दूदू के उपजिला अस्पताल में डॉक्टर्स की भरमार, फिर भी रेफेर के अलावा नहीं है कोई उपचार
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दूदू के उपजिला अस्पताल में डॉक्टर्स की भरमार, फिर भी रेफेर के अलावा नहीं है कोई उपचार

Jaipur News :  राजधानी के फागी उप जिला अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाएं बेपटरी पर नजर आ रही है.  यहां चिकित्सको की संख्या 32 और नर्सिंग कर्मियों की संख्या 23 है हॉस्पिटल में ओपीडी की संख्या का औसत करीब 800-1000 रहता है पर चिकित्सक न तो समय पर आते है नही समय पर जाते है. 

दूदू के उपजिला अस्पताल में डॉक्टर्स की भरमार, फिर भी रेफेर के अलावा नहीं है कोई उपचार

Jaipur News : प्रदेश में बेहतर चिकित्सा व्यवस्थाओं को लेकर लगातार गहलोत सरकार कदम तो उठा रही है साथ ही बेहतर चिकित्सा सेवाओ को लेकर लगातार प्रयास में भी जुटी है लेकिन सरकारी नुमाइंदे सरकार की बेहतर चिकित्सा व्यवस्थाओं को पलीता लगाने से बाज नहीं आ रहे हैं राजधानी के फागी उप जिला अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाएं बेपटरी पर नजर आ रही है. ऐसे में उप जिला अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाएं लेने आने वाले मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है यहां पर समय पर ना ही तो चिकित्सक आते हैं और ना ही समय तक रुकते हैं वही जगह-जगह गंदगी और अव्यवस्थाओं का आलम है ऐसे में इस उप जिला अस्पताल को खुद इलाज की जरूरत है.

फागी कस्बा राजधानी से सटा होने के कारण यहां उप जिला अस्पताल में चिकित्सको की संख्या 32 और नर्सिंग कर्मियों की संख्या 23 है हॉस्पिटल में ओपीडी की संख्या का औसत करीब 800-1000 रहता है पर चिकित्सक न तो समय पर आते है नही समय पर जाते है और मुश्किल से 15 चिकित्सक ही रोजना मिलते है जिससे क्षेत्र की जनता में चिकित्सकों के प्रति रोष है चिकित्सको ने रोटेट प्रणाली बना रखी है जिससे मरीजो को काफी परेशानियों से रूबरू होना पड़ रहा है.

उप जिला अस्पताल का परिसर् गंदगी से अटा पड़ा हुआ है और जनाना वार्ड का तो कहना ही क्या जहां प्रसूति महिलाओं व अटेंडेंट के शौच के लिए पानी नही है वार्ड गंदगी से अटा पड़ा है और बेडशीट कई दिनों तक बदली ही नही जाती और तो और प्रसूति महिलाओं को ओढ़ने के लिए फटी पुरानी कंबल दी जाती है जिससे महिलाओं में अस्पताल प्रशासन के विरूद्ध गुस्सा है पर चिकित्सको की मनमानी के आगे महिलाओं को नतमस्तक होना मजबूरी कहे या आदत सी हो गई है.

सीएचसी को स्थानीय विधायक के दबाव में उप जिला अस्पताल को बना दिया गया पर सुविधाओ व ढर्रा के नाम पर केवल नाम ही बदला गया जिससे हॉस्पिटल में आए गंभीर रोगियों को अस्पताल प्रशासन को रेफेर करना ही एक मात्र इलाज रह गया हॉस्पिटल में आर्थोपेडिक चिकित्सक का न होना दुर्घटना में आए मरीजो के लिए अभिशाप साबित हो रहा है जिससे गुर्घटनाग्रस्त मरीज को अपनी जेब से खर्चा कर निजी अस्पतालों की शरण मे जाना पड़ रहा है जिससे मरीज को जान का झोखिम व समय और रुपयों की बर्बादी झेलनी पड़ रही है.

उप जिला अस्पताल फागी में सोनोग्राफी मशीन तो है पर तकनीशियन के अभाव के चलते महिलाओं को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है मजबूरन ऊंचे दामो पर निजी लेबो की शरण मे जाना पड़ रहा है साथ ही चिकित्सक भी अकसर दवाइयां बाहर की लिखते है जिससे ग्रामीण जनता को चिकित्सको से इस रवैये से नाराजगी है पर प्रशासन की ढिलाई कहे या मजबूरी चिकित्सक अपनी मनमानी से बाज नही आ रहे है जिसका खामियाजा फागी की जनता को भुगतना पड़ रहा है साथ ही प्रभावशाली लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए भवन अन्यत्र शिफ्ट किया जा रहा है जिसका ग्रामीण बराबर विरोध जता रहे है.

प्रदेश की गहलोत सरकार आमजन को बेहतर चिकित्सा व्यवस्था देने के लिए लगातार प्रयास कर रही है इसी प्रयास का फल स्वरुप है कि यहां सीएचसी से उप जिला अस्पताल का दर्जा किया गया लेकिन यहां आने वाले मरीजों को अव्यवस्थाओं और लापरवाही के सिवा कुछ नहीं मिल रहा जिसके चलते काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है ऐसे में जरूरत है के राज्य सरकार की स्वास्थ्य योजनाओं को पलीता लगाने वाले अधिकारियों पर सरकार कब एक्शन लेगी. ताकि फागी की जनता को बेहतर चिकित्सा सेवाएं मिल सके.

Reporter- Amit Yadav

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