IAS Shubhra Singh donate kidney: एसीएस चिकित्सा एवं स्वास्थ्य शुभ्रा सिंह(IAS Shubhra Singh) रही जिन्होंने बताया कि वो खुद एक ऑर्गन डोनर (Organ Donar) है और पूरी तरह स्वस्थ है और एक आम जिंदगी जी रही है. उन्होंने आम आवाम से अपील करते हुए कहा कि अंगदान को लेकर तमाम भ्रांतियों को हटाते हुए लोगों को अंगदान जैसी जरूरी पहल के लिए आगे आना चाहिए.
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IAS Shubhra Singh donate kidney: अंगदान अपने आप में सबसे बड़ा दान कहा जाता है. विश्व संदर्भ में देखें तो अंगदान करने के मामले में भारत दुनिया में बेहद पिछड़ा हुआ देश है. जहां प्रति दस लाख की आबादी पर केवल 0.16 लोग अंगदान करते हैं. जबकि प्रति दस लाख की आबादी पर स्पेन में 36 लोग, क्रोएशिया में 35 और अमेरिका में 27 लोग अंगदान करते हैं. भारत में प्रति वर्ष लाखों लोगों की अंग प्रत्यारोपण का इंतजार करते-करते मौत हो जाती है. इसका कारण मांग और दान किये गए अंगों की संख्या के बीच बड़ा अंतराल है. दिसंबर 2018 में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा एक प्रश्न के उत्तर में राज्यसभा में यह जानकारी दी गई कि प्रत्येक वर्ष भारत में लगभग 2 लाख गुर्दे, 30 हजार ह्रदय और 10 लाख नेत्र की जरूरत है.
जबकि केवल ह्रदय 340 और 1 लाख नेत्र यानी कॅर्निया ही प्रतिवर्ष मिल रहे हैं, हालांकि देश में हर संभव कोशिश की जा रही है कि अंगदान को लेकर लोगों में जो गलतफहमियां है उन्हें दूर कर ज्यादा से ज्यादा कर अंगदान के प्रति जागरूक किया जाए. इसी कड़ी में जयपुर के एसएमएस अस्पताल के जेएमए सभागार में अंगदान को लेकर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम में मरीज धोली देवी को बुलाया जिनके हार्ट ट्रांसप्लांट को एक साल पूरा हो चुका है और वो पुरी तरह स्वस्थ्य है.
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धौली देवी का एसएमएस अस्पताल में ही ठीक एक साल पहले सरकारी क्षेत्र में हार्ट ट्रांसप्लांट किया गया था. इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि एसीएस चिकित्सा एवं स्वास्थ्य शुभ्रा सिंह रही जिन्होंने बताया कि वो खुद एक ऑर्गन डोनर है और पूरी तरह स्वस्थ है और एक आम जिंदगी जी रही है. उन्होंने आम आवाम से अपील करते हुए कहा कि अंगदान को लेकर तमाम भ्रांतियों को हटाते हुए लोगों को अंगदान जैसी जरूरी पहल के लिए आगे आना चाहिए. उन्होंने बताया कि खुद उन्होंने अपने पति को को करीब एक साल पहले अपनी किडनी डोनेट की थी और एक महीने बाद ही वो काम पर लौट आयीं थी और पूरी तरह फिट है.