मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने होमगार्ड की इस पीड़ा को समझा और बजट में 12 हजार होमगार्ड को विभिन्न सरकारी कार्यालय, निगम, बोर्ड आदि में रोजगार देने की घोषणा की. लेकिन सरकारी महकमें की कारगुजारियों से रोजगार बढ़ाने के बदले जिनको रोजगार मिल रहा है उनका भी छीना जा रहा है.
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Jaipur: बेरोजगारी के चलते बेचारे बने होमगार्ड्स के लिए सरकार ने बजट में घोषणा की. दावा किया की नियमित तो नहीं करेंगे, लेकिन अलग अलग जगहों पर रोजगार का इंतजाम जरूर कर देंगे. लेकिन हालत इसके उलट हैं. सरकार होमगार्ड को रोजगार देने के बजाय उनको मिला हुआ रोजगार छीन रही है. नतीजा ये है कि होमगार्ड स्वयंसेवकों के रोटी खाने के भी लाले पड़ रहे हैं.
प्रदेश में करीब 30000 होमगार्ड स्वयंसेवक है, लेकिन इनमें से दस हजार को भी नियमित रोजगार नहीं मिल पा रहा है. यूं कह सकते हैं साल में केवल चार महीने ही रोजगार मिल रहा है.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने होमगार्ड की इस पीड़ा को समझा और बजट में 12 हजार होमगार्ड को विभिन्न सरकारी कार्यालय, निगम, बोर्ड आदि में रोजगार देने की घोषणा की. मुख्यमंत्री की इस घोषणा से अब होमगार्डस को आठ महीने रोजगार मिलने की उम्मीद जगी, लेकिन सरकारी महकमें की कारगुजारियों से रोजगार बढ़ाने के बदले जिनको रोजगार मिल रहा है उनका भी छीना जा रहा है. इसको लेकर होमगार्ड स्वयंसेवकों में अच्छा खासा गुस्सा भी पनप रहा है.
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होमगार्ड स्वयंसेवकों का कहना है कि एक तरफ तो मुख्यमंत्री राजेगार बढ़ाने की घोषणा कर रहे हैं, वहीं उनके कारिंदे रोजगार देना तो दूर लग हुए होमगार्ड का रोजकार छीनने का काम कर रह हैं.ऐसे में होमगार्ड स्वयंसेवक खुद को ठगा सा महसूस कर रहा हैं कि मुख्यमंत्री रोजगार बढ़ाने की घोषणा कर रहे हैं, वहीं अफसर उनकी सुध नहीं ले रहे हैं.
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