तीन साल बाद भी जनता से दूर सरकार के 'जनता क्लिनिक', जो खुले, वहां स्टाफ मौजूद नहीं
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तीन साल बाद भी जनता से दूर सरकार के 'जनता क्लिनिक', जो खुले, वहां स्टाफ मौजूद नहीं

योजना के लिए प्रदेश में 142 जगह भी चिन्हित की गई थी लेकिन पिछले करीब तीन सालों से जनता क्लिनिक योजना ठंडे बस्ते में ही नजर आ रही है. जनता क्लिनिक के लिए राजधानी जयपुर में 22 जगह चिन्हित की गई थी लेकिन इनमें से महज 12 जगह ही जनता क्लिनिक की शुरुआत हो पायी है और पूरे प्रदेश में बांसवाड़ा और जालोर को छोड़कर अभी तक जनता क्लिनिक नहीं खुले हैं.

तीन साल बाद भी जनता से दूर सरकार के 'जनता क्लिनिक', जो खुले, वहां स्टाफ मौजूद नहीं

Jaipur: राजस्थान को निरोगी बनाए रखने के लिए करीब तीन साल पहले राज्य सरकार ने अपने बजट में पूरे राज्य में जनता क्लिनिक खोलने की घोषणा की थी. सरकार की सोच थी कि इस योजना से प्रदेश के लोगों को उनके के घर के पास ही इलाज मिल सकेगा और बड़े अस्पतालों में मरीजों का भार कम हो सकेगा.

इस योजना के लिए प्रदेश में 142 जगह भी चिन्हित की गई थी लेकिन पिछले करीब तीन सालों से जनता क्लिनिक योजना ठंडे बस्ते में ही नजर आ रही है. जनता क्लिनिक के लिए राजधानी जयपुर में 22 जगह चिन्हित की गई थी लेकिन इनमें से महज 12 जगह ही जनता क्लिनिक की शुरुआत हो पायी है और पूरे प्रदेश में बांसवाड़ा और जालोर को छोड़कर अभी तक जनता क्लिनिक नहीं खुले हैं.

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अब बात अगर राजधानी जयपुर में खुले जनता क्लिनिक के हालात की जाए तो यहां बदतर हालात हैं. ज़ी राजस्थान न्यूज की टीम जयपुर में जनता क्लिनिक के वास्तविक हालात जानने के लिए जब ग्राउंड जीरो पर पहुंची तो जनता क्लिनिक में मिलने वाली सुविधाओं की पूरी असलियत सामने आ गई. ज़ी राजस्थान न्यूज की टीम चांदपोल इलाके के जनता क्लिनिक पर पहुंची, जहां मरीज तो थे लेकिन जनता क्लिनिक पर स्टाफ नहीं था. सिर्फ एक ANM और एक फार्मासिस्ट के भरोसे जनता क्लिनिक चलता हुआ नजर आया. यहां मरीजों को चिकित्सक और इलाज दोनों का इंतजार था. जब पड़ताल की तो पता चला कि डेपुटेशन पर यहां स्टाफ लगा हुआ था. अब जब डेपुटेशन खत्म किया गया तो स्टाफ भी इक्का-दुक्का रह गया है.  

जनता क्लिनिक योजना सरकारी कागजों के ठंडे बस्ते में 
राजस्थान में दिल्ली की तर्ज पर खोले गये जनता क्लिनिक योजना सरकारी कागजों के ठंडे बस्ते में नजर आ रही है. राजस्थान के आम जन को घर के नजदीक इलाज देने के  उद्देश्य के साथ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पहले बजट में जनता क्लिनिक खोलने की घोषणा की थी. लेकिन अब जनता क्लीनिक योजना के दावे सरकार के फेल होते जा रहे हैं.

प्रदेश भर में अभी तक मात्र 15 जनता क्लिनिक खोले हैं, जिनमें से 12 जनता क्लिनिक जयपुर में ही है. अब स्वास्थ्य विभाग एक महीने में पहले चरण का टारगेट पूरा करने की बात कह रहा है लेकिन कैसे सम्भव हो सकता है? मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने निरोगी राजस्थान के सपने को साकार करने के उद्देश्य के साथ प्रदेश की जनता को सस्ता, सुलभ और घर के नजदीक इलाज उपलब्ध करवाने के मकसद से योजना शुरू की थी. 

तीन साल में मात्र 15 सेंटर खोले गए 
योजना के पहले चरण में पूरे राजस्थान में 142 स्थानों पर जनता क्लिनिक खोले जाने थे लेकिन तीन साल में मात्र 15 सेंटर खोले गए हैं, जिसमे जयपुर में 12 शेष बांसवाड़ा और जालोर में खोले गए है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की इस महत्वाकांक्षी योजना को चिकित्सा विभाग उनके गृह जिले जोधपुर में क्षेत्र में ही लागू नहीं कर पाया. हालत यह है की कई जिलों में बीते एक साल से जनता क्लिनिक बनकर तैयार हो गए हैं लेकिन मैनपावर के आभाव में अभी तक शुरू नहीं किया गया और जो शुरू किये गये हैं, वो जनता क्लिनिक स्टाफ की कमी से जूझ रहे हैं.

क्या है चिकित्सा विभाग के अधिकारियों का कहना 
चिकित्सा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि आगामी 1 से 2 महीने के अंदर प्रदेश के लगभग सभी जिलों में जनता क्लिनिक खुल जाएंगे. इसके लिए प्रत्येक जिले को जनता क्लिनिक के लिए 70 लाख का बजट भी जारी कर दिया है. ज्यादातर जिलों में जनता क्लिनिक बनकर तैयार हो चुके हैं. कई जिलों में जनता क्लीनिक बनकर तैयार हो गए हैं लेकिन स्टाफ नहीं होने के कारण शुरू नहीं किया गया. योजना के अनुसार प्रत्येक जनता क्लिनिक पर 7 लोगों का स्टाफ लगाया जाता है, जिसमें एक चिकित्सक, नर्सिंग स्टाफ, फार्मासिस्ट और सपोर्टिंग स्टाफ शामिल है. प्रत्येक जनता क्लीनिक में आठ तरह की मुख्यमंत्री निशुल्क जांच और दवा योजना का लाभ देने का प्रावधान रखा गया है. स्टाफ की कमी पूरी करने के लिए जिला स्तर पर बनी कमेटी द्वारा स्टाफ का चयन कर कॉन्ट्रेक्ट पर लगाया जाता है लेकिन अधिकांश जिलों में अभी तक स्टाफ का भी चयन नहीं किया गया.

अलग से जारी हुआ था बजट
जनता क्लिनिक खोलने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अलग से बजट जारी किया था लेकिन शुरूआती चरण में भामाशाहों और विधायकों के सहयोग लेकर योजना को मूर्त रूप देने की प्लानिंग शुरू की. जिन स्थानों पर भामाशाहों और विधायकों का सहयोग रहा वहां जनता क्लिनिक बनकर तैयार हो गए लेकिन सहयोग नहीं मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया, जिसका नतीजा यह रहा कि बीते तीन सालो में एक भी नया जनता क्लिनिक शुरू नहीं हो सका. वहीं, विभाग का कहना है कि कोरोना संक्रमण के दौरान बजट को मेडिकल के अन्य कार्यों के लिए उपयोग में ले लिया गया, जिसके चलते नए जनता क्लिनिक नहीं शुरू किये.

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