Jaipur Excise department rigged: राज्य के आबकारी विभाग में ऐसा दर्जनों मामलों में किया जा रहा है. आबकारी विभाग के अफसरों को गलती होने पर निलंबित किया जा रहा है, लेकिन निलंबन की यह सजा सालों तक नहीं चलती, बल्कि कुछ दिन बाद ही सजा माफ कर मनचाही पोस्टिंग दे दी जाती है. आबकारी विभाग में पिछले सालभर में बड़ी संख्या में आबकारी निरीक्षकों, सहायक आबकारी अधिकारियों और जिला आबकारी अधिकारियों को निलंबित किया जा चुका है.
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Jaipur Excise department rigged: आबकारी विभाग (Excise department ) राज्य सरकार का राजस्व लाने वाला दूसरा बड़ा महकमा है. लेकिन इन दिनों यहां किस अफसर को किस तारीख को निलंबित कर दिया जाए, कहा नहीं जा सकता. लेकिन निलंबन की ये सजा अगले कुछ दिन में ही खत्म हो जाती है. यानी कि अफसरों का निलंबन और बहाली एक खेल बना हुआ है.
राज्य के आबकारी विभाग में ऐसा दर्जनों मामलों में किया जा रहा है. आबकारी विभाग के अफसरों को गलती होने पर निलंबित किया जा रहा है, लेकिन निलंबन की यह सजा सालों तक नहीं चलती, बल्कि कुछ दिन बाद ही सजा माफ कर मनचाही पोस्टिंग दे दी जाती है. आबकारी विभाग में पिछले सालभर में बड़ी संख्या में आबकारी निरीक्षकों, सहायक आबकारी अधिकारियों और जिला आबकारी अधिकारियों को निलंबित किया जा चुका है.
राज्य सेवा अफसरों की सेवा नियमावली में ऐसा बहुत कम होता है. किसी भी विभाग में किसी अधिकारी को निलंबन की सजा एक्स्ट्रीम गलती होने पर दी जाती है और निलंबन के बाद बहाल होने में 2 से 3 साल का समय लग जाना आम बात है. लेकिन आबकारी विभाग में निलंबन की यह सजा 2 माह भी नहीं रहती. बल्कि कई अफसरों को तो मात्र एक माह के अंदर ही निलंबन से फिर से बहाल कर दिया जाता है.
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निलंबन के समय ज्यादातर कारणों में जांच लंबित होने या विभागीय कार्य प्रक्रिया के तहत विभागीय राशि बकाया रहने, गारंटी राशि पूरी नहीं होने की बात कही जाती है. दरअसल आबकारी विभाग में राजस्व का दबाव होने के नाम पर निलंबन की कार्यवाही की जाती है और फिर कार्मिकों की कमी का हवाला देकर फिर से बहाल कर दिया जाता है.
राज्य सेवा के अधिकारियों को निलंबित करने और बहाली का अधिकार आबकारी आयुक्त के पास नहीं है. इसके बावजूद राज्य सेवा के कुछ अधिकारियों को आयुक्त ने निलंबित और एपीओ कर दिया था. 4 जनवरी 2023 को धनेश खटीक निलंबन के बाद कोर्ट से स्टे ले आए. इससे पहले भी आयुक्त ने राज्य सेवा के धौलपुर डीईओ परमानंद पाटीदार, बीकानेर एईओ रश्मि जैन को एपीओ कर दिया था.
राज्य सेवा के अधिकारियों की बहाली डीओपी के सदस्य वाली कमेटी के जरिए होती है, इसलिए विभाग के सहदेव सिंह रत्नू, मुकेश देवपुरा करीब 3 महीने बाद अभी भी निलंबित हैं. जबकि आबकारी निरीक्षकों के मामले में डीओपी की कमेटी नहीं होने से विभाग खुद के स्तर पर महीनेभर में ही बहाल कर पोस्टिंग दे देता है. सहदेव सिंह रत्नू, मुकेश देवपुरा के बाद निलंबित हुए आबकारी निरीक्षकों को करीब 2 महीने पहले ही पोस्टिंग मिल चुकी है.