Jaipur News: बिजली विभाग में निजीकरण के विरोध में प्रदेशभर के कर्मचारी विरोध की राह पर है. अपने हक औऱ अधिकार को लेकर वो लगातार विद्युत विभाग और सरकार के खिलाफ है. विधुत संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले कर्मचारी सरकार से पुरानी पेंशन योजना लागू करने, सीपीएफ कटौती बंद कर जीपीएफ शुरू करने और निजीकरण की प्रक्रिया को समाप्त करने की मांग कर रहे है. इसको लेकर आज जोधपुर औऱ अजमेर में जमकर विरोध हुआ.
प्रदेश की तीनों डिस्कॉम जयपुर, जोधपुर, औऱ अजमेर 1.40 लाख करोड़ के घाटे में है. इसी लॉस से उभरने के लिए सरकार बिजली डिपार्टमेंट में भी ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट की तरह HAM मॉडल ला रही है और इससे बड़े उद्योगपतियों के हाथों में बिजली वितरण और उत्पादन की व्यवस्था जाएगी.
कर्मचारियों के लगातार विरोध के बाद डिस्कॉम सीएमडी आरती डोगरा ने MBC यानी मीटर, बिलींग और कलेक्शन को टेंडर से हटाने का कर्मचारियों को आश्वाशन दिया. लेकिन कर्मचारियों का आंदोलन नहीं रूका. आज अजमेर और जोधपुर में जमकर प्रदर्शन के बाद प्रदेश भर से विद्युत कर्मचारी 20 दिसंबर को जयपुर कूच की तैयारी कर रहै है और इससे पहले 29 नवंबर को जिला स्तर पर कर्मचारियों ने जमकर विरोध किया.
बिजली विभाग का निजीकरण न केवल उनके भविष्य को खतरे में डालता है. बल्कि आम जनता के लिए बिजली की दरें बढ़ने और सेवाओं में गिरावट का भी खतरा है. उत्पादन निगम में JV जॉइंट वेंचर के नाम पर वर्तमान में जो इकाइयां, नई तकनीक,उच्च उत्पादन क्षमता व सबसे सस्ती बिजली देने वाली है उन्हें केंद्रीय निगमों के साथ JV करकें उत्पादन निगम की आर्थिक और उच्च गुणवत्ता पूर्ण बिजली की उत्पादन क्षमता को खत्म नहीं करें.
इससे प्रदेश में बिजली की आपूर्ति निजी और महंगी बिजली आपूर्ति कर्ताओं के गिरवी हो जायेंगी, जिससे प्रदेश के उपभोक्ताओं को अंतपन्त महंगी बिजली उपभोग के लिये मजबूर होना पड़ेंगा. इसलिए अगर सरकार की मंशा सही औऱ प्रदेश की बिजली व्यवस्था को सुदृढ़ करने की है तो इस प्रकार की JV नए बिजली के थर्मल प्लांट लगाने और सौर ऊर्जा में करनी चाहिए ताकि राजस्थान ऊर्जा उत्पादन में अपने स्तर से आत्मनिर्भर हो सकें. प्रदर्शनकारियों ने जोर देकर कहा कि सरकार यदि उनकी मांगों को नजरअंदाज करती रही, तो आंदोलन और व्यापक रूप लेगा.
कर्मचारियों की लगातार बढ़ती नाराजगी और जी मीडिया के सवाल करने पर उर्जा मंत्री हीरालाल नागर ने 2 दिसंबर को सभी कर्मचारियों को अपने स्पीच से आश्वस्त किया कि विभाग या सरकार की निजीकरण को लेकर या कोई भी कर्मचारी का हित छिनने की ओर कोई भी योजना नहीं है, जो कार्य करने में हमें 10 साल लग रहे है. वो हम 2 साल में कर पाएंगे. RDSS योजना के रूप में प्रदेश के पास मात्र 8 हजार करोड़ रूपए की उपलब्धता है. प्रदेश के भूभाग और विस्तृत डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क को देखते हुए आवश्यकता इससे कई गुना अधिक है. बैंकों से इतना वित्तीय संसाधन जुटाना पहले से ही ऋणभार से दबे डिस्कॉम्स के लिए संभव नहीं है.
मंत्री हीरालाल नागर के आश्वासन के बाद एसा लगा कि शायद कर्मचारी उनकी समस्या को और हैम मॉडल को समझे है औऱ अपना विरोध समाप्त कर देंगे. लेकिन हुआ इसके विपरित. कर्मचारियों का कहना है कि मंत्री जी ने वेतन भत्तों औऱ कार्य स्थलों के बारे में चर्चा की लेकिन सभी कार्मिकों की सेवा और शर्तों के बारे में किसी भी प्रकार का कोई आश्वासन नहीं दिया. कर्मचारियों की समस्या को लेकर जी मीडिया ने मंत्री हीरालाल नागर से बात की तो उन्होने बताया कि हैम मॉडल के लिए अलग से जीएसएस बनाए जाएंगे.
अब राजस्थान विद्युत संघर्ष समिति का चेतावनी देते हुए कहना है कि राजस्थान की सभी विद्युत निगमों के अलग-अलग नामों से किये जा रहे निजीकरण को नहीं रोककर सभी मांगो को पूर्ण नहीं किया जाता है, तो कर्मचारियों, अधिकारियों , अभियन्ताओं का संतोष टूट जाएगा औऱ मजबूरन 20 दिसंबर को महा-आन्दोलन की तरफ कदम बढ़ाए जाएंगे, जिसकी पूरी जिम्मेदारी विद्युत प्रशासन और राजस्थान सरकार की होगी. इस विरोध का सबसे बड़ा कारण है. सरकार और कर्मचारियों के बीच संवाद की कमी जो इस समस्या को और जटिल बना रही है.