जयपुर: 28 माह बाद जगी हैरिटेज निगम में बोर्ड बैठक बुलाने की उम्मीद, क्या बढ़ सकती है मेयर मुनेश गुर्जर की परेशानी?
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जयपुर: 28 माह बाद जगी हैरिटेज निगम में बोर्ड बैठक बुलाने की उम्मीद, क्या बढ़ सकती है मेयर मुनेश गुर्जर की परेशानी?

Jaipur: जयपुर नगर निगम हैरिटेज को लेकर बड़ी खबर है, करीब पूरे 28 माह बाद साधरण सभा की बैठक की उम्मीद जगी है,निगम हैरिटेज कमिश्नर विश्राम मीणा ने पत्र लिखा है.बोर्ड बैठक में कांग्रेस के सहयोग से भाजपा अविश्वास प्रस्ताव ला सकती है. जानकारों का कहना है कि यदि बैठक हुई तो हैरिटेज मेयर मुनेश गुर्जर की परेशानी बढ़ सकती है.

जयपुर: 28 माह बाद जगी हैरिटेज निगम में बोर्ड बैठक बुलाने की उम्मीद, क्या बढ़ सकती है मेयर मुनेश गुर्जर की परेशानी?

Jaipur: जयपुर नगर निगम हैरिटेज में करीब 28 माह बाद साधारण सभा की बैठक बुलाने को लेकर उम्मीद जगी हैं. पार्षदों की ओर से पिछले दिनों बोर्ड बैठक बुलाने के लिए दिए प्रस्ताव के बाद निगम हैरिटेज कमिश्नर विश्राम मीणा ने 22 मार्च को साधारण सभा बुलाने के लिए अनुमति मांगी है.

इसके लिए उन्होंने हैरिटेज क्षेत्र के पांच विधायकों और दो सांसदों को को पत्र लिखकर इसके लिए परमिशन मांगी है. अगर परमिशन मिलती है और बैठक होती है तो इसमें मेयर मुनेश गुर्जर की कुर्सी पर संकट भी मंडरा सकता है. 

संभावना ऐसी जताई जा रही है कि भाजपा के पार्षद बैठक में मेयर के खिलाफ अविश्वास का प्रस्ताव ला सकते है. वो भी कांग्रेस और निर्दलीय पार्षदों के सपोर्ट से यही नहीं इस बैठक में नगर निगम का वित्तवर्ष 2023-24 के बजट को भी चर्चा के लिए रखा जा सकता है.जिसे मंजूरी के लिए सरकार को भिजवाया है.

क्योंकि पिछले दिनों बजट सीधे सरकार को भिजवाने पर मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने नाराजगी जताई थी.उन्होंने आपत्ति उठाई थी कि हम नगर निगम के सदस्य है और हमसे पूछे बिना बजट कैसे सरकार को पास के लिए भिजवा दिया.

उन्होंने कहा था कि जल्द बैठक बुलाई जाए और हो सके तो बजट को भी चर्चा के लिए उस बैठक में रखा जाए.मुनेश गुर्जर को मेयर का उम्मीदवार बनाने के लिए जिस विधायक ने पैरवी की थी वहीं अब उनसे सबसे ज्यादा खफा चल रहे है.पिछले कुछ समय से प्रताप सिंह खाचरियावास और मेयर मुनेश गुर्जर के बीच विवाद देखने को मिल रहा है. 

बजट सीधे सरकार को भिजवाने, विधानसभा क्षेत्र में विकास के काम नहीं होने,प्रशासन शहरों के संग अभियान में पट्‌टों की फाइलों को बिना वजह रोके जाने के मुद्दे पर विधायक कई बार सीधे तौर पर मेयर और उनके अधीन कर्मचारियों-अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठा चुके है.

उनके विधानसभा क्षेत्र से जीतकर आए कांग्रेस के अधिकांश पार्षद भी नाराज है.वहीं कुछ निर्दलीय पार्षद भी मेयर से नाराज चल रहे है.बैठक में अगर मेयर के खिलाफ अविश्वास का प्रस्ताव आता है तो उसे मंजूरी के लिए तीन चौथाई सदस्यों का बहुमत जरूरी है.यानी 100 पार्षदों की संख्या में से 75 पार्षदों की सहमति जरूरी है. वर्तमान में 41 भाजपा और उनके समर्थित 2 निर्दलीय पार्षद विपक्ष में है.इसके बाद भी 30 से ज्यादा कांग्रेस के पार्षदों का समर्थन भी चाहिए.

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