Rajasthan Politics: सुझाव या नसीहत,पानी और चिकित्सा पर गहलोत के बयान गरमाई राजस्थान की राजनीति
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Rajasthan Politics: सुझाव या नसीहत,पानी और चिकित्सा पर गहलोत के बयान गरमाई राजस्थान की राजनीति

Rajasthan Politics: राजस्थान की गर्मी के साथ ही राजनीति भी पूरे शबाब पर दिख रही है.बहरहाल मूलभूत सुविधाओं को लेकर सरकार को पूर्ववर्ती सरकार के मुखिया अशोक गहलोत MS सुझाव भी मिल रहे हैं.

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Rajasthan Politics:प्रदेश में गर्मी नित नये रिकॉर्ड बना रही है, लेकिन इस माहौल में राजनीति भी पूरे शबाब पर दिख रही है.गर्मी के माहौल में आमजन को बिजली, पानी और चिकित्सा जैसी मूलभूत सुविधाएं मिल सके.यह सबसे बड़ी जरूरत दिख रही है.

बहरहाल मूलभूत सुविधाओं को लेकर सरकार को पूर्ववर्ती सरकार के मुखिया अशोक गहलोत MS सुझाव भी मिल रहे हैं.हालांकि लोगों की सहूलियत का ध्यान रखने के लिए काम तो सरकार भी कर रही है,लेकिन गहलोत के बयान और इसकी टाईमिंग चर्चा का मुद्दा बन गई है.चर्चा यह भी हो रही है कि पूर्व सीएम सुझाव दे रहे हैं या नसीहत? और चर्चा यह भी कि यह गहलोत का अनुभव बोल रहा है या एक राजनेता की सरकार को बैकफुट पर धकेलने के लिए स्वाभाविक प्रतिक्रिया?

बढ़ती गर्मी ने आमजन को बेहाल कर रखा है.इस गर्मी के हालात में लोगों तक राहत पहुंचाने के लिए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने पिछले दिनों बिजली-पानी और चिकित्सा महकमे के अधिकारियों को मुस्तैद रहने के निर्देश दिए हैं.साथ ही सीएम ने तीनों विभागों के मंत्रियों से भी बातचीत कर इंतजाम पुख्ता रखने को कहा है, लेकिन इन सब के बीच सीएम भजनलाल शर्मा को एक महत्वपूर्ण सलाह भी मिली है.

यह सुझाव पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तरफ से आया है.उन्होंने गर्मी के मौसम में चरमराती चिकित्सा व्यवस्था का जिक्र किया और कहा कि चिकित्सा लोगों की मूलभूत जरूरत है और मूलभूत सुविधाओं की परेशानी लोगों के लिए पेचीदगी भरी होती है.

गहलोत ने सोशल मीडिया 'एक्स' पर अपने बयान में लिखा कि, 'इतनी भयंकर गर्मी में मरीजों के लिए पर्याप्त पंखे, कूलर या एयर कंडीशनर नहीं हैं'. पूर्व मुख्यमंत्री ने लिखा कि वह मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से निवेदन करना चाहेंगे कि एक आपातकालीन बैठक बुलाकर, अस्पतालों के लिए विशेष फंड आवंटित कर सभी अस्पतालों में मां कल व्यवस्थाएं सुनिश्चित करें.

अब पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने अनुभव के हिसाब से बयान तो दे दिया,लेकिन उनके इस बयान की चर्चा सोशल मीडिया पर हो रही है,चर्चा इस बात को लेकर हो रही है? कि गहलोत का यह बयान मुख्यमंत्री के लिए सुझाव है? या नसीहत? चर्चा इस बात की भी, कि, गहलोत के बयान की टाइमिंग कितनी सटीक है?

दरअसल मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा अलग-अलग विभागों को निर्देश देने के बाद फॉलोअप जांचने के लिए मुख्य सचिव सुधांश पंत से फीडबैक भी ले रहे हैं.हालांकि इसके साथ ही सीएम के कंधों पर अलग-अलग राज्यों में पार्टी के लिए चुनाव प्रचार की ज़िम्मेदारी भी है.

इस बीच आगामी दिनों में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बैठक भी प्रस्तावित बताई जा रही है. शुक्रवार को भी चिकित्सा विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव शुभ्रा सिंह ने समीक्षा बैठक बुलाई.

इन सबके बीच क्या गहलोत का ट्वीट उनके अनुभव को दर्शाने वाला है? सवाल यह भी है? कि क्या गहलोत का ट्वीट यह दिखा रहा है? कि उनके कहने पर ही सरकार बैठक बुला रही है? या फिर गहलोत का ट्वीट उनके अनुभव को दिखा कर रहा है?

दरअसल तीन बार के मुख्यमंत्री रहे अशोक गहलोत ने कोरोना के समय बड़ी संख्या में मीटिंग की, इसमें कोई दो राय नहीं है.लेकिन यह भी उतना ही सच है कि गर्मी और बारिश के दौरान किसी भी आपातकाल की स्थिति में आमतौर पर सरकार के मुखिया की भूमिका में जो भी नेता रहा.

वह इस तरह की बैठकें बुलाता रहा है. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी अपने समय इस तरह की बैठकें बुलाई तो अशोक गहलोत ने भी यह काम किया.अब मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने भी अपने स्तर पर निर्देश जारी किए और आगामी दिनों में बैठक प्रस्तावित बताई जा रही है.

अलबत्ता मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ऐसे मुद्दों पर सीधी बातचीत हो या नहीं.यह एक अलग विषय है,लेकिन पूर्व सीएम ने अपने बयान के जरिये सीधे सीएम भजनलाल को टैग करते हुए सरकार पर सवाल उठाने भी शुरू कर दिये हैं कि सरकार का ध्यान चिकित्सा व्यवस्थाओं पर है भी कि नहीं?.

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