जयपुर: प्रदेशभर के सरकारी दफ्तरों के बाबू भी उतरे हड़ताल पर, आम जनता परेशान
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जयपुर: प्रदेशभर के सरकारी दफ्तरों के बाबू भी उतरे हड़ताल पर, आम जनता परेशान

जयपुर न्यूज: प्रदेशभर के सरकारी दफ्तरों के बाबू  हड़ताल पर उतर गए हैं. इस वजह से आम जनता परेशान हो रही है.शपथ बनवाने के लिए लोग कोर्ट-कलक्ट्रेट के चक्कर काट रहे हैं.

 

 

जयपुर: प्रदेशभर के सरकारी दफ्तरों के बाबू भी उतरे हड़ताल पर, आम जनता परेशान

जयपुर: हड़तालों से हलकान प्रदेश की जनता की परेशानी और बढ़ने वाली है. मंत्रालयिक कर्मचारियों के बाद राजस्वकर्मियों ने भी काम बंद कर दिया हैं. प्रदेशभर के मंत्रालयिक कर्मचारी और राजस्वकर्मी कामकाज बंद कर सामूहिक अवकाश पर चले गए हैं. इससे सरकारी दफ्तरों में फाइलों का मूवमेंट बंद हो गया है. विभागों के काम प्रभावित हो रहा हैं.कलेक्ट्रेट से लेकर मिनी सचिवालय संभागीय आयुक्त, डीएसओ ऑफिस, रजिस्ट्री दफ्तर तक सन्नाटा पसरा हुआ हैं.

राजधानी जयपुर की फिजां में इन दिनों केवल नारेबाजी का शोर सुनाई दे रहा है. अपनी-अपनी मांगों को लेकर सरकारी मुलाजिम हड़ताल पर चले गए हैं और ग्राम पंचायतों से लेकर तहसील और जिला स्तर पर जुटकर शक्ति प्रदर्शन किया जा रहा है.

मंत्रालयिक कर्मचारियों ने जहां 11 सूत्रीय मांगों को लेकर महापड़ाव डाल रखा हैं. वहीं राजस्वकर्मी भी राज्य सरकार से हुए समझौता लागू करने की मांग को लेकर दो दिन से सामूहिक अवकाश पर हैं. आज से ग्राम विकास अधिकारियों ने हड़ताल शुरू कर दी हें. यानि की हड़ताल का असर ग्राम पंचायत से लेकर शहरों के बड़े सरकारी दफ्तरों में देखने को मिल रहा हैं.

मंत्रालयिक कर्मचारियों और राजस्वकर्मियों, ग्राम विकास अधिकारियों के काम बंद करने से सरकारी दफ्तरों में कामकाज ठप हो गया है.अधिकारी भी अपने आप को असहाय महसूस कर रहे हैं. राजस्व सेवा परिषद के बैनर तले आज दूसरे दिन भी पटवारी से लेकर तहसीलदारों ने सामूहिक अवकाश पर रहने से प्रदेश में मूल निवास प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र, हैसियत प्रमाण पत्र बनवाने के लिए लोग परेशान होते रहे.

प्रदेश की 394 तहसील, 208 उप तहसील और 10 हजार 835 पटवार भवनों में रेवेन्यू रिकॉर्ड, नामांतरकरण, जमाबंदी, सीमाज्ञान, बैंक के रहन, लैंड कंवर्जन, गिरदावरी सहित अन्य काम काज नहीं हो सके. सबरजिस्ट्रार दफ्तर बंद रहने से जमीन की रजिस्ट्री नहीं हो सकी. दूरदराज के इलाकों से आने वाले लोगों को बैरंग लौटना पड़ा.

सरकारी कार्यालय खासकर कलक्ट्रेट और पंजीयन दफ्तर खाली पड़े हैं. कलक्ट्रेट में न कोर्ट लगी और न ही प्रमाण पत्र बनाने के काम-काज हुए. लोग एकल खिड़की से एसडीएम, एडीएम और कलक्टर कार्यालय तक के चक्कर काटते रहे. राजस्थान तहसीलदार सेवा परिषद के प्रदेशाध्यक्ष विमलेंद्र राणावत और पटवार संघ के प्रदेशाध्यक्ष नरेंद्र कविया का कहना है कि पिछले कई दिनों से सीएमआर में सरकार के साथ हुए लिखित समझौते को लागू करने की मांग कर रही है.

अनुग्रह के बाद भी मांगों का समाधान नहीं हुआ तो विरोध पर उतरना पड़ा. अब समझौते को लागू नहीं किया तो 24 अप्रैल से रूटीन कार्यों के साथ ही महंगाई राहत कैंप, प्रशासन शहरों और गांवो के संग अभियान का बहिष्कार किया जाएगा. उधर चार दिन से पूरे प्रदेश में स्टाम्प विक्रेता भी हड़ताल पर हैं. ऐसे में मकान-दुकान की रजिस्ट्री तो दूर सामान्य शपथ पत्र बनवाने के लिए भी स्टाम्प नहीं मिल रहे हैं.

स्टाम्प खरीदने के लिए भी लोग कलक्ट्रेट, कोर्ट, जेडीए, आरटीओ आदि के चक्कर काटते रहे. कुछ विक्रेताओं ने गुपचुप तरीके से 3-4 गुना दाम में स्टाम्प बेचकर मोटी कमाई भी की.

मंत्रालयिक कर्मचारी की मांग

कर्मचारियों ने द्वितीय पदोन्नति के पद सहायक प्रशासनिक अधिकारी की ग्रेड पे 4200 करने

एक नया पदोप्रति का पद उप निदेशक प्रशासन ग्रेड पे 8700 में सृजित करने

कनिष्ठ एवं वरिष्ठ सहायकों के काटे गए पदों को बहाल करने

कनिष्ठ सहायक का आरंभिक वेतन 25,500 करने आदि.

स्टाम्प विक्रेताओं की मांग

मोबाइल ऐप के माध्यम से स्टाम्प विक्रय करने की योजना को रोका जाए.

स्टाम्प विक्रेताओं की ओर से अर्जित स्टाम्प कर की राशि सीधे राजकोष में जमा करवाई जाए.

 

उधर इस हड़ताल का असर 24 अप्रैल से होने वाले हंगाई राहत कैंप, प्रशासन गांवों के संग अभियान एवं प्रशासन शहरों के संग अभियान पर हो सकता हैं.जन-कल्याण की विभिन्न योजनाओं, फ्लैगशिप योजनाओं तथा राज्य के बजट 2023 के प्रावधानों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए 24 अप्रैल से 30 जून तक महंगाई राहत कैंप, प्रशासन गांवों के संग अभियान एवं प्रशासन शहरों के संग अभियान का आयोजन किया जा रहा हैं.

जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित ने बताया की जिले में प्रशासन गांवों के संग अभियान और प्रशासन शहरों के संग अभियान के तहत ग्राम पंचायत स्तर और वार्डों में कैंप लगाए जाएंगे. जिले में हर विधानसभा क्षेत्र में दस-दस यानि की 190 स्थाई महंगाई राहत कैंपों का भी आयोजन किया जायेगा.

महंगाई राहत कैंपों में गैस सिलेंडर योजना, मुख्यमंत्री निशुल्क बिजली योजना के तहत घरेलू उपभोक्ताओं को 100 यूनिट, कृषि उपभोक्ताओं को 2000 यूनिट प्रति माह निशुल्क बिजली के लिए रजिस्ट्रेशन, मुख्यमंत्री गारंटी कार्ड वितरण, मुख्यमंत्री निशुल्क अन्नपूर्णा फूड पैकेट योजना के तहत रजिस्ट्रेशन, फूड पैकेट कार्ड वितरण, महात्मा गांधी नरेगा ग्रामीण स्वरोजगार गारंटी योजना (25 अतिरिक्त दिवस व विशेष योग्यजन को 100 अतिरिक्त दिवस रोजगार) के रजिस्ट्रेशन व जॉब कार्ड वितरण, इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना के तहत रजिस्ट्रेशन, जॉब कार्ड वितरण, सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के तहत न्यूनतम 1000 रुपए पेंशन प्रतिमाह के लिए रजिस्ट्रेशन, रिवाइज्ड पीपीओ ऑर्डर वितरण, पालनहार योजना की बढ़ी हुई प्रतिमाह राशि 750 रुपए और 1500 रुपए प्रतिमाह के लिए रजिस्ट्रेशन और संशोधित भुगतान आदेश वितरण, मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना की बढ़ी हुई बीमा राशि 25 लाख रुपए, मुख्यमंत्री चिरंजीवी दुर्घटना बीमा योजना की बढ़ी हुई बीमा राशि 10 लाख के लिए रजिस्ट्रेशन, नवीन पॉलिसी किट वितरण, मुख्यमंत्री कामधेनु बीमा योजना के तहत पशु बीमा के लिए रजिस्ट्रेशन व पॉलिसी किट वितरण किया जाएगा.

अभियान की अवधि के दौरान पंजीयन करवाने पर लाभार्थी को राज्य सरकार द्वारा निर्धारित की गई तिथि से लाभ मिलेगा,बहरहाल, चुनावी साल शुरू होते ही अपनी मांगें पूरी करवाने की आस कर्मचारियों में जगी है लेकिन सरकार और कर्मचारी की लड़ाई में परेशान हो रहा है- सिर्फ आम आदमी. मंत्रालयिक कर्मचारियों के बाद राजस्वकर्मी, ग्राम विकास अधिकारी हड़ताल पर जाने से गांवों से लेकर शहरों में सरकारी दफ्तरों में फाइल आगे बढ़ाने वाला कोई नहीं हैं.

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