जयपुर: पाप-पुण्य के फेर में जेल में अटके 4 करोड़, पीड़ित नहीं कर रहे 'क्लेम'
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जयपुर: पाप-पुण्य के फेर में जेल में अटके 4 करोड़, पीड़ित नहीं कर रहे 'क्लेम'

अपराध के बाद कोर्ट सश्रम कारावास की सजा सुनाते हैं. सजा के दौरान जेल में श्रम करने पर कैदी को सरकार पारिश्रमिक का भुगतान करती  है. कैदी की मेहनत की कमाई में 25 प्रतिशत हिस्सा पीड़ित के परिजन को देने का प्रावधान है. 

जयपुर: पाप-पुण्य के फेर में जेल में अटके 4 करोड़, पीड़ित नहीं कर रहे 'क्लेम'

Jaipur: प्रदेश की जेलों में बंद कैदी अपने पाप की सजा काट रहे हैं, वहीं पीड़ित कुछ हद तक इन्हें सजा दिलाकर संतुष्ट हैं. बावजूद इसके पीड़ित इन कैदियों की पाप की कमाई का हिस्सा बनने को तैयार नहीं हैं. 

जी हां ! जेलों में कैदियों को जो मजदूरी मिलती है, उसका 25 प्रतिशत हिस्सा पीड़ित या वारिस को दिया जा रहा है. बड़ी संख्या में पीड़ित परिवार इस हिस्से को लेने नहीं पहुंच रहे हैं. जेल प्रशासन के पास करीब चार करोड़ जमा हो गए है. मुसीबत यह है कि जेल प्रशासन को इन पैसों को बांटने के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ रही है. 

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अपराध के बाद कोर्ट सश्रम कारावास की सजा सुनाते हैं. सजा के दौरान जेल में श्रम करने पर कैदी को सरकार पारिश्रमिक का भुगतान करती  है. कैदी की मेहनत की कमाई में 25 प्रतिशत हिस्सा पीड़ित के परिजन को देने का प्रावधान है. यह बात दूसरी है कि इस 25 प्रतिशत राशि को क्लेम करने के लिए बड़ी संख्या में पीड़ित के परिजन नहीं आ रहे हैं. ऐसे में जेल प्रशासन के पास करीब चार करोड़ रुपये जमा हो गए हैं...जेल प्रशासन पीड़ित पक्ष के वारिसों की पहचान के लिए काफी जद्दोजहद कर रहा है.

कई गुना बढ़ा पारिश्रमिक, फिर भी 'क्लेम' नहीं
जेल प्रशासन का कहना है कि पहले कैदियों को दस, बीस और तीस रूपए पारिश्रमिक मिलता था. ऐसे में इतने कम पारिश्रमिक को क्लेम करने कोई  नहीं आता था, यह बात समझ में आती है, लेकिन अब जेल में अकुशल श्रमिकों को 156 रुपये तथा कुशल श्रमिकों को 180 रुपये प्रतिदिन मजदूरी दी रही है. इस हिसाब से एक कैदी से 1170 से लेकर 1350 रुपये महीने जमा हो रहे हैं. जेल प्रशासन की मुसीबत है कि इतनी बड़ी राशि को कोई क्लेम करने नहीं आ रहा है.  

ये हैं वारिस, जिनकी तलाश 
जेल में जमा इस राशि पर पीड़ित के पति या पत्नी, बच्चे दावा कर सकते हैं या फिर मां-बाप नहीं होने पर बच्चों को पाल रहा दादा हकदार होता है. अभी तक इन हकदारों की पहचान के लिए जेल प्रशासन सम्बंधित थानों को वारिसों की पहचान करने के लिए लिख देता था. ऐसे में कुछ वारिस राशि क्लेम करने पहुंचे भी हैं.  

कोर्ट से भी लगाएंगे गुहार 
जेल महानिदेशक दक ने निर्देश दिया है कि सजा के समय वारंट जारी होने पर जेल अधिकारी कोर्ट से ही आग्रह करेंगे.

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