Independence Day 2024: आजादी के 77 साल...लेकिन कब होंगे हम आजाद? पूछ रही महिलाएं, युवा और बच्चे
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Independence Day 2024: आजादी के 77 साल...लेकिन कब होंगे हम आजाद? पूछ रही महिलाएं, युवा और बच्चे

Rajasthan News: भारत आधिकारिक रूप से 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश शासन से आजाद हो गया था, लेकिन सवाल है क्या सच में आजाद है हम? क्योंकि ये आजादी लिखी गई केवल हमारे देश के नाम. हम अभी भी इंतजार में है अपनी आजादी के. महिलाओं को इंतजार है समाज से अपनी आजादी का. देखिए ये खास रिपोर्ट...

 

Independence Day 2024: आजादी के 77 साल...लेकिन कब होंगे हम आजाद? पूछ रही महिलाएं, युवा और बच्चे

Independence Day Special: 15 अगस्त 1947 को मिली आजादी के बाद हर साल देश इस आजादी को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाता है, लेकिन आज भी हम आजाद भारत में अपनी आजादी को खोज रहे है. ये आवाज है महिलाओं की जो पूछती है. क्यों छीन ली गई पश्चिम बंगाल में उस महिला की जान, क्यों छीन ली गई उसकी आजादी, कहां गया उसका आजाद रहने का अधिकार. कहां गई उस महिला की आजादी, जिसे नागौर में बाइक से घसीटा गया.... क्या उस महिला को आजाद रहने का अधिकार नहीं था?

देश आजाद, लेकिन महिलाओं को अभी भी इंतजार
देश की महिला पूछती है, क्यों हमारी स्वतंत्रता किसी और के हाथों में है. आज भी इंतजार है. हमें आजादी तब मिलेगी, जब हम हमारे देश में खुलकर सांस ले सकें. हमें वो आजादी चाहिए, जहां हम बेखौफ रहकर आगे बढ़ सकें. जो एक औरत को सही पहचान दिला सकें. जहां हम हमारे आत्मसम्मान की रक्षा कर सकें. पूछती है हर महिला कौन देगा हमें हमारी स्वतंत्रता. वहां हम खामोश हो जाते है और सोचने पर मजबूर हो जाते है कि क्या सच में हमारा देश आजाद है.

गड़बड़ियों के चलते परीक्षाएं हो रही रद्द
देश 78 वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है, लेकिन देश का युवा आज भी मायूसी से अपनी आजादी को देख रहा है, लेकिन नजर नहीं आ रही उसे अपनी आजादी. उसका दिमाग अभी भी सवालों से भरा है कि कब होगा मेरे साथ न्याय. क्या कभी बिना पेपर लीक के हो पायेगा कोई एग्जाम. लीक, शक और गड़बड़ियों के चलते परीक्षाएं रद्द या स्थगित हो रही हैं और इन सभी के बीच झूल रहा युवाओं का करियर. आज भी युवा लाचार महसूस कर रहा है. मन में घुटन है गुस्सा है. उसे अपनी आजादी नहीं महसूस हो रही. 

सड़कों पर तिरंगा बेच रहे बच्चे...
देश में बढ़ते भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, भुखमरी, कुपोषण और गरीबी के कारण आजादी शब्द के मायने खत्म हो रहे है. इन सभी अभावों के साथ कैसे कहें कि हम आजाद है. देश की सड़कों पर बच्चे हाथों में तिरंगा लिए और हर आते जाते लोगों से बोल रहा है कि तिरंगा खरीद लो...स्वतंत्रता दिवस है, आजादी का पर्व है ये तिरंगा खरीद लो. लेकिन उसे नहीं पता कि क्या है स्वतंत्रता दिवस, क्या है उसकी अहमियत. हमें सच में आजादी तभी मिलेगी, जब हमारे देश का हर नागरिक आजाद महसूस करेगा. 

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