झुंझुनू और सीकर में बालिकाओं को समझा जाता था बोझ, अब यही जिले बदल रहे पूरे देश की सोच
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झुंझुनू और सीकर में बालिकाओं को समझा जाता था बोझ, अब यही जिले बदल रहे पूरे देश की सोच

अब राजस्थान में बेटियों को बोझ नहीं समझा जाता है.

प्रतीकात्मक तस्वीर

Jaipur: राजस्थान जन्म लिंगानुपात (sex ratio) के मामले में देश में सबसे ज्यादा बदनाम था, लेकिन अब धीरे-धीरे लिंगानुपात का ये कलंक राजस्थान (Rajasthan News) के माथे से हटता जा रहा है. अब राजस्थान में बेटियों को बोझ नहीं समझा जाता है. अब मरूधरा की इस धरती पर बेटियां (Girls) पैदा होने पर गालियां नहीं बल्की थालियों की आवाज सुनाई देती है.

राजस्‍थान में सबसे ज्‍यादा सुधार हुआ है
बेमिसाल होती हैं बेटियां, असीम प्यार पाने की हकदार होती हैं बेटिया, खुशनसीब हैं वो, जिनके आंगन में बेटियां होती है. ये कहावत बिल्कुल सही साबित हो रही है. राजस्थान को कलंकित करने वाला लिंगानुपात का काला अध्ययाय अब हटता जा रहा है. पिछले 5 सालों में शिशु लिंगानुपात में राजस्‍थान में देश भर में सबसे ज्‍यादा सुधार हुआ है. एक समय कन्या भ्रूण हत्या (female foeticide) की घटनाएं इस हद तक बढ़ गई थीं कि 2011 में लिंगानुपात 888 के चिंताजनक स्‍तर तक पहुंच गया था, लेकिन आज राजस्थान का लिंगानुपात 948 तक पहुंच गया है, जो काफी संतोषजनक है.

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अब पूरे देश में अग्रिम पक्ति में झुंझुनू 
जो झुंझुनू (Jhunjhunu) पूरे देश में लिंगानुपात के मामले में सबसे पीछे था, वो अब वहीं झुंझुनू अग्रिम पंक्ति में आकर खडा हो गया है. झुंझुनू में जहां 2015 में लिंगानुपात 903 था, वहीं, अब बढकर 950 हो गया है. इसके अलावा सीकर (Sikar News), नागौर, जोधपुर, पाली, हनुमानगढ में भी बेटियों को अब बोझ नहीं समझा जाता.

टॉप 6 जिले, जो जन्म लिंगानुपात में अग्रणी
जिला         2015  2016   2017   2018    2019-20  
झुंझुनू         903   949     949       936    950
जोधपुर       950   950     950       960    960
पाली          914   924     937       943    949
सीकर        923   961     946      945     960
हनुमानगढ़  971   973     970      977     969
नागौर        950   973     967      963     975

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मरूधरा में 2011 से अब तक का लिंगानुपात
वर्ष            बालक     बालिकाएं

2011          1000  पर    888
2016          1000  पर     929
2017          1000  पर     938
2018          1000   पर    944
2019          1000   पर    947
2020          1000   पर    948

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अब राजस्थान में बेटियों को बोझ नहीं माना जाता है
अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस (international girl child Day) पर ये रिपोर्ट जरूर बताती है कि अब राजस्थान में बेटियों को बोझ नहीं माना जाता है, लेकिन आज भी ऐसे गांव या शहर है, जहां बेटियों के लिए परिवार का नजरियां नहीं बदला है. इसलिए अब वक्त आ गया है बदलाव का. सोच बदलेगी तो बेटियां आगे बढे़ंगी, बेटियां आगे बढे़ंगी तो इंडिया भी आगे बढे़गा.

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