Jaipur hospital gave new life: जयपुर के सीतापुरा स्थित महात्मा गांधी अस्पताल, जयपुर के किडनी प्रत्यारोपण विशेषज्ञों ने हाल ही में एक दिन में 6 रोगियों में स्वैप किडनी प्रत्यारोपण कर राज्य में इतिहास रचने का दावा किया है. खास बात यह है कि इन सभी रोगियों को उसी ब्लड ग्रुप का मैचिंग डोनर नहीं मिल पा रहा था.
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Jaipur hospital gave new life: जयपुर के सीतापुरा स्थित महात्मा गांधी अस्पताल, जयपुर के किडनी प्रत्यारोपण विशेषज्ञों ने हाल ही में एक दिन में 6 रोगियों में स्वैप किडनी प्रत्यारोपण कर राज्य में इतिहास रचने का दावा किया है. खास बात यह है कि इन सभी रोगियों को उसी ब्लड ग्रुप का मैचिंग डोनर नहीं मिल पा रहा था. ऐसे में किडनी प्रत्यारोपण नहीं हो पा रहा था.
एक अस्पताल में एक दिन में एक साथ छह स्वैप किडनी प्रत्यारोपण करने का देश के चिकित्सा इतिहास में बहुत ही कम जानकारी अब तक मिली है.
अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट यूनिट के निदेशक विख्यात यूरोलोजिस्ट प्रो. डॉ. टी सी सदासुखी और राजस्थान के जाने-माने गुर्दा रोग विशेषज्ञ व महात्मा गांधी अस्पताल में नेफ्रेलोजी हैड प्रो. डॉ. सूरज गोदारा ने बताया कि डोनर किडनी देने को तैयार हो और ब्लड ग्रुप मैच नहीं हो तो यह बड़ी निराशाजनक स्थिति होती है. स्वैप किडनी डोनेशन के जरिये रोगियों को उपचारित किया जा रहा है. स्वैप किडनी ट्रांसप्लांट उसी स्थिति में हो सकता है जबकि कई रोगी तथा डोनर्स वेटिंग में हों.
महात्मा गांधी अस्पताल में राज्य के सर्वाधिक किडनी प्रत्यारोपण किये गये है. अब यह संख्या 1600 से अधिक हो गई है. हाल ही में किए गए सभी ऑपरेशन विगत 8 मई,2023 को हुए. इसमें 4 सर्जन्स ने 4 ऑपरेशन थियेटर्स में, सुबह 8 बजे ऑपरेशन शुरू किये थे जो करीब 12 घण्टे चले तथा रात 8 बजे तक पूरे हो सके थे. गहन चिकित्सा इकाई में उन्हें संक्रमणमुक्त वातावरण में रखा गया तथा 10 दिन की रिकवरी के बाद छुट्टी दे दी गई.
अभी किये गये फॉलो-अप में सभी रोगी जिनमें किडनी प्रत्यारोपित की गई तथा सभी डोनर्स पूरी तरह ठीक हैं तथा शीघ्र ही वे सामान्य दिनचर्या में लौट आये हैं. डॉ. सूरज गोदारा ने बताया कि यहां कैडेवर, लिविंग डोनर, एबीओ इंकॉम्पिटिबल तथा स्वैप तकनीक से किडनी ट्रांसप्लांट किए जा रहे हैं.
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उन्होंने बताया कि पहले मामले में बहरोड निवासी निशांत का ब्लड ग्रुप बी-पॉजीटिव था जबकि उसकी डोनर माता ललता देवी का ब्लड ग्रुप ओ-पॉजिटिव था. एंटीबॉडीज के कारण ट्रांसप्लांट में समस्या आ रही थी. ऐसे में उन्हें स्वैप डोनर सरिता यादव की किडनी लगाई गई. दूसरे मामले में श्रीगंगानगर निवासी किडनी रोगी रजनी शर्मा का ब्लड ग्रुप एबी-पॉजीटिव था जबकि उनके पति गौरी शंकर का ब्लड ग्रुप बी पॉजिटिव था. ऐसे में एंटीबॉडीज के कारण उनका किडनी ट्रांसप्लांट नहीं हो पा रहा था.
स्वैप ट्रांसप्लांट के जरिये उन्हें मैचिंग स्वैप डोनर मुन्नी देवी की किडनी लगाई गई. तीसरे मामले में रोगी उषा शाक्य जयपुर की रहने वाली थीं उनका ब्लड ग्रुप बी पॉजिटिव था जबकि उनके डोनर रमेश चंद का ब्लड ग्रुप ए-पॉजिटिव था. ऐसे में अलग ब्लड ग्रुप के कारण उनका भी किडनी ट्रांसप्लांट नहीं हो पा रहा था. उन्हें स्वैप डोनर ललता देवी मीना की किडनी लगाई गई.चौथे मामले में झुंझुनू निवासी प्रीति सोनी का ब्लड ग्रुप ए-पॉजिटिव था जबकि उनके डोनर उनकी माता मुन्नी देवी का ब्लड ग्रुप बी-पॉजिटिव था.
उन्हें स्वैप डोनर रमेश चंद की किडनी प्रत्यारोपित की गई. पांचवा केस भी कुछ ऐसा ही था जिसमें डीडवाना निवासी महिपालसिंह का ब्लड ग्रुप बी पॉजिटिव था जबकि उनकी डोनर माता स्वरूप कंवर का ब्लड ग्रुप ए पॉजिटिव था. ऐसे में उन्हें स्वैप डोनर गौरीशंकर शर्मा की किडनी लगाई गई. छठे मामले में मैनपुरी, यूपी के रहने वाले दिनेश यादव का ब्लड ग्रुप ए पॉजिटिव था जबकि उनकी डोनर पत्नी सरिता का ब्लड ग्रुप बी पॉजिटिव था. मैचिंग ब्लड ग्रुप नहीं होने की वजह से वे बहुत दिनों से मैचिंग डोनर का इंतजार कर रहे थे. ऐसे में स्वैप डोनेर स्वरूप कंवर की किडनी लगाई.
डॉ. टी सी सदासुखी तथा डॉ सूरज गोदारा का कहना है कि किडनी की बीमारी से बचने के लिए कुछ बातों पर जरूर ध्यान देना चाहिए जैसे स्वस्थ जीवनशैली को अपनाएं, नियमित रूप से व्यायाम करें, ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखें, जंक फूड और ऑइली फूड से दूरी बनाएं, मोटापा कम करें और शराब व तंबाकू के सेवन से बचें.
किडनी के गंभीर रोगियों के लिए किडनी प्रत्यारोपण अंतिम उपचार होता है. किडनी की बीमारियों के प्रति जन-जागरूकता बहुत जरूरी है. यदि समय पर बीमारी की पहचान हो जाये तो किडनी को पूरी तरह खराब होने से बचाया जा सकता है.