों में मरीजों की दिक्कत की बात की जाए तो इसके लिए अस्पताल प्रबंधनों ने ब्रॉडबैण्ड इंटरनेट कनेक्शन के जरिए सुविधाओं को सुचारू कर रहे है.हालांकि इस दौरान मरीजों की दिक्कतों की बात की जाए तो पेमेंट के लिए अस्पताल प्रबंधन वाईवाई की  सुविधाएं दे रहे है जिससे पेमेंट किए जा रहे है.

नेटबंदी का आंकड़ा

राज्यों के नाम कितनी बार हुई नेटबंदी
जम्मू कश्मीर 411
राजस्थान 93
यूपी  30
हरियाणा 18
पश्चिम बंगाल 16
महाराष्ट 12
गुजरात-बिहार 11-11
मेघालय-मध्यप्रदेश 7-7
अरुणाचल 6
मणिपुर 6

 सरकार ने इंटरनेट बंद क्यों किया

अब सवाल ये उठता  है कि सरकार ने इंटरनेट बंद क्यों किया? पेपरलीक, अफवाहें या धार्मिक भावना भड़काने वाले मैसेज रोकने के लिए किए है. .लेकिन वो तो अब भी नहीं रुक रहे, क्योंकि सरकार ने इंटरनेट बंद किया है.ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया ऐप से नहीं. बल्किअफवाहें फैलाने वाले अब भी ब्रॉडबैंड कनेक्शन की मदद से सोशल मीडिया पर जहर उगल सकते हैं.पेपरलीक कर सकते हैं.

बड़ी संख्या में  है ब्रॉडबैंड यूजर्स
राजस्थान में बड़ी संख्या में ब्रॉडबैंड यूजर्स हैं.सरकार अगर सोशल मीडिया ऐप बंद कर देती तो अफवाहें या धार्मिक जहर फैलाने का हर जरिया बंद हो जाता.लेकिन सरकार ने इंटरनेट बंद करने का रास्ता चुना जिसका खामियाजा करोड़ों राजस्थान के लोगों को भुगतना पड़ रहा हैं.सरकार को नेटबंदी का दर्द जानना है तो उन कैब ड्राइवर से मिलना चाहिए या फूड डिलीवरी बॉय से मिलना चाहिए जिनकी रोजी-रोटी दो दिन से छिनी हुई है.तीन दिन से काम नहीं कर पा रहा.राजस्थान में हाल ही करौली, जोधपुर, भीलवाड़ा दंगों और अब उदयपुर घटना के बाद नेटबंदी हुई है.उसके बाद इस साल 25 फरवरी से लगातार थर्ड ग्रेड परीक्षा के दौरान लोग नेटबंदी की मार झेल रहे हैं.

दरअसल, अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा अब डिजिटल बन चुका है.ऐसे में इंटरनेट बंद होने का कारोबार पर बहुत असर पड़ता है.आजकल लोग नकदी कम रखते हैं.ऑनलाइन ट्रांजेक्शन पर ज्यादा भरोसा करते हैं.नगद पैसे न होने से खरीदारी कम करके वापस जा रहे हैं.चाय से लेकर सब्जी वाले और परचून से लेकर फूलवालों की बात करें तो अधिकतर लोग ऑनलाइन ट्रांजक्शन करते हैं.लेकिन इन सभी की बिक्री प्रभावित हो रही हैं.

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